Essence of Murli
(H&E): August
02, 2014:
Essence: Sweet children, do not have love for perishable
bodies, but have love for the imperishable Father and you will become liberated
from crying.
Question: What is unrighteous
love and what are its consequences?
Answer: To have attachment to perishable bodies is
unrighteous love. Those who have attachment to perishable things cry. There is
crying because of body consciousness. In the golden age, all are soul conscious
and there is therefore no question of crying. Those who cry end up losing
everything. The imperishable children of the imperishable Father now receive
the teachings: Become soul conscious and you will be liberated from crying.
Essence for Dharna:
1. You earn multimillions at every step of remembrance. It
is through this that you have to attain an immortal status. Donate the
imperishable jewels of knowledge that you receive from the Father.
2. Be soul conscious and experience limitless happiness.
Remove attachment from bodies and remain constantly cheerful. Become a
conqueror of attachment.
Blessing: May you be master
merciful मास्टर रहमदिल and
generously share the treasure of happiness as a great donor. महादानी
People spend so much time and
money to attain temporary happiness but, even then, they do not receive real
happiness. At such a time of need, you souls have to become great donors and
generously give the donation of happiness. For this, let the virtue of being
merciful emerge. Your non-living images are giving blessings and so you, in the
living form, have to continue to share this by being merciful because souls are
under an external influence. परवश
Never think that someone
is never going to listen; just be merciful and continue to give. Your pure
feelings will definitely give them the fruit.
Slogan: Only those who order their physical senses and make each of them work with the power of their yoga are masters of the self. स्वराज्य अधिकारी
सार:- “मीठे बच्चे
- विनाशी शरीरों से प्यार न करके अविनाशी बाप से प्यार करो तो रोने से छूट जायेंगे”
प्रश्न:- अनराइटियस प्यार क्या है और उसका परिणाम क्या होता है?
उत्तर:- विनाशी शरीरों में मोह रखना अनराइटियस प्यार है । जो विनाशी चीज़ों में मोह रखते हैं, वह रोते हैं । देह- अभिमान के कारण रोना आता है । सतयुग में सब आत्म- अभिमानी हैं, इसलिए रोने की बात ही नहीं रहती । जो रोते हैं वह खोते हैं । अविनाशी बाप की अविनाशी बच्चों को अब शिक्षा मिलती है, देही- अभिमानी बनो तो रोने से छूट जायेंगे ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. तुम्हारे याद के हर कदमों में पदम् हैं, इससे ही अमर पद प्राप्त करना है । अविनाशी ज्ञान रत्न जो बाप से मिलते हैं, उनका दान करना है ।
2. आत्म- अभिमानी बन अपार खुशी का अनुभव करना है । शरीरों से मोह निकाल सदा हर्षित रहना है, मोहजीत बनना है ।
वरदान:- महादानी बन फ्राकदिली से खुशी का खजाना बांटने वाले मास्टर रहमदिल भव
!
लोग अल्पकाल की खुशी प्राप्त करने के लिए कितना समय वा धन खर्च करते हैं फिर भी सच्ची खुशी नहीं मिलती, ऐसे आवश्यकता के समय आप आत्माओं को महादानी बन फ्राकदिली से खुशी का दान देना है । इसके लिए रहमदिल का गुण इमर्ज करो । आपके जड़ चित्र वरदान दे रहे हैं तो आप भी चैतन्य में रहमदिल बन बांटते जाओ, क्योंकि परवश आत्मायें हैं । कभी ये नहीं सोचो कि ये तो सुनने वाले ही नहीं है, आप रहमदिल बन देते जाओ । आपकी शुभ भावना उन्हों को फल अवश्य देगी ।
स्लोगन:- योग की शक्ति द्वारा हर कर्मेन्द्रिय को ऑर्डर में चलाने वाले ही स्वराज्य अधिकारी हैं ।
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