For January 2, 2015
A Moth in Conversation with the Spiritual Flame
First Awareness
The moment I open my eyes, I realize: I am a soul. I descended from the Sweet Home of Light in order to give radiant light to the world.
Who am I?
I am an imperishable moth. I only see and interact with the Spiritual Flame. There is none but ONE in my awareness
To Whom do I Belong?
Soul converses with Baba:
Good morning sweet Baba. Baba, You, the Flame, and I, the moth, are imperishable. My love for You is imperishable.
Baba converses with the Soul:
Sweet child, wake up! Sit down with Me. Today the Spiritual Flame has come into the gathering to see you the moth because of My imperishable love for you. Those who recognize and fulfill this responsibility of love will attain everything. Having experienced this love, you know how easy it is to fulfill the responsibility of this loving relationship.
Receiving Inspirations
I take a moment to quiet my chattering mind by focusing on Baba, the Ocean of Silence. In this silence, I receive from Baba pure, inspiring thoughts for service.
Receiving a Blessing from Baba
I manifest my angelic form before sweet Baba in the subtle regions. With much love and powerful drishti, He gives me this blessing:
You understand that throughout the whole cycle, such precious days as these are not going to come again. You take the golden chance of the confluence age and use every treasure from the Father and time to become powerful and victorious.
Unlimited Subtle Service (last 15 minutes)
I bestow on the world the blessing described above. I take this blessing from Baba and gift it to the whole world through my pure thoughts. With my angelic costume, I circle the earth globe and give this blessing to all souls.
Before Going to Bed
I steady myself in the stage beyond sound. I mentally check: was I disobedient in anyway during the day? If so, I admit it to Baba. Did I succumb, mentally or physically, to any attractions, attachments, or selfish preferences? I chart my actions, and remove the impact of faulty actions with 30 minutes of yoga. I go to sleep with a clean and clear hear
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एक परवाने की रूहानी शमा से रूहरिहानपहली स्मृति
आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के होम से अवतरित हुई हूँ।
मैं कौन हूँ?
मैं एक अविनाशी परवाना हूँ। मैं सिर्फ रूहानी शमा को ही देखता हूँ व उनके साथ ही वार्तालाप करता हूँ । मेरी स्मृति में तो सदा “नन बट वन” ही रहता है |
मैं किसकी हूँ?
आत्मा की बाबा से रूहरिहान:
मीठे बाबा - गुड मॉर्निंग। बाबा! आप शमा अविनाशी हैं और मैं परवाना भी अविनाशी हूँ ।आपके प्रति मेरा स्नेह भी अविनाशी है |
बाबा की आत्मा से रूहरिहान:
मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो। आज रूहानी शमा अविनाशी स्नेह लेकर तुम परवाने से मिलने के लिए इस महफ़िल में आये हैं । जो इस स्नेह को पहचानकर जिम्मेवारियों को निभाते हैं , उन्हें सर्व प्राप्तियां स्वतः होने लगती हैं | इस रूहानी प्यार का अनुभव स्नेही सम्बन्ध निभाने की जिम्मेवारी को भी सहज बना देता है |
बाबा से प्रेरणाऐ:
अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा में लगाऐं। बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स में मैं बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ।
बाबा से वरदान:
सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं –
बापददा तुम समझ गए हो कि सारे कल्प में ऐसे सुहावने दिन आने वाले नहीं हैं । इस संगम युग का गोल्डन चांस लेकर तुम बाप द्वारा मिले हर खजाने व हर सेकंड को कार्य में लगाते हो | इसलिए, तुम समर्थीवान व सदा विजयी बनते हो |
बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट - प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)
बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा, वरदाता बन, मैं पूरे विश्व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता ड्रेस पहन कर मैं विश्व भ्रमण करते हुए सर्व आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।
रात्रि सोने के पहले
आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं। किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नहीं फंसी? अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।
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