Essence of Murli
(H&E) : June
05, 2014:
Essence: Sweet
children, before becoming deities you definitely have to become Brahmins. Only
those who are born through the mouth of Brahma are the true Brahmins who become
deities by studying Raja Yoga.
Essence for
Dharna:
1. Churn the knowledge and become spinners
of the discus of self-realization. Cut away your sins by spinning the cycle of
knowledge. Become doubly non-violent.
2. Make your
intellect clean and pure and study the knowledge of Raja Yoga in order to claim
a high status. Let there always be the happiness in your heart that you are
listening to this true story of becoming a true Narayan and changing from a
human into a deity.
Blessing: May you serve yourself and become
complete and perfect by paying attention and checking yourself.
Service of the
self means to pay constant attention to the self to becoming complete and
perfect and to make yourself pass with honours in the main subject of the study.
Let there constantly be service of the self in your intellect to becoming an
embodiment of knowledge, an embodiment of remembrance and an embodiment of
dharna. This service will automatically continue to enable you to serve others
through your perfect form. However, the method for this is paying attention and
checking; checking yourself, not others.
Slogan: By speaking too much, your intellectual energy reduces. Therefore, be short and sweet.
सार:- मीठे बच्चे – याद की यात्रा में रहो तो तुम्हारे पाप कट जायेंगे, क्योंकि
याद है तलवार की धार, इसमें अपने आपको ठगना नहीं |
प्रश्न:- बच्चों को कैरेक्टर सुधारने के लिए बाप कौन-सा रास्ता बताते हैं?
उत्तर:- बच्चे, अपना सच्चा-सच्चा चार्ट रखो | चार्ट रखने से ही कैरेक्टर सुधरेंगे | देखना है कि सारे दिन में हमारा कैरेक्टर कैसा रहा? किसी को दुःख तो नहीं दिया? फ़ालतू बात तो नहीं की? आत्मा समझकर बाप को कितना समय याद किया? कितनों को आप समान बनाया? ऐसा जो पोतामेल रखते उनका कैरेक्टर सुधरता जाता है | जो करेगा सो पायेगा | नहीं करेगा तो पछतायेगा |
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. सवेरे-सवेरे
एकान्त में बैठ प्रेम से बाप को याद करना है | सारी
दुनिया को भूल जाना है |
2. बाप
समान सबका कल्याणकारी बनना है, खामियां निकाल देनी
है | अपने ऊपर बहुत नज़र रखनी है | अपना
रजिस्टर स्वयं ही देखना है |
वरदान:- दिनचर्या के हर कर्म में यथार्थ और युक्तियुक्त चलने वाले पूज्य, पवित्र आत्मा भव!
पूज्य, पवित्र आत्मा की निशानी है – उनका हर संकल्प, बोल, कर्म और स्वप्न यथार्थ अर्थात् युक्तियुक्त होगा | हर संकल्प में अर्थ होगा | ऐसे नहीं कि ऐसे ही बोल दिया, निकल गया, कर लिया, हो गया | पवित्र आत्मा सदा दिनचर्या के हर कर्म में यथार्थ, युक्तियुक्त रहती है इसलिए पूजा भी उनके हर कर्म की होती है अर्थात् पूरे दिनचर्या की होती है | उठने से लेकर सोने तक भिन्न-भिन्न कर्म के दर्शन होते हैं |
पूज्य, पवित्र आत्मा की निशानी है – उनका हर संकल्प, बोल, कर्म और स्वप्न यथार्थ अर्थात् युक्तियुक्त होगा | हर संकल्प में अर्थ होगा | ऐसे नहीं कि ऐसे ही बोल दिया, निकल गया, कर लिया, हो गया | पवित्र आत्मा सदा दिनचर्या के हर कर्म में यथार्थ, युक्तियुक्त रहती है इसलिए पूजा भी उनके हर कर्म की होती है अर्थात् पूरे दिनचर्या की होती है | उठने से लेकर सोने तक भिन्न-भिन्न कर्म के दर्शन होते हैं |
स्लोगन:- सूर्यवंशी बनना है तो सदा विजयी और एकरस स्थिति बनाओ |
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