Essence of Murli
(H&E) : June
27, 2014:
Essence: Sweet
children, constantly remember that our Baba is the Father, the Teacher and also
the Satguru. To remember this means to be manmanabhav.
Question: What is the first mistake you make when the dust of Maya gets in your eyes?
Answer: The first mistake Maya has you make is that you stop studying. You forget that God is teaching you. It is a wonder that the Father’s own children stop studying the Father’s teachings. This knowledge is such that you should constantly be dancing with internal happiness. However, the influence of Maya is no less; she makes you stop studying. To stop studying means to be absent.
Essence for Dharna:
1. Remove any attachment you have from everything
you see with your eyes. Only look at the one Father. In order to purify your
attitude, don’t let your attention be drawn to dirty bodies.
2. Study well and also teach this unique and true
knowledge that the Father teaches you. Never miss this study.
Blessing: May
you be a powerful soul and perform every deed while seated on the seat of
trikaldarshi.
Children
who perform every deed while seated on the seat of a trikaldarshi at every
moment know that many situations will come and that things will happen. Whether
through the self, through others, through Maya or matter, adverse situations
will come in many ways and they have to come. However, when your original stage
is powerful adverse situations become nothing in front of that. Simply before
performing any deed, check and understand the three aspects of time, its beginning,
middle and end and then do it and you will become powerful and overcome all
adverse situations.
Slogan: To become filled with all the powers and knowledge is the reward of the confluence age.
Slogan: To become filled with all the powers and knowledge is the reward of the confluence age.
सार:- “मीठे बच्चे –निरन्तर याद रहे कि हमारा बाबा, बाप भी है, टीचर भी है तो सतगुरू भी है, यह याद ही मनमनाभव है"
प्रश्न:-माया की
धूल जब आँखों में पड़ती है तो सबसे पहली गफलत कौन-सी होती है?
उत्तर:-माया पहली गफलत कराती जो पढ़ाई को ही छोड़ देते ।
भगवान् पढ़ाते हैं, यह भूल जाता है । बाप केबच्चे ही बाप की पढ़ाई को छोड़ देते हैं, यह
भी वन्डर है । नहीं तो नॉलेज ऐसी है जो अन्दर ही अन्दरखुशी में नाचते रहे, परन्तु
माया का प्रभाव कोई कम नहीं है । वह पढ़ाई को ही छुड़ा देती है । पढ़ाईछोड़ी माना
अबसेट हुए ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1). इन आँखों से जो कुछ दिखाई देता है, उनसे ममत्व
मिटाना है, एक बाप को ही देखना है । वृत्ति को शुद्ध बनाने के लिए इन छी-छी शरीरों की तरफ
जरा भी ध्यान न जाये ।
2). बाप जो न्यारी और सत्य नॉलेज सुनाते हैं, वह अच्छी तरह
पढ़नी और पढ़ानी है । पढ़ाई कभी मिस नहीं करनी है ।
वरदान:-
त्रिकालदर्शी की सीट पर सेट हो हर कर्म करने वाले शक्तिशाली आत्मा भव !
जो बच्चे
त्रिकालदर्शी की सीट पर सेट होकर हर समय, हर कर्म करते हैं, वो जानते हैं
कि बातें तोअनेक
आनी हैं, होनी हैं, चाहे स्वयं द्वारा, चाहे औरों द्वारा, चाहे माया वा प्रकृति द्वारा सब प्रकार
सेपरिस्थितियाँ तो आयेंगी, आनी ही हैं लेकिन स्व-स्थिति शक्तिशाली है तो
पर-स्थिति उसके आगे कुछभी नहीं है । सिर्फ हर कर्म करने के पहले उसके
आदि-मध्य-अन्त तीनों काल चेक करके, समझ करकेफिर कुछ भी करो तो शक्तिशाली बन
परिस्थितियों को पार कर लेंगे।
स्लोगन:- सर्व शक्ति व ज्ञान सम्पन्न बनना ही संगमयुग
की प्रालब्ध है ।
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