Essence of Murli
(H&E) : June
10, 2014:
Essence
: Sweet children, always stay in the intoxication of your multimillion-fold fortune of becoming children of the Purifier
Father. We receive an inheritance of unlimited happiness from Him.
Question: Why can you children
not have any dislike or hatred for any religion?
Answer:
Because you know the Seed and the tree. You know that this is the unlimited
tree of the human world. Each one has his own part in
i t. Actors in a play do not have hatred for one another. You know that
you have the hero and heroine
parts in
this play. No one else can see
the happiness that you have seen.
You have the Iimitless happiness that you are the ones who will rule the whole world.
Essence for dharna :
1. Study directly with God at the
confluence age, become knowledgeable theists and also make others knowledgeable. Never have any doubts in the Father or the study.
2. Become as lovely as the Father. Maintain the happiness that God is decorating you. Do not have dislike or hatred for any actor.
Each one has an accurate part in this drama.
Blessing: May you be a special soul who
experiences and gives others the experience of the property and personality of Brahmin life.
BapDada reminds
all Brahmin
children:
It
is
your great
fortune
that
you
have
become
Brahmins. However, the inheritance and
property of Brahmin life is contentment and the personality
of Brahmin life is happiness. Never remain deprived of this experience. You have a
right
to
it. Since the Bestower and the Bestower of
Blessings is giving
you
all
of
these attainments
with an open heart, you have to experience them and also make others experienced in these and you will then be called special
souls.
Slogan: Instead
of thinking of
the last (final) moments, think of the last (final) stage.
सार:- “मीठे बच्चे – सदा इसी नशे में रहो कि हमारा पदमापदम भाग्य है,
जो पतित-पावन बाप के हम बच्चे बने हैं, उनसे हमें बेहद सुख का वर्सा मिलता है”
प्रश्न:- तुम बच्चों को किसी भी धर्म से घृणा वा नफ़रत नहीं हो सकती है - क्यों?
उत्तर:- क्योंकि तुम बीज और झाड़ को जानते हो | तुम्हें पता है यह मनुष्य सृष्टि रूपी बेहद का झाड़ है इसमें हर एक का अपना-अपना पार्ट है | नाटक में कभी भी एक्टर्स एक-दूसरे से घृणा नहीं करेंगे | तुम जानते हो हमने इस नाटक में हीरो-हीरोइन का पार्ट बजाया | हमने जो सुख देखे, वह और कोई देख नहीं सकता | तुम्हें अथाह ख़ुशी है कि सारे विश्व पर राज्य करने वाले हम हैं |
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1.
संगमयुग पर डायरेक्ट भगवान् से पढ़ाई पढ़कर, ज्ञानवान आस्तिक बनना और बनाना है
| कभी भी बाप वा पढ़ाई में संशय नहीं लाना है
|
2.
बाप समान लवली बनना है | भगवान् हमारा श्रृंगार कर रहे हैं,
इस ख़ुशी में रहना है | किसी भी एक्टर से घृणा वा नफ़रत नहीं करनी है
| हरेक का इस ड्रामा में एक्यूरेट पार्ट है
|
वरदान:- ब्राह्मण जीवन की प्रॉपर्टी और पर्सनालिटी का अनुभव करने और कराने वाली विशेष आत्मा भव
बापदादा सभी ब्राह्मण बच्चों को स्मृति दिलाते हैं कि ब्राह्मण बने – अहो भाग्य! लेकिन ब्राह्मण जीवन का वर्सा, प्रॉपर्टी सन्तुष्टता है और ब्राह्मण जीवन की पर्सनालिटी प्रसन्नता है |
इस अनुभव से कभी वंचित नहीं रहना | अधिकारी हो | जब दाता, वरदाता खुली दिल से प्राप्तियों का ख़ज़ाना दे रहे हैं तो उसे अनुभव में लाओ और औरों को भी अनुभवी बनाओ तब कहेंगे विशेष आत्मा
|
स्लोगन:- लास्ट समय का सोचने के बजाए लास्ट स्थिति का सोचो |
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