Essence of Murli
(H&E): July
25, 2014:
Essence: Sweet children, body
consciousness means a devilish character. Change that and imbibe a divine
character and you will be liberated from the jail of Ravan.
Question: How does each soul
experience punishment for his sinful actions and what method should you use to
be liberated from that?
Answer: Each one experiences punishment in the jail of a
womb for his sins and, secondly, he also receives many types of sorrow in the
jail of Ravan. Baba has come to liberate you children from these jails. In
order to be liberated from them you have to become civilized.
Essence for Dharna:
1. Never allow your
stage to be spoilt by believing the rumours you hear. Have cleanliness within.
Don't burn inside on hearing lies. Take God’s directions.
2. Make full effort to become soul conscious. Do not defame
anyone. Whilst paying attention to benefit, loss and honour, completely finish
the criminal eye. Listen with one ear to whatever the Father tells you, but
don't let it out of the other!
Blessing: May you be
co-operative with everyone and with your elevated awareness, create an elevated
stage and an elevated atmosphere.
Yoga means to stay in an
elevated awareness. I, an elevated soul, am a child of the elevated Father.
When you have such awareness your stage becomes elevated and an elevated
atmosphere, which attracts many souls towards you is automatically created through
an elevated stage. Wherever you souls stay in yoga and perform actions, the
atmosphere and environment there will help others too. Such co-operative souls
are loved by the Father and the world.
Slogan: You will receive the throne of a kingdom by sitting on the seat of an unshakeable stage.
सार:- “मीठे बच्चे
- देह- अभिमान आसुरी कैरेक्टर है,
उसे बदल दैवी कैरेक्टर्स धारण करो तो रावण की जेल से छूट जायेंगे “
प्रश्न:- हर एक आत्मा अपने पाप कर्मों की सजा कैसे भोगती है, उससे बचने का साधन क्या है?
उत्तर:- हर एक अपने पापों की सजा एक तो गर्भ जेल में भोगते हैं, दूसरा रावण की जेल में अनेक प्रकार के दु:ख उठाते हैं । बाबा आया है तुम बच्चों को इन जेलों से छुड़ाने । इनसे बचने के लिए सिविलाइज्ड बनो ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. कभी भी सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करके अपनी स्थिति खराब नहीं करनी है । अन्दर में सफाई रखनी है । झूठी बातें सुनकर अन्दर में जलना नहीं है, ईश्वरीय मत ले लेनी है ।
2. देही- अभिमानी बनने का पूरा पुरुषार्थ करना है, किसी की भी निंदा नहीं करनी है । फायदा, नुकसान और इज्जत को ध्यान में रखते हुए क्रिमिनल आई को खत्म करना है । बाप जो सुनाते हैं उसे एक कान से सुनकर दूसरे से निकालना नहीं है ।
वरदान:- श्रेष्ठ स्मृति द्वारा श्रेष्ठ स्थिति और श्रेष्ठ वायुमण्डल बनाने वाले सर्व के सहयोगी भव !
योग का अर्थ है श्रेष्ठ स्मृति में रहना । मैं श्रेष्ठ आत्मा श्रेष्ठ बाप की सन्तान हूँ, जब ऐसी स्मृति रहती है तो स्थिति श्रेष्ठ हो जाती है । श्रेष्ठ स्थिति से श्रेष्ठ वायुमण्डल स्वत:
बनता है जो अनेक आत्माओं को अपनी ओर आकर्षित करता है । जहाँ भी आप आत्मायें योग में रहकर कर्म करती हो वहाँ का वातावरण, वायुमण्डल औरों को भी सहयोग देता है । ऐसी सहयोगी आत्मायें बाप को और विश्व को प्रिय हो जाती हैं ।
स्लोगन:- अचल स्थिति के आसन पर बैठने से ही राज्य का सिंहासन मिलेगा ।
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