Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

Amritology Point For December 23, 2014 (H&E)

For December 23, 2014
Fortunate Soul in Conversation with the Master of Nature
First Awareness
The moment I open my eyes, I realize: I am a special soul. Because I belong to Baba, Baba sees me as a very special and unique soul.

Who am I?
I am a fortunate soul because in the Golden Age, nature’s own music awakens me, but, in the confluence age, God, the Master of Nature Himself, awakens me.

To whom do I Belong?
Soul converses with Baba:
Good morning sweet Baba. Baba, I hear the sweet music of Your voice, telling me, “Child, sweet child.” These words are more melodious than the celestial sounds of heaven. I am so fortunate to be a Brahmin of the confluence age.
Baba converses with the Soul:
Sweet child, wake up! Sit down with Me. Now is the time to fill yourself with the sanskaras and attainments of the confluence age, for that will be your reward. In the golden age, the fruits are satopradhan, completely pure, sweet, tasty, and full of juice. Here, in the confluence age, the Master of Nature gives you spiritual juice. Baba lets you taste the sweetness of all relationships. Drinking this spiritual juice leads you to all attainments.

Receiving Inspirations
I take a moment to quiet my chattering mind by focusing on Baba, the Ocean of Silence. In this silence, I receive from Baba pure, inspiring thoughts for service.

Receiving a Blessing from Baba
I manifest my angelic form before sweet Baba in the subtle regions. With much love and powerful drishti, pure vision, He gives me this blessing:
If there is a lot of service but remembrance is weak or if remembrance is good but you are weak in service, there cannot then be a fast speed. You have learned this secret and have grown the strong wings of remembrance and service. With these wings, you soar through the Godly skies to the heights of love, purity and wisdom.

Unlimited Subtle Service (last 15 minutes)
I bestow on the world the blessing described above. I take this blessing from Baba and gift it to the whole world through my pure thoughts. With my angelic costume, I circle the earth globe and give this blessing to all souls.

Before Going to Bed
I steady myself in the stage beyond sound. I mentally check: was I disobedient in anyway during the day? If so, I admit it to Baba. Did I succumb, mentally or physically, to any attractions, attachments, or selfish preferences? I chart my actions, and remove the impact of faulty actions with 30 minutes of yoga. I go to sleep with a clean and clear heart.
Dec12

For soundtrack of Amritology webinar with Sister Jayanti of December 21st, click HERE.

***
headphone meditation

English Soundtrack with Amrit Vela points - 60min

For December 23rd

Click HERE.

Hindi Soundtrack with Amrit Vela points - 60min

अमृत वेला के पॉइंट साज़ और आवाज़ से जुड़े ६० मिनट

(दसू रा सप्ताह – 23-12-2014)

अमृतवेला (दूसरा सप्ताह – 23-12-2014) एक सौभाग्यशाली आत्मा की प्रकृति-पति से रुहरिहान
 

Hindi Soundtrack with Amrit Vela points - 60min

अमृत वेला के पॉइंट साज़ और आवाज़ से जुड़े ६० मिनट

(दसू रा सप्ताह – 23-12-2014)

पहली स्मृति
आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ मैं इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के होम से अवतरित हुई हूँ
मैं कौन हूँ?
मैं ऐसी भाग्यवान आत्मा हूँ जिसे सतयुग में प्रकृति अपने नैचुरल साज़ों से जगाती है लेकिन संगमयुग में प्रकृति के रचयिता, प्रकृति-पति, मीठे-मीठे बाबा, मुझे स्वयं आकर जगाते हैं।
मैंकिसकी हूँ?
आत्मा की बाबा से रूहरिहान:
मीठे बाबा- गुड मॉर्निंग। बाबा की मधुर वाणी का संगीत मेरे कानो में गूँज रहा है-"मेरे प्यारे बच्चे, मीठे बच्चे"। बाबा! आपके यह मीठे बोल स्वर्ग की दिव्य झंकारों से भी ज्यादा मधुर हैं। संगम युग पर ये ब्राह्मण जीवन पाकर मैं बहुत सौभाग्यशाली महसूस कर रहीं हूँ।
बाबा की आत्मा से रूहरिहान:
मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो।यही संगम युग का वह मूल्यवान समय है जब तुम बच्चे स्वयं को श्रेष्ठ संस्कार और प्राप्तियों से भरपूर करते हो और वही तुम बच्चों का प्रत्यक्ष फल भी है। सतयुग के फल बहुत ही सतोप्रधान, शुद्ध, स्वादिष्ठ और रसीले होतें हैं। लेकिन संगम युग में प्रक्रति-पति स्वयं आकर तुम बच्चों को रूहानी फलों का रस पिला रहे हैं। साथ-साथ बाबा तुम्हे सर्व सम्बंधों की मिठास का अनुभव भी करा रहें हैं। इस रूहानी फलों के रस को पीने से तुम्हें सर्व प्राप्तियों का अनुभव हो रहा है।
बाबा से प्रेरणाऐ:
अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा में लगाऐं। बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स में मैं बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ।
बाबा से वरदान:
सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं
यदि बहुत सेवा हो और याद में कमज़ोर हो या फिर याद अच्छी हो और सेवा में कमी हो तब भी पुरुषार्थ की गति तीव्र नहीं हो सकती। इस गुह्य राज़ को अब तुम समझ गये हो इसलिये तुम्हारे याद और सेवा के पंख शक्तिशाली हो गये हैं। इन पंखों द्वारा विश्व गगन में उड़ान भरते तुम प्रेम, पवित्रता और ज्ञान की उँचाइयों को प्राप्त कर रहे हो।
बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट - प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)
बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा, वरदाता बन, मैं पूरे विश्‍व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता ड्रेस पहन कर मैं विश्‍व भ्रमण करते हुए सर्व आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।
रात्रि सोने के पहले
आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं। किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नहीं फंसी? अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।


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