For December 28, 2014
The One Seated on the Heart Throne in Conversation with My Baba
First Awareness
The moment I open my eyes, I realize: I am a soul. I descended from the Sweet Home of Light in order to give radiant light to the world.
Who am I?
I am a child of the family of God and I sit on His heart throne. I belong to this divine family hence I sit in His heart.
To Whom do I Belong?
Soul converses with Baba:
Good morning sweet Baba. My Baba, I know however many children you may have, we all sit in your heart. I do not compete with anyone because we all have a right to your heart-throne. Your heart is so magnanimous that it accommodates all of us and still has space for more.
Baba converses with the Soul:
Sweet child, wake up! Sit down with Me. As soon as you say, “My Baba” from your heart, I seat you on the heart-throne. This heart-throne makes you self-sovereign and you become a king. This throne is for you to become a ruler. Celebrate your coronation day, your day of receiving this royal throne. The awareness of this throne helps you remove all obstacles.
Receiving Inspirations
I take a moment to quiet my chattering mind by focusing on Baba, the Ocean of Silence. In this silence, I receive from Baba pure, inspiring thoughts for service.
Receiving a Blessing from Baba
I manifest my angelic form before sweet Baba in the subtle regions. With much love and powerful drishti, He gives me this blessing:
In the confluence Age, your praise is: child of the Ocean of Happiness, deity of happiness. Because of your humility, you spread the light of Divine joy wherever you go. This light illuminates the beauty of those you meet and endears you to all of creation.Unlimited Subtle Service (last 15 minutes)
I bestow on the world the blessing described above. I take this blessing from Baba and gift it to the whole world through my pure thoughts. With my angelic costume, I circle the earth globe and give this blessing to all souls.
Before Going to Bed
I steady myself in the stage beyond sound. I mentally check: was I disobedient in anyway during the day? If so, I admit it to Baba. Did I succumb, mentally or physically, to any attractions, attachments, or selfish preferences? I chart my actions, and remove the impact of faulty actions with 30 minutes of yoga. I go to sleep with a clean and clear heart.
English Soundtrack with Amrit Vela points - 60minFor December 28th
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Hindi Soundtrack with Amrit Vela points - 60minअमृत वेला के पॉइंट साज़ और आवाज़ से जुड़े ६० मिनट(तीसरा सप्ताह – 28-12-2014) |
अमृतवेला(तीसरा सप्ताह – 28-12-2014)
दिल तख़्तनशी बच्ची की "मेरे बाबा" से रूहरिहान
Hindi Soundtrack with Amrit Vela points - 60min
अमृत वेला के पॉइंट साज़ और आवाज़ से जुड़े ६० मिनट
(तीसरा सप्ताह – 28-12-2014)
आँख खुलते ही संकल्प करेंकि मैं आत्मा हूँ। मैं इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के होम से अवतरित हुई हूँ।
मैं कौन हूँ?
मैं ईश्वरीय परिवार की बच्ची हूँ और बाबा के दिल तख़्त पर बैठी हूँ। मैं इस रूहानी परिवार की सदस्य हूँ इसलिये बाबा के दिल में बैठी हूँ।
मैं किसकी हूँ?
आत्मा की बाबा से रूहरिहान:
मीठे बाबा - गुड मॉर्निंग। मेरा बाबा!मुझे ये आभास है की आपके कितने ही बच्चे क्यों न हों, हम सब आपके दिल में समाये हुये हैं। मुझे किसी से रीस करने की आवशकता नहीं क्योंकि हम सभी का आपके दिल तख़्त पर बराबर का अधिकार है। बाबा आपका दिल इतना विशाल हैं कि हम सब उसमे समाये हुये हैं और उसमें औरों को भी समाने की बेहद शमता है।बाबा की आत्मा से रूहरिहान:
मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो। दिलसे मेरा बाबा कहते ही मैं तुमको अपने दिलतख्त पर बैठा देता हूँ। यह दिलतख्त तुम्हे स्वराज्य अधिकारी बना रहा है और तुम राजा बनते जा रहे हो। यह तख़्त तुम्हारे शासन करने के लिये है। तुम बच्चे अपने राजतिलक और राजसी तख़्त मिलने का उत्सव मना रहे हो। इस तख़्त की स्मृति से तुम बच्चे सर्व विघ्नो को सहजतासे पार करतेजा रहे हो।
बाबा से प्रेरणाऐ:
अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा में लगाऐं। बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स में मैं बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ।बाबा से वरदान:
सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं –
संगम युग पर तुम बच्चों का गायन है -"सुख के सागर की संतान, सुखदेव”। तुम्हारी नम्रता से चारों ओर रूहानी खुशिओं काप्रकाश फैल रहा है। यह प्रकाश तुम्हारे संपर्क की सर्व आत्माओं की आंतरिक सुंदरता को प्रकाशित कर रहा है और तुमसर्व रचना की प्रियबनती जा रही हो।
बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट - प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)
बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा, वरदाता बन, मैं पूरे विश्व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता ड्रेस पहन कर मैं विश्व भ्रमण करते हुए सर्व आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।
रात्रि सोने के पहले
आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं। किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नहीफंसी? अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।
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