For December 27, 2014
An Heir in Conversation with God
First Awareness
The moment I open my eyes, I realize: I am a soul. I descended from the Sweet Home of Light in order to give radiant light to the world.
Who am I?
I am an heir in the family of God. I inherit my fortune from God Himself.
To Whom do I Belong?
Soul converses with Baba:
Good morning sweet Baba. Thank you Baba for bringing me into a loving relationship with the Brahmin family. You gave me not only knowledge that I am an elevated soul but also knowledge that I am your child. By entering this Parent – Child relationship with you, I also enter a pure brother– sister relationship with all my divine family.
Baba converses with the Soul:
Sweet child, wake up! Sit down with Me. Did you ever dream you would receive the fortune of being My heir? You have a right to all My property. I come here to give you the experience of Parent-Child relationship and to grant you your inheritance. You receive this fortune when you join the family of God. Leave the world of sorrow and enter this world of happiness. Become the highest of human beings by following the highest maryadas.
Receiving Inspirations
I take a moment to quiet my chattering mind by focusing on Baba, the Ocean of Silence. In this silence, I receive from Baba pure, inspiring thoughts for service.
Receiving a Blessing from Baba
I manifest my angelic form before sweet Baba in the subtle regions. With much love and powerful drishti, He gives me this blessing:
When the meeting of the Ocean of Love and the rivers filled with love takes place, the rivers then become master oceans of love. You are a master ocean of love who ties everyone with the thread and sustenance of pure love and fulfills the deepest wish of souls. You give them a sense of belonging and lead them to the Father’s heart where they can heal, grow, and thrive.Unlimited Subtle Service (last 15 minutes)
I bestow on the world the blessing described above. I take this blessing from Baba and gift it to the whole world through my pure thoughts. With my angelic costume, I circle the earth globe and give this blessing to all souls.
Before Going to Bed
I steady myself in the stage beyond sound. I mentally check: was I disobedient in anyway during the day? If so, I admit it to Baba. Did I succumb, mentally or physically, to any attractions, attachments, or selfish preferences? I chart my actions, and remove the impact of faulty actions with 30 minutes of yoga. I go to sleep with a clean and clear heart.
Webinar Series
Amritology; Experiences of a Yogi
For soundtrack of Amritology's 1st webinar with Sister Jayanti of December 21st, click HERE.
Next Webinar: Saturday, December 27th
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English Soundtrack with Amrit Vela points - 60minFor December 27th
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Hindi Soundtrack with Amrit Vela points - 60minअमृत वेला के पॉइंट साज़ और आवाज़ से जुड़े ६० मिनट(तीसरा सप्ताह – 27-12-2014) |
अमृतवेला(तीसरा सप्ताह – 27-12-2014)
एक वारिस बच्ची की परमात्मा से रूहरिहान
Hindi Soundtrack with Amrit Vela points - 60min
अमृत वेला के पॉइंट साज़ और आवाज़ से जुड़े ६० मिनट
(तीसरा सप्ताह – 27-12-2014)
पहली स्मृतिआँख खुलते ही संकल्प करेंकि मैं आत्मा हूँ। मैं इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के होम से अवतरित हुई हूँ।
मैं कौन हूँ?
मैं परमात्म परिवार की वारिस बच्ची हूँ। मैं स्वयं परमात्मा से भाग्यका वर्सा प्राप्त कर रहीं हूँ।
मैं किसकी हूँ?
आत्मा की बाबा से रूहरिहान:
मीठे बाबा - गुड मॉर्निंग। बाबा! मुझे स्नेह भरे ईश्वरिये ब्राह्मण परिवार के सम्बंध-सम्पर्क में लाने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद। बाबा आपने मुझे केवल यह ही ज्ञान नहीं दिया कि मैं एक महान आत्मा हूँ बल्कि यह भी समझाया है कि मैं आपकी बच्ची हूँ। आपके साथ मात-पिता और बच्ची का सम्बंध जोड़ते ही मेरा सारे ईश्वरीय परिवार के साथ एक रूहानी और पवित्र भाई-बहन का सम्बंध जुड़ गया है। बाबा की आत्मा से रूहरिहान:
मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो। क्या तुमने कभी स्वप्न में भी सोचा कि तुम्हे मेरा वारिस बनने का सौभाग्य प्राप्त होगा? मेरी सम्पूर्ण संपत्ती के तुम अधिकारी बन गये हो। मैं तुम बच्चों को माता-पिता और बालक के सम्बंध का अनुभव कराने और तुम्हे तुम्हारा वर्सा देने के लिये इस सृष्टि पर अवतरित हुआ हूँ। तुम्हेयह भाग्य ईश्वरीय परिवार से जुड़ते ही प्राप्त होता है।दुख की दुनिया को छोड़ सुखमई संसार की ओर तुमजारहे हो। सर्वोच्च ईश्वरिये मरियादाओं का पालन करके तुम मरियादा-पुरुषोत्तम बनते जा रहे हो।
बाबा से प्रेरणाऐ:
अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा में लगाऐं। बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स में मैं बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ।
बाबा से वरदान:
सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं –
स्नेह के सागर और स्नेह संपन्न नदियों का मेलाहोता है तो नदीभी बाप समान मास्टरस्नेह का सागर बनजाती है। तुम मास्टर स्नेहके सागर सर्व को स्नेह भरी पालना के पवित्र धागे से बाँध रही हो और सब आत्माओं की मनोकामनाओं को पूर्ण कर रही हो। तुम सबको अपने पन की भासना का अनुभव करा रही हो और सभी को बाबा के दिल तख्त की ओर ले जा रही हो जहाँ उनकी पालना औरविकास हो रहा है।
बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट - प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)
बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा, वरदाता बन, मैं पूरे विश्व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता ड्रेस पहन कर मैं विश्व भ्रमण करते हुए सर्व आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।
रात्रि सोने के पहले
आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं। किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नहीफंसी? अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।
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