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6-6-2012 HINDI MURLI
6-6-2012
Question: The unlimited Father has stepchildren as well as real children. Who are real children and who are stepchildren?
Answer: Those who follow Baba’s shrimat, who tie atrue rakhi of purity, who have the faith that they will surely take the unlimited inheritance; children with such faith in the intellect are real children. Stepchildren are those who follow the dictates of their own minds; sometimes they have faith, sometimes doubt. They even break the promise they make. The duty of worthy children is to listen to and follow all of Baba’s directions. The first direction Baba gives is: Sweet children, now tie a true rakhi of purity and finish any impure attitude.
Song : Awaken o brides, awaken! The new age is about to come.
Essence for dharna:
1. You now have to tie the bond of purity. Shed body consciousness and transform impureattitudes .
2. Follow Baba’s shrimat and become a worthy child. You have to drink the nectar of knowledge and also give it to others. Imbibe the fragrance of knowledge and become a fragrant flower.
Blessing: May you move forward through your words and activity based on truth and good manners and become an embodiment ofsuccess .
Always remember that thesign of truth is having good manners. If you have the power of truth, you should never leave your good manners behind. You may prove the truth, but do it with good manners. The sign of good manners is humility and the sign of a lack of good manners is being stubborn. When your words and activity are based on good manners, you will receive success. This is the means of moving forward. If you have truth but do not have good manners you won’t then receive success.
Slogan : Remain light in your relationships, connections and your stage but not in your timetable.
उत्तर: जो बाप की श्रीमत पर चलते हैं, पवित्रता की पक्की राखी बांधी हुई है। निश्चय है कि हम बेहद का वर्सा लेकर ही रहेंगे। ऐसे निश्चय बुद्धि बच्चे मातेले बच्चे हैं। और जो मनमत पर चलते, कभी निश्चय, कभी संशय, प्रतिज्ञा करके भी तोड़ देते हैं वह हैं सौतेले। सपूत बच्चों का काम है बाप की हर बात मानना। बाप पहली मत देते हैं मीठे बच्चे, अब प्रतिज्ञा की सच्ची राखी बांधो, विकारी वृत्ति को समाप्त करो।
गीत:- जाग सजनियां जाग..
धारणा के लिए मुख्य सार-
1) अब पवित्रता का हथियाला बांधना है। देह-अभिमान को छोड़ विकारी वृत्तियों को चेंज करना है।
2) बाप की श्रीमत पर चल सपूत बच्चा बनना है। ज्ञान अमृत पीना और पिलाना है। स्वयं में ज्ञान की खुशबू धारण कर खूशबूदार फूल बनना है।
वरदान: सत्यता के साथ सभ्यता पूर्वक बोल और चलन से आगे बढ़ने वाले सफलतामूर्त भव
सदैव याद रहे कि सत्यता की निशानी है सभ्यता। यदि आप में सत्यता की शक्ति है तो सभ्यता को कभी नहीं छोड़ो। सत्यता को सिद्ध करो लेकिन सभ्यतापूर्वक। सभ्यता की निशानी है निर्मान और असभ्यता की निशानी है जिद। तो जब सभ्यता पूर्वक बोल और चलन हो तब सफलता मिलेगी। यही आगे बढ़ने का साधन है। अगर सत्यता है और सभ्यता नहीं तो सफलता मिल नहीं सकती।
स्लोगन: सम्बन्ध-सम्पर्क और स्थिति में लाइट रहो-दिनचर्या में नहीं।
Essence: Sweet children, you should not debate too much with anyone. Just give the introduction of the Father to everyone.
Question: The unlimited Father has stepchildren as well as real children. Who are real children and who are stepchildren?
Answer: Those who follow Baba’s shrimat, who tie a
Essence for dharna:
1. You now have to tie the bond of purity. Shed body consciousness and transform impure
2. Follow Baba’s shrimat and become a worthy child. You have to drink the nectar of knowledge and also give it to others. Imbibe the fragrance of knowledge and become a fragrant flower.
Blessing: May you move forward through your words and activity based on truth and good manners and become an embodiment of
Always remember that the
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हें किसी से भी जास्ती डिबेट नहीं करनी है, सिर्फ बाप का परिचय सबको दो''
प्रश्न: बेहद के बाप को मातेले बच्चे भी हैं तो सौतेले भी हैं, मातेले कौन?
प्रश्न: बेहद के बाप को मातेले बच्चे भी हैं तो सौतेले भी हैं, मातेले कौन?
उत्तर: जो बाप की श्रीमत पर चलते हैं, पवित्रता की पक्की राखी बांधी हुई है। निश्चय है कि हम बेहद का वर्सा लेकर ही रहेंगे। ऐसे निश्चय बुद्धि बच्चे मातेले बच्चे हैं। और जो मनमत पर चलते, कभी निश्चय, कभी संशय, प्रतिज्ञा करके भी तोड़ देते हैं वह हैं सौतेले। सपूत बच्चों का काम है बाप की हर बात मानना। बाप पहली मत देते हैं मीठे बच्चे, अब प्रतिज्ञा की सच्ची राखी बांधो, विकारी वृत्ति को समाप्त करो।
गीत:- जाग सजनियां जाग..
धारणा के लिए मुख्य सार-
1) अब पवित्रता का हथियाला बांधना है। देह-अभिमान को छोड़ विकारी वृत्तियों को चेंज करना है।
2) बाप की श्रीमत पर चल सपूत बच्चा बनना है। ज्ञान अमृत पीना और पिलाना है। स्वयं में ज्ञान की खुशबू धारण कर खूशबूदार फूल बनना है।
वरदान: सत्यता के साथ सभ्यता पूर्वक बोल और चलन से आगे बढ़ने वाले सफलतामूर्त भव
सदैव याद रहे कि सत्यता की निशानी है सभ्यता। यदि आप में सत्यता की शक्ति है तो सभ्यता को कभी नहीं छोड़ो। सत्यता को सिद्ध करो लेकिन सभ्यतापूर्वक। सभ्यता की निशानी है निर्मान और असभ्यता की निशानी है जिद। तो जब सभ्यता पूर्वक बोल और चलन हो तब सफलता मिलेगी। यही आगे बढ़ने का साधन है। अगर सत्यता है और सभ्यता नहीं तो सफलता मिल नहीं सकती।
स्लोगन: सम्बन्ध-सम्पर्क और स्थिति में लाइट रहो-दिनचर्या में नहीं।
5-6-2012
[05-06-2012]
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मणों को बेहद के बाप से 21 जन्मों का पूरा वर्सा लेने के लिए श्रीमत पर जरूर चलना है''
प्रश्न: तुम बच्चे कौन सी तैयारी कर रहे हो? तुम्हारा प्लैन क्या है?
उत्तर: तुम अमरलोक में जाने के लिए तैयारी कर रहे हो। तुम्हारा प्लैन है भारत को स्वर्ग बनाने का। तुम अपने ही तन-मन-धन से इस भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा में लगे हो। तुम बाप के साथ पूरे मददगार हो। अहिंसा के बल से तुम्हारी नई राजधानी स्थापन हो रही है। मनुष्य तो विनाश के लिए प्लैन बनाते रहते हैं।
गीत:- माता ओ माता...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सच्चे-सच्चे ब्राह्मण बन इस रूद्र ज्ञान यज्ञ की सम्भाल भी करनी है और साथ-साथ जैसे व्यक्त ब्रह्मा अव्यक्त बनता है, ऐसे अव्यक्त बनने का पुरूषार्थ करना है।
2) 21 जन्मों तक सुखी बनने के लिए इस एक जन्म में बाप से पावन रहने की प्रतिज्ञा करनी है। काम चिता को छोड़ ज्ञान चिता पर बैठना है। श्रीमत पर जरूर चलना है।
वरदान: नॉलेजफुल बन हर कर्म के परिणाम को जान कर्म करने वाले मास्टर त्रिकालदर्शी भव
त्रिकालदर्शी बच्चे हर कर्म के परिणाम को जानकर फिर कर्म करते हैं। वे कभी ऐसे नहीं कहते कि होना तो नहीं चाहिए था, लेकिन हो गया, बोलना नहीं चाहिए था, लेकिन बोल लिया। इससे सिद्ध है कि कर्म के परिणाम को न जान भोलेपन में कर्म कर लेते हो। भोला बनना अच्छा है लेकिन दिल से भोले बनो, बातों में और कर्म में भोले नहीं बनो। उसमें त्रिकालदर्शी बनकर हर बात सुनो और बोलो तब कहेंगे सेंट अर्थात् महान आत्मा।
स्लोगन: एक दो को कॉपी करने के बजाए बाप को कॉपी करो तो श्रेष्ठ आत्मा बन जायेंगे।
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मणों को बेहद के बाप से 21 जन्मों का पूरा वर्सा लेने के लिए श्रीमत पर जरूर चलना है''
प्रश्न: तुम बच्चे कौन सी तैयारी कर रहे हो? तुम्हारा प्लैन क्या है?
उत्तर: तुम अमरलोक में जाने के लिए तैयारी कर रहे हो। तुम्हारा प्लैन है भारत को स्वर्ग बनाने का। तुम अपने ही तन-मन-धन से इस भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा में लगे हो। तुम बाप के साथ पूरे मददगार हो। अहिंसा के बल से तुम्हारी नई राजधानी स्थापन हो रही है। मनुष्य तो विनाश के लिए प्लैन बनाते रहते हैं।
गीत:- माता ओ माता...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सच्चे-सच्चे ब्राह्मण बन इस रूद्र ज्ञान यज्ञ की सम्भाल भी करनी है और साथ-साथ जैसे व्यक्त ब्रह्मा अव्यक्त बनता है, ऐसे अव्यक्त बनने का पुरूषार्थ करना है।
2) 21 जन्मों तक सुखी बनने के लिए इस एक जन्म में बाप से पावन रहने की प्रतिज्ञा करनी है। काम चिता को छोड़ ज्ञान चिता पर बैठना है। श्रीमत पर जरूर चलना है।
वरदान: नॉलेजफुल बन हर कर्म के परिणाम को जान कर्म करने वाले मास्टर त्रिकालदर्शी भव
त्रिकालदर्शी बच्चे हर कर्म के परिणाम को जानकर फिर कर्म करते हैं। वे कभी ऐसे नहीं कहते कि होना तो नहीं चाहिए था, लेकिन हो गया, बोलना नहीं चाहिए था, लेकिन बोल लिया। इससे सिद्ध है कि कर्म के परिणाम को न जान भोलेपन में कर्म कर लेते हो। भोला बनना अच्छा है लेकिन दिल से भोले बनो, बातों में और कर्म में भोले नहीं बनो। उसमें त्रिकालदर्शी बनकर हर बात सुनो और बोलो तब कहेंगे सेंट अर्थात् महान आत्मा।
स्लोगन: एक दो को कॉपी करने के बजाए बाप को कॉपी करो तो श्रेष्ठ आत्मा बन जायेंगे।
[02-06-2012]
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - सच्चे बाप को अपना सच्चा-सच्चा पोतामेल दो, हर बात में श्रीमत लेते रहो, इसमें ही तुम्हारा कल्याण है''
प्रश्न: अभी तुम कौन सा सौदा किस विधि से करते हो?
उत्तर: सरेन्डर बुद्धि बन कहते हो बाबा मैं आपका हूँ, यह तन-मन-धन सब आपका है। बाबा फिर कहते बच्चे स्वर्ग की बादशाही आपकी है। यह है सौदा। परन्तु इसमे सच्ची दिल चाहिए। निश्चय भी पक्का चाहिए। अपना सच्चा-सच्चा पोतामेल बाप को देना है।
गीत:- तुम्हीं हो माता पिता...
ओम् शान्ति | बाप बैठ बच्चो को
समझाते हैं – बच्चे जानते है. अभी हम ब्रह्मकुमार कुमारियाँ श्रीमत का अर्थ तो जान
चुके है| शिवबाबा की मत से हम फिर से आदि सनातन देवी – देवता धर्म की स्थापना कर
रहे है | यह तुम हर एक को पता है- बरोबर कल्प-कल्प परमपिता परमात्मा आ करके
ब्रह्मा द्वारा बच्चे एडोप्ट करते है | तुम एडोपटेड ब्राह्मण ठहरे | गोद ले हुई है
| अदि सनातन देवी देवता धर्म जो प्राय: लोप हो चूका है, वह श्रीमत पर हम फिर से
स्थापन कर रहे है और हुबहू कल्प पहले मुआफिक. जो भी एक्ट चलती है, शिक्षा मिलती
है. कल्प पहले मुआफिक ड्रामा अनुशर हम एक्ट कर रहे है | जानते है हम श्री मत पर
अपना देवी स्वराज्य स्थापन कर रहे है | जो जो जितना पुरषार्थ करेगें क्योकि सेना
में कोई सतोप्रधान पुरुषार्थी, कोई सतो, कोई रजो प्रुशार्थी है | कोई महारथी, कोई
घुडस्वार, कोई प्यादे यह नाम दिए जाते है | बच्चो को कुशी होती
है, हम गुप्त है | स्थूल हथियार अदि कुछ चलने नहीं है | देवियों को हथियार अदि जो
देकते है वह है ज्ञान के अस्त्र शस्त्र | हथियारों का जिस्मानी बाहुबल हो गया |
मनुष्यों को यह पता ही नहीं है कि स्थूल तलवार अदि नहीं उठाते है, इनको ज्ञान के
बाण कहा जाता है | चतुर्भुज में जो अलंकार दिखाते है, उसमें भी ज्ञान का शंख है |
ज्ञान का चक्र, ज्ञान की गदा है | सब ज्ञान कि बाते है | समझाया जाता है, ग्रहस्थ
व्यहार में कमल फूल समान रहो तो कमल फूल भी देते है | अभी तुम प्रक्टिकल एक्ट में
हो | कमल फूल समान ग्रहस्थ व्यहार में रहते हुए तुम्हारी बुधि में ज्ञान है हम एक
बाप को याद करते हैं | यह कर्मयोग सन्यास है | अपनी रचना कि भी सम्भाल करनी है |
अभी तुम समझते हो कि पहले दुःख का ही व्यवहार था | एक दो को दुःख ही देते रहते थे
| यहाँ का सुख तो काग विष्टा समान छी छी है| विष्टा के कीडे. बन गए हैं | बच्चे
समझते है रात दिन का फर्क है | बाप हमें स्वर्ग का मालिक बनाते हैं | अभी हम नर्क
के मालिक है | नर्क में क्या सुख होगा | तुम बच्चे यह सुनते और समझते हो | बाप बच्चों
को यह नोलेज समझा रहे हैं बच्चो के लिए ही स्वर्ग है बच्चे ही अच्छी रीति समझते
होंगे नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार | पहले पहले तो निश्चय चाहिए | निश्च्य बुधि
विजेयंती | निश्चय पक्का होगा तो वह निश्चय में ही रहेगा | एक तो शिव बाबा कि याद
रहेगी और खुशी का पारा चढ़ा रहेगा | सरेंडर बुधि भी होगा | कहते है बाबा मैं आप का
हूँ | यह तन मन धन सब आप का है | बाप भी कहते है – स्वर्ग कि बादशाही आप कि है |
देखो , सोदा कैसा है | सच्चा बच्चा बनना पड़े | बाप को सब मालूम पड़े कि बच्चे के
पास क्या है ? हम क्या देते है ! तुम्हारे पास क्या है ? बाप अच्छी रीति समझाते है
|
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) अन्दर में कोई भी काम या क्रोध का अवगुण है तो उसे निकाल सच्चा-सच्चा खुदाई खिदमतगार बनना है। तूफानों में खबरदार रहना है। हार नहीं खानी है।
2) बाप के डायरेक्शन से सुदामें मिसल चावल मुट्ठी दे 21 जन्मों की बादशाही लेनी है।
वरदान: ब्राह्मण सो फरिश्ता सो जीवन-मुक्त देवता बनने वाले सर्व आकर्षण मुक्त भव
संगमयुग पर ब्राह्मणों को ब्राह्मण से फरिश्ता बनना है, फरिश्ता अर्थात् जिसका पुरानी दुनिया, पुराने संस्कार, पुरानी देह के प्रति कोई भी आकर्षण का रिश्ता नहीं। तीनों से मुक्त इसलिए ड्रामा में पहले मुक्ति का वर्सा है फिर जीवनमुक्ति का। तो फरिश्ता अर्थात् मुक्त और मुक्त फरिश्ता ही जीवनमुक्त देवता बनेंगे। जब ऐसे ब्राह्मण सो सर्व आकर्षण मुक्त फरिश्ता सो देवता बनों तब प्रकृति भी दिल व जान, सिक व प्रेम से आप सबकी सेवा करेगी।
स्लोगन: अपने संस्कारों को इज़ी (सरल) बना दो तो सब कार्य इज़ी हो जायेंगे।
आपको सदेव इसी प्रकार मुरली मिलती रहेगी
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