Om Shanti
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कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 
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राजयोग ( विस्तार से )


RAJYOGA SHIVIR PRAVACHAN - Usha Behen


Rajyoga Shivir is a Seven day basic course to learn Rajyoga Meditation. This Rajyoga course can be done from any of the Brahmakumaris Local Branches. The following sessions also cover Complete Rajyoga Course.

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राजयोग कोर्स


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राजयोग ज्ञान

``योग`` शब्द ही - मनुष्य को अलौकिकता की ओर प्रेरित करता है. आज विश्व में योग विद्या के अभाव के कारण ही बेचौनी, परेशानी व तनाव का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. योग अत्यन्त प्राचीन प्रणाली है. भारत के प्राचीन योग की ख्याति समस्त विश्व तक पहुँची हुई है. इसलिए विश्व के अनेक प्राणियों में योगाभ्यास सीखने की आकांक्षा है

योग की प्रख्याति के कारण समयोपरान्त इसके विविध स्वरुप सामने आये. यद्यपि योग अभ्यास की विधि एक ही है, परन्तु आत्मा और परमात्मा की भिन्न-भिन्न व्याख्याओं के कारण मनुष्यों ने अनेक प्रकार के योगांे का प्रतिपादन किया. धीरे-धीरे योग अभ्यास मनुष्य के लिए कठिन होता गया और योग का स्थान हटयोग व योग आसनों ने लिया तथा आजकल मनुष्य योग को केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ही हितकर मानने लगा. यह सत्य उससे विस्मृत हो गया कि योग पूर्णतया आध्यात्मिक विद्या है.
योग विद्या लोप होने के साथ-साथ संसार से सत्य धर्म भी लोप होता गया और धर्म की ग्लानि की स्थिती आ पहुँची. संसार से वास्तविक धर्म व अध्यात्म समाप्त हो गया और मानवता का भविष्य पूर्णतया अंधकार मे नज़र आने लगा. हम सब कलियुग के अन्तिम चरण में पहॅुंच गये. तब योगेश्वर, ज्ञान-सागर परमात्मा ने स्वयं प्रजापिता ब्रह्मा के मुखारविन्द द्वारा सत्य व सम्पूर्ण योग सिखाया जिसे राजयोग की संज्ञा दी गई क्योंकि इससे मनुष्यात्मा पहले अपनी कर्मेन्द्रियों का राजा बन जाती है फिर उसे स्वर्ग का सम्पूर्ण सतोप्रधान राज्य प्राप्त हो जाता है. परमात्मा द्वारा सिखाये गये उस सहज राजयोग का ही इस पुस्तिका में उल्लेख है.

परमात्मा ने अति सहज योग सिखाया इसलिए इस योग में मन्त्र, प्राणायाम व आसनों की आवश्यकता नहीं पड़ती. इस योग का अभ्यास विश्व का हर प्राणी कर सकता है. यह राजयोग वास्त में मनुष्य को कर्म-कुशल बनाता है और कलियुग के इस दूषित वातावरण मे सन्तुलित जीवन जीने की कला भी सिखाता है. इस राजयोग के अभ्यास से अन्तरात्मा की गुप्त शक्तियाँ जागृत हो जाती है ओर उससे अनेक गुणांे, कलाओं व विशेषताओं का आविर्भाव होने लगता है. यह राजयोग मनुष्य के कुशल प्रशासन की कला भी सिखाता है और मन में बौठे विकारों के कीटाणुओं को नष्ट करने में सक्षम भी बनाता है. अगर जिज्ञासु इस राजयोग का एकाग्रता से अभ्यास करे और जीवन को अन्तर्मुखी बनाकर, ताये गये नियमों का पालन करे तो उस जीवन मे अत्याधिक परमानन्द व जीवन के सच्चे सुख की अनुभूति होगी.

अन्त में हम आशा करते है कि इस योग के अभ्यास से मनुष्यात्माएं अपने परमपिता से मिलन का अनुभव करेंगी और अभ्यास द्वारा इस योगाग्नि में अपने जन्म-जन्म के पापों को नष्ट करके एक स्वच्छ व निर्विकारी जीवन बनायेंगी तथा अन्त में कर्मातीत स्थिती को प्राप्त करेंगी.
अधिक जानकारी के लिए लिंक http://www.bkvarta.com/

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