Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

26-6-2012 MURLI HINDI AND ENGLISH

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - स्वयं को 21 जन्मों के लिए स्वराज्य तिलक देना है तो देह सहित देह का सब भान भूल एक बाप को याद करो'' 

प्रश्न: गरीब बच्चों की किस सयानप (समझदारी) से बाप खुश होते हैं, उन्हें कौन सी राय देते हैं? 

उत्तर: गरीब बच्चे - जो अपना ठिक्कर ठोबर (कौड़ियां) बाबा की सेवा में सफल कर, भविष्य 21 जन्मों के लिए अपना भाग्य जमा कर लेते हैं, बाबा भी उन बच्चों की इस सयानप से बहुत खुश होते हैं। बाबा फिर ऐसे बच्चों को फर्स्टक्लास राय देते - बच्चे तुम ट्रस्टी बनो। अपना नहीं समझो। बच्चों आदि को भी ट्रस्टी होकर सम्भालो। ज्ञान से तुम अपनी जीवन का सुधार कर राजाओं का राजा बनो। 

गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ... 

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अन्दर से भूतों को निकाल नर से नारायण बनने के लायक बनना है, दिल दर्पण में देखना है, हम कहाँ तक लायक बने हैं। 
2) अपने को आत्मा समझ अशरीरी बन बाप को याद करना है। शरीर का भान न रहे - इसका अभ्यास करना है। 

वरदान: बुराई में भी बुराई को न देख अच्छाई का पाठ पढ़ने वाले अनुभवी मूर्त भव 

चाहे सारी बात बुरी हो लेकिन उसमें भी एक दो अच्छाई जरूर होती हैं। पाठ पढ़ाने की अच्छाई तो हर बात में समाई हुई है ही क्योंकि हर बात अनुभवी बनाने के निमित्त बनती है। धीरज का पाठ पढ़ा देती है। दूसरा आवेश कर रहा है और आप उस समय धीरज वा सहनशीलता का पाठ पढ़ रहे हो, इसलिए कहते हैं जो हो रहा है वह अच्छा और जो होना है वह और अच्छा। अच्छाई उठाने की सिर्फ बुद्धि चाहिए। बुराई को न देख अच्छाई उठा लो तो नम्बरवन बन जायेंगे। 

स्लोगन: सदा प्रसन्नचित रहना है तो साइलेन्स की शक्ति से बुराई को अच्छाई में परिवर्तन करो। 

26-6-2012 MURLI
Essence: Sweet children, in order to claim the tilak of self-sovereignty for 21 births, forget the consciousness of the body including your own body and remember the one Father. 

Question: Which aspect of the poor children’s wisdom makes the Father happy, and what advice does He give to such children? 

Answer: The poor children who think that they should use all their worthless possessions in a worthwhile way in Baba’s service and accumulate their fortune for the future 21 births; Baba is very pleased on seeing the wisdom of such children. Baba gives them first-class advice: Children, become trustees. Do not consider things to be your own. Look after your children; look after everything as a trustee. Improve your life with knowledge and become kings of kings. 

Song: I have come having awakened my fortune. 

Essence for dharna: 
1. Remove the evil spirits that are in you and become worthy of changing from an ordinary man into Narayan. Check in the mirror of your heart and see to what extent you have become worthy. 
2. Consider yourself to be a soul and become bodiless and remember the Father. Practise forgetting the consciousness of the body. 

Blessing: May you be an image of experience who doesn’t see anything bad in something that is bad but learns the lesson of goodness. 

Even if something is completely bad, there must still be one or two good things about itself. Everything has within itself something merged to teach the lesson of goodness because everything becomes instrumental to make us experienced. It also teaches us the lesson of patience. At the time when someone is being forceful, you just learn the lesson of being patient and tolerant. This is why it is said that whatever is happening is good and whatever is still to happen will be even better. You simply need the intellect to pick up goodness. Do not see the bad things, but pick up the goodness instead and you will become number one. 

Slogan: In order to remain constantly happy transform bad things into something good with the power of silence. 




23-6-2012 MURLI HINDI AND ENGLISH


[23-06-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - याद में रह अपने विकर्मों की प्रायश्चित करो तो विकर्माजीत बन जायेंगे, पुराने सब हिसाब-किताब चुक्तू हो जायेंगे'' 
प्रश्न: किन बच्चों से हर बात का त्याग सहज हो जाता है? 
उत्तर: जिन बच्चों को अन्दर से वैराग्य आता है - वह हर बात का त्याग सहज ही कर लेते हैं, तुम बच्चों के अन्दर अब यह इच्छायें नहीं होनी चाहिए कि यह पहनूं, यह खाऊं, यह करूं... देह सहित सारी पुरानी दुनिया का ही त्याग करना है। बाप आये हैं तुम्हें हथेली पर बहिस्त देने तो इस पुरानी दुनिया से बुद्धियोग हट जाना चाहिए। 
गीत:- माता ओ माता.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) पुण्य आत्मा बनने के लिए याद की मेहनत करनी है। सब हिसाब-किताब समाप्त कर पास विद ऑनर हो इज्जत से जाना है इसलिए कर्मभोग से डरना नहीं है, खुशी-खुशी चुक्तू करना है। 
2) सदा इसी नशे में रहना है कि हम भविष्य प्रिन्स-प्रिन्सेज बन रहे हैं। यह है प्रिन्स-प्रिन्सेज बनने की कॉलेज। 
वरदान: अच्छे संकल्प रूपी बीज द्वारा अच्छा फल प्राप्त करने वाले सिद्धि स्वरूप आत्मा भव 
सिद्धि स्वरूप आत्माओं के हर संकल्प अपने प्रति वा दूसरों के प्रति सिद्ध होने वाले होते हैं। उन्हें हर कर्म में सिद्धि प्राप्त होती है। वे जो बोल बोलते हैं वह सिद्ध हो जाते हैं इसलिए सत वचन कहा जाता है। सिद्धि स्वरूप आत्माओं का हर संकल्प, बोल और कर्म सिद्धि प्राप्त होने वाला होता है, व्यर्थ नहीं। यदि संकल्प रूपी बीज बहुत अच्छा है लेकिन फल अच्छा नहीं निकलता तो दृढ़ धारणा की धरनी ठीक नहीं है या अटेन्शन की परहेज में कमी है। 
स्लोगन: दु:ख की लहर से मुक्त होना है तो कर्मयोगी बनकर हर कर्म करो। 

[23-06-2012]

Essence: Sweet children, repent sincerely for your sins by staying in remembrance and you will become conquerors of sinful actions and your past karmic accounts will be settled. 
Question: Which children are easily able to renounce everything? 
Answer: The children who have internal disinterest in everything are easily able to renounce everything. You children should no longer have any desire of wanting to wear, to eat, to do something etc. You have to renounce the whole world including your own body. The Father has come to give you heaven on the palms of your hands and so your intellect’s yoga should be removed from this old world. 
Song: Mother, o mother, you are the fortune of the world! 

Essence for dharna: 
1. In order to become a pure charitable soul, make effort to stay in remembrance. You have to settle your karmic accounts, pass with honours and return home with honour. Therefore, do not be afraid of the suffering of past actions, but settle your accounts in happiness. 
2. Always stay in the intoxication that you are becoming future princes and princesses. This is the college for becoming princes and princesses. 
Blessing: May you be a soul who is an embodiment of success and receives good fruit from the seed of good thoughts. 
All thoughts of a soul who is an embodiment of success for the self and others are successful. Such souls receive success in every action. Whatever words they speak also become practical and this is why they are said to be words of truth. Every thought, word and deed of souls who are embodiments of success prove to be practical and do not go to waste. If the seed of thought is very good, but the fruit that emerges is not good, then the soil of determined inculcation is not good or there is something lacking in paying attention. 
Slogan: In order to become free from waves of sorrow, be a karma yogi and then perform actions. 

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