Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

Parivartan


अवगुण और पुराने संस्कारबदलकर गुण
रोना व रुसनामैं आत्मा,खुशनुमा , हर्षित हूँ 
चिड़चिड़ापन, मूड ऑफ करनामैं आत्मा,मिलनसार, सदा खुश हूँ 
आवेश मे आनामैं आत्मा,अपने स्वमान कि सीट पर सेट हूँ 
फीलिंग मे आना, अपसेट होनामैं आत्मा,मास्टर शान्ति का सागर हूँ
नाराज़ होना, असंतुष्ट रहेनामैं आत्मा,संतुष्टमणी हूँ
फॅमिलियारिटीमैं आत्मा,सभी के प्रति समभाव और सम दृष्टि रखती  हूँ 
नाम- स्व  का आकर्षणमैं आत्मा,रूहानीयत और आत्मिक आकर्षण वाली  हूँ  
लगाव-झुकाव, प्रभावित होनामैं आत्मा,अनासक्त, उपराम, और नष्टोमोहा हूँ  
आलस्य , अलबेलापन, सुस्तीमैं आत्मा,तीव्र पुरुषार्थी हूँ
१०बेदरकार, ज़िम्मेवारी ना संभालना, गेर ज़िम्मेदारीमैं आत्मा,सावधान ख़बरदार एक्यूरेट अलर्ट और जिम्मेदार हूँ
११डांटनामैं आत्मा,स्नेह, प्यार और शान्ति से चलने वाला हूँ
१२तिरस्कार, घृणा, नफ़रत करना   मैं आत्मा,आत्मिक प्यार रखने वाला स्नेही हूँ
१३व्यर्थ बातों में  रूचि रखनामैं आत्मा,स्वचिन्तन और ज्ञानचिंतनमें बिजी रहनेवाला समर्थस्वरूप हूँ 
१४अपमानमैं आत्मा,सर्व को  मान और सन्मान देता हूँ 
१५डिसरिगार्ड करना, बेइज़्ज़ती करनामैं आत्मा,सर्व को  रिगार्ड और सत्कार देने वाली हूँ 
१६ज़िद्द  करनामैं आत्मा,सहमती से  संगठन बना कर चलने वाला हूँ
१७अपनी बातों को सिद्ध करनामैं आत्मा,बाप को प्रत्यक्ष करने वाला हूँ 
१८उदास, निराश होना, दिलशिकस्त होनामैं आत्मा,उमंग, उत्साह, हिम्मत और साहस के पंखो पर उड़ने वाला हूँ 
१९भय, दर, घभराहट   मैं आत्मा,निडर निर्वेर निर्भय निश्चिंत  हूँ 
२०परेशन होना, परेशन करनामैं आत्मा,शान्त शीतल निर्मल और सहयोगी हूँ
२१लालच करनामैं आत्मा,निर्लोभी निर्मोही निर्क्रोधी, इच्छा मात्रम अविद्या हूँ
२२आसक्ति रखनामैं आत्मा,अनासक्त, उपराम लगाव मुक्त शक्ति स्वरूप हूँ
२३संग्रह करनेकी वृतिमैं आत्मा,ज्ञान रत्नों का सग्रह करने वाली हूँ 
२४मांगने के  संस्कारमैं आत्मा,मास्टर दाता हूँ
२५तंग करना, दुःख देनामैं आत्मा,दुःख ना देनवाली,   दुःख ना लेनेवाली, सुख बाँटने वाली हूँ
२६इन्डिपेनडेन्ट रहने का संस्कारमैं आत्मा,स्नेही हूँ सहयोगी हूँ सिद्धि स्वरुप हूँ
२७स्ट्रिक्ट (कड़े) रहने का  संस्कारमैं आत्मा,रहम दिल नम्र दिल हूँ
२८आराम पसंदी, ज़्यादा सोने का संस्कारमैं आत्मा,४ या ५ धंटे सोने वाली अथक अलर्ट और एक्टिव  हूँ......... 
२९नाज़ुकपनमैं आत्मा,शक्तिशाली दुर्गा हूँ ......चतुर्भुज  विष्णु  हूँ...........
३०काम अधूरा छोडना वा रुचिपूर्वक कार्य ना करनामैं आत्मा,हर कार्य दिलसे, विधि पूर्वक करनेवाली, सिद्धिस्वरूप हूँ 
३१बदला लेनामैं आत्मा,बीती सो बीती समझनेवाली क्षमा मूर्त हूँ
३२गिरानेकी वृति, ठुकराने की भावनामैं आत्मा,परोपकारी हूँ... उपकारी हूँ ...गिरे हुए को उठाने वाली  हूँ 
३३निंदा ग्लानि करना, कॉमेंट क्रिटिसाइज़ करनामैं आत्मा,सभीकि विशेषतायें देखनेवाली, स्वचिन्तन&शुभचिंतन करती हूँ
३४हंसी  मज़ाक उड़ानामैं आत्मा,रोयल शान्त गंभीर और रमणीक हूँ
३५ज़्यादा बोलनेका संस्कार, अनावश्यक बोलमैं आत्मा,कम, धीरा, मीठा, सोचके , समझके सत्य बोलने वाली हूँ
३६कडुवा- पत्थर  बोल बोलनामैं आत्मा,वरदानी और मधुर वचन बोलनेवाली हूँ
३७गाली बोलना, बुरे वचन बोलनामैं आत्मा,शुभ बोल, ज्ञान के बोल बोलने   वाली हूँ
३८झूठ बोलनामैं आत्मा,सत्य वचन, शुभ वाणी, ज्ञान के मोती  सुनाने वाली  हूँ.
३९अत्याहार करना, बहुत भोजन खानामैं आत्मा,सात्विक और कम आहार फलाहार करने वाली हूँ
४०मिया मिटठू बनना| अपनी बडाई  करनेका संस्कारमैं आत्मा,निमित्त, हूँ, निर्मान हूँ, निर्मल हूँ
४१नवाबी  चलना, किसीसे सेवा लेनामैं आत्मा,मैं आत्मा सिम्पल और रोयल हूँ
४२ऑर्डर चलनामैं आत्मा,स्नेह प्यार से चलने  वाली  हूँ 
४३वाद, विवाद करना, बहस करनामैं आत्मा,अंतरमुखी हूँ 
४४मगरूरी करना, घमंडमैं आत्मा,देही अभिमानी हूँ , निरहंकारी, निर्मल, नम्र  हूँ
४५बुद्धि का अहममैं आत्मा,मन बुद्धि से सम्पूर्ण समर्पित हूँ 
४६भाव-स्वाभाव में  आना-टकराव होनामैं आत्मा,आत्मिक भाव वाला एकता एकमत सम्पूर्ण श्रीमत वाला हूँ 
४७गंदी तृष्णा, कामना रखनामैं आत्मा,ऊंच विचार और श्रेष्ठ कामनायें  वाली  हूँ
४८नमकहराम बनना;  वचन दे बदल जानामैं आत्मा,वफादार इमानदार अपने वचन पर पक्का हूँ 
४९अंदर एक, बाहर दूसरामैं आत्मा,सत्य हूँ, साफ़ हूँ, स्वच्छ हूँ, स्पष्ट हूँ
५०दिखावा, दंभ करना, ढोंग रचानामैं आत्मा,सहज सिम्पल सरल और गुप्त पुरुषार्थी हूँ 

सोलह रूहानी सृंगार


अब मनसा द्वारा सकाश देने की सेवा करो



मुरली की मस्तानी - मम्मा


मातेश्वरी जी का लौकिक जीवन-परिचय ( दादी शान्तामणी जी)





पत्र पुष्प जुलाई-2012 (PATR PUSHP)









स्लोगन (SLOGAN)



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