Swamaan / Sankalp / Slogan:
Swaroop Bano
November 8, 2012:
Song: Dheeraj
dhar manva.. धीरज धर मनुवा.... Have patience, o
man! Your days of happiness are about to come.
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http://www.youtube.com/watch?v=klQezXjw4S0&feature=email
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Points to Churn from the Murli of November 8, 2012
Praise of Baba:
The Ocean of Knowledge, the Incorporeal Purifier, the Supreme Father, and the Supreme Soul Shiv Baba is.... My Baba...Sweet Baba...Loving Baba...Kind-hearted Baba...Compassionate Baba...the True Father...the True Teacher...the Unlimited Father...
Points of Self-Respect and Soul Study:
We, the souls, points like sparkling stars, learn Raj Yoga from the Father...we are the master suns of knowledge who know the beginning, the middle and the end of the cycle, have faith in the self, faith in the Father, and faith in the drama and thereby establish our own divine kingdom...
Dharna: We, the souls, are the mouth-born creations of Brahma in the ascending stage...by making effort for the future births, we attain liberation and liberation-in-life, a high status and become the deities in the golden age...
Slogan: By being aware of our fortune and the Bestower of Fortune, we, the souls, in the beneficial confluence age, in the age of happiness, in the age of pleasure, in the age of the spring season, constantly remain happy and share the happiness with others... by being the children of the Ocean of Happiness, we become the master oceans of happiness... By being full with the nourishment and treasures of happiness, we, the fortunate and prosperous souls, radiate happiness and become healthy both physically and mentally...
ॐ शान्ति दिव्य फरिश्ते !!!
विचार सागर मंथन: नवंबर 8, 2012
बाबा की महिमा:
ज्ञान के सागर पतित पावन निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा...प्यारा बाबा...मीठा बाबा...दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु... बेहद का बाप...
स्वमान और आत्मा अभ्यास :
ज्ञान : मैं भी बिंदी, बाप भी बिंदी, ड्रामा भी बिंदी ...
हम आत्माएँ, बिंदी मिसल चमकते सितारे, बाप से राज योग सीखकर, आदि-मध्य-अंत का ज्ञान लेकर, बाप में, ड्रामा में, स्वयं में निश्चय रख अपनी दैवी राज धानी स्थापन करनेवाले मास्टर ज्ञान सूर्य हैं...
योग: मनमनाभव, मध्याजी भव;
बेहद के बाप और बेहद के सुख के वर्स से सम्बंध रख, हम आत्माएँ, चंचल मन, भटकती बुद्धि और पुराने संकारों के बंधनों से योग निकाल, मृत्युलोक, पुरानी दुनिया, रावण राज्य से ममत्व निकाल, सब भ्रमों से बुद्धि योग निकाल, एक बाप से सम्बन्ध जोड़ बुद्धि योग लगानेवाले, आसुरी बन्धन तोड़ ईश्वरीय सम्बन्ध जोडनेवाले, एक साजन की बन्धन मुक्त सजनियाँ हैं...
बाप की याद में रहकर सृष्टि का चक्र फिराकार, पवित्र, पावन,परम पूज्य बननेवाले, ईश्वर को यथार्थ रूप से जानने मानने और पहचानने वाले, नई दुनिया, राम राज्य से सम्बन्ध जोडनेवाले, नई दुनिया के मालिक हैं...
धारणा: हम आत्माएँ, ब्रह्मा मुख वंशावली चढ़ती कला वाले ब्राह्मण, भविष्य जन्म जन्मान्तर के लिए पुरुषार्थ कर मुक्ति जीवन मुक्ति पानेवाले, ऊँच मर्तबा वाले, सतयुगी देवता हैं...
सेवा: हम आत्माएँ, दूसरों को ज्ञान समझाकर अजामिल जैसे पापियों का उद्धार करनेवाले, ड्रामा अनुसार भारत को श्रीमत पर स्वर्ग बनानेवाले, 21 जन्मों के लिए विश्व के मालिक हैं...
वरदान: निश्चय बुद्धि विजयन्यि, संशय बुद्धि विनशांति...हम निश्चय बुद्धि आत्माएँ, व्यवहार वा परमार्थ के हर कार्य में सदा विजय की अनुभूती करनेवाले, स्वयं भगवान से मदद पाकर सर्व कार्य में विजय के अधिकारी, निश्चय और नशेवाले, निश्चिंत बेफ़िक्र बादशाह हैं...
स्लोगन : हम आत्माएँ, कल्याणकारी संगम के खुशी के युग में, मौजों के युग में , बहार के युग में, सदा खुशी में रहकर खुशी बाँटनेवाले, भाग्य और भाग्य विधाता को स्मृति में रख सदा खुश रहनेवाले, खुशियों के सागर के संतान, मास्टर खुशियों के सागर हैं..., खुशी की खुराक से तंदुरुस्त और मंदुरुस्त, सर्व खजाने से सम्पन्न, खुशाल, खुशनसीब, खुशकिस्मत, खुशनुमः हैं...
Om Shanti divya farishte !!!
Gyan ke Sagar Patit Paavan Niraakaar Parampita Paramatma Shiv Baba hain...Mera Baba...Pyaara Baba...Meetha Baba...Dayalu Baba...Kripalu Baba... Sat Baap...Sat Tichar...Sat Guru... Behad ka Baap...
Gyan : Main
bhi bindi, baap bhi bindi, drama bhi bindi ...
Hum atmaayen, bindi
misal chamakte sitare, baap se raj yog seekhkar, adi-madhy-ant ka gyan lekar, baap men, drama men, swayam men nishchay rakh apni
daivy raj dhaani sthaapan karnewale mastar gyan soory hain...
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Dhaarna: Hum atmaayen, brahma
mukh vansahaavali chadhti kala wale Brahman, bhavishy janm janmaantar ke liye
purushaarth kar mukti jeewan mukti paanewale, oonch martaba wale, satyugi devta
hain...
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Slogan: Hum
atmaayen, kalyaankaari sangam ke khushi ke yug men, moujon ke yug men
, bahaar ke yug men, sada khushi men rahkar khushi baatnewale, bhaagy aur
bhaagy vidhaata ko smriti men rakh sada khush rahnewale, khushiyon ke sagar
ke santan, mastar khushiyon ke sagar hain..., khushi ki khuraak se tandrust
aur mandrust, sarv khajaane se sampann, khushaal, khushnaseeb, khushkismat ,
khushnumah hain...
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62°00′N 06°47′W
Official language(s) Faroese Danish
Ethnic groups 91% Faroese
5.8% Danish
0.7% British
0.4% Icelandic
0.2% Norwegian
0.2% Polish
Demonym Faroese
Government Parliamentary democracy
under constitutional monarchy
- Queen Margrethe II
- High Commissioner Dan M. Knudsen
- Prime Minister Kaj Leo Johannesen
Population
- July 2011 estimate 49,267 (206th)
- 2007 census 48,760
Question: Which effort that isn't made throughout the whole cycle does the Father inspire you to make at the confluence age?
Answer: It is now that the Father inspires you to make effort to remove your intellect's yoga from all bondages and connect it in relationship (to the Father). It is only at this time that the relationship pulls you from the one side, and bondages pull you from the other side. This war continues to take place. This is the only time for coming out of devilish bondage and having a Godly relationship because it is only at this time that you know God accurately. By calling God omnipresent, instead of forging a relationship, you break the relationship and your intellect becomes non-loving. This is why it is only when you have accurate recognition that you can make effort to have a relationship.
Song: Have patience o mind! Your days of happiness are about to come.
Essence for dharna:
1. While in bondage in the land of death, remember the relationships of happiness. By considering yourself to be a soul, stop the wandering of your mind and intellect.
2. The old world is to end and you must therefore break your attachment to it. In order to remove your intellect’s yoga from all illusions, follow shrimat.
Blessing: May you have faith in the intellect and be victorious by keeping in your awareness that victory is fixed for every cycle.
Children who have faith in the intellect constantly experience victory in every activity of interaction with others and with God. No matter how ordinary the action may be, they definitely have a right to victory. They are never disheartened with themselves in any task because they have the faith that they are victorious every cycle. If those whose Companion is God do not experience victory, then who would? No one can prevent this destiny. This faith and intoxication make you carefree.
Slogan: Remain constantly healthy with the nourishment of happiness and happy with the treasure of happiness.
प्रश्न: बाप संगम पर तुम्हें कौन सा पुरुषार्थ कराते हैं, जो सारे कल्प में नहीं होता है?
उत्तर: बंधनों से बुद्धियोग निकाल सम्बन्ध से बुद्धियोग जोड़ने का पुरुषार्थ अभी बाप तुम्हें कराते हैं। इस समय ही एक तरफ तुम्हें सम्बन्ध खींचता तो दूसरे तरफ बंधन। यह युद्व चलती रहती है। आसुरी बंधन से ईश्वरीय सम्बन्ध में आने का यही समय है क्योंकि ईश्वर को यथार्थ रूप से तुम अभी जानते हो। ईश्वर को सर्वव्यापी कहने से सम्बन्ध ज़ुड़ने के बजाए टूट जाता है, बुद्धि विपरीत हो जाती है इसलिए जब यथार्थ पहचान मिली तो सम्बन्ध में आने का पुरुषार्थ करो।
गीत:- धीरज धर मनुआ ...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) मृत्युलोक के बंधनों में रहते सुख के सम्बन्ध को याद करना है। अपने को आत्मा समझ मन-बुद्धि को भटकाने से छुड़ाना है।
2) पुरानी दुनिया खत्म होनी है इसलिए इससे ममत्व मिटा देना है। सब भ्रमों से बुद्धियोग निकालने के लिए श्रीमत पर चलना है।
वरदान: कल्प-कल्प के विजय की नूंध को स्मृति में रख सदा निश्चिंत रहने वाले निश्चयबुद्धि विजयी भव
निश्चयबुद्धि बच्चे व्यवहार वा परमार्थ के हर कार्य में सदा विजय की अनुभूति करते हैं। भल कैसा भी साधारण कर्म हो, लेकिन उन्हें विजय का अधिकार अवश्य प्राप्त होता है। वे कोई भी कार्य में स्वयं से दिलशिकस्त नहीं होते क्योंकि निश्चय है कि कल्प-कल्प के हम विजयी हैं। जिसका मददगार स्वयं भगवान है उसकी विजय नहीं होगी तो किसकी होगी, इस भावी को कोई टाल नहीं सकता! यह निश्चय और नशा निश्चिंत बना देता है।
स्लोगन: सदा खुशी की खुराक द्वारा तन्दरुस्त, खुशी के खजाने से सम्पन्न खुशनुम: बनो।