Swamaan /
Sankalp / Slogan: Swaroop Bano
Points to Churn from the Murli of January 06, 2013
Praise of Baba:
The Ocean of Knowledge, the Incorporeal Purifier, the Supreme Father, and the Supreme Soul Shiv Baba is.... My Baba...Sweet Baba...Loving Baba...Kind-hearted Baba...Compassionate Baba...the True Father...the True Teacher...the Unlimited Father... the Almighty Authority...the Truth, the Living Being, the Blissful One and the Seed... the Bestower of Salvation...
Points of Self-Respect and Soul Study:
ॐ शान्ति दिव्य फरिश्ते !!!
विचार सागर मंथन: जनवरी 06, 2013
स्वमान और आत्मा अभ्यास :
1. हम आत्माएँ, नये वृक्ष की क़लम हैं....नया वृक्ष रोपण की आधारमूर्तियाँ हैं...नये वृक्ष की जड़ अर्थार्त फाउनडेशन हैं... स्नेह का रिटर्न विशाल कार्य में सहयोग देकर, सदा रहम दिल बन, विश्व कल्याणकारी स्थिति में स्थित होकर, अचल और अड़ोल रहकर, सदा शुभ चिंतन में रहकर, फुल स्टेज प्राप्त कर, सम्पन्न बन, फुल फोर्स से अपने तपस्वी रूप और योग अग्नि द्वारा पुराने वृक्ष को भस्म कर, ब्रह्मा बाप का संकल्प साकार करनेवाले, शुभ चिंतक बच्चे हैं...
2. सोचा और किया... प्लैइन और प्रैक्टिकल में समानता लाकर तीव्र गति से लश्कर तैयार करनेवाले, संकल्प और कर्म में समानता लाकर, निशाने के नज़दीक, हम आत्माएँ, सम्पूर्ण हैं...ऐसे सैंपल (नमूने) तैयार कर ओर पुरुषार्थीयों का पुरुषार्थ सिम्पल (आसान) करनेवाले, माया के तूफ़ानों से भी नहीं डरनेवाले, निरन्तर विजय की चैलेंज करनेवाले, निडर और निर्भय हैं...
3. हम आत्माएँ, बेहद के नशे और बेहद के सेवा के प्लैइन बनानेवाले, विश्व के मालिक हैं... बेहद की सेवा में सहयोग देनेका चांस लेकर सेवा का अनुभव करनेवाले,स्वयं को ओफेर कर आफ्रीन पानेवाले, अनुभवीमूर्त हैं... बेहद की बुद्धिवान, बंधनमुक्त विश्व के निमित्त मास्टर विश्व-शिक्षक हैं...ईश्वरीय सेवा अर्थ चक्कर लगानेवाले एवर-रेडी, चक्रवर्ती राजा हैं...
4. हम आत्माएँ, देह सहित सर्व सम्बन्ध, सम्पर्क, सब स्थूल और सूक्ष्म साधनों, वस्तु, वैभव, व्यक्ति से उपराम, बेहद के वैरागी हैं...एक बाप में बुद्धि जोड़ने वाले, सर्व लगाव, झूकाव, प्रभाव से परे, नष्टो मोहा स्मृति लब्धा हैं ... अपनी आप की लगाव से परे, अपनी ज्ञान की विशेषता से परे, अपनी अच्छी सेवा की लगाव से परे, अपनी सर्व विशेषताओं से परे बन, बपदादा की देन समझकर, निमित्त भाव रख नम्र हैं, निर्मान हैं, निर्मल हैं...
5. हम आत्माएँ, मनमनाभव के महामन्त्र से, और श्रीमत पर चलने से, संगमयुगी मर्यादा पुरुषोत्तम ब्राह्मण हैं... अपने को कोटो में कोई, देव आत्माएँ, महान आत्माएँ, विशेष पार्टधारी आत्माएँ समझकर सदा शुद्ध फीलिंग में रहनेवाले, व्यर्थ फीलिंग की फ़्लू की बीमारी ख़त्म कर, मेहनत से बचकर, सदा स्वयं को वरदनों से पालने की फीलिंग में रहकर सेवा में सफलता पानेवाले, सफलता मूर्त हैं...
Om Shanti divya farishte !!!
Gyan ke Sagar Patit Paavan Niraakaar Parampita Paramatma Shiv Baba hain...Mera Baba...Pyaara Baba...Meetha Baba...Dayalu Baba...Kripalu Baba... Sat Baap...Sat Tichar...Sat Guru... Behad ka Baap... Sarv shakti maan...Sat Chit Anand Swaroop...Beejroop...Sadgati Data...
In the daily murlis,
Bapdada gives vardaan to the entire Bramin family spread all over the world. Baba
also remarked in the murli, dated 7-1-2012 that serviceable children will make
cartoons after listening to the murli. Visualization makes remembrance of
the blessing throughout the day easier and thus makes it more fruitful.
06-01-2013:
The bad
state of the kalpa tree as seen through the eyes of the Seed of the Tree.
06-01-2013:
January 06, 2013
हम
आत्माएँ, संगमयुगी
मर्यादा पुरुषोत्तम ब्राह्मण हैं...
We, the souls, the Brahmins of the confluence age, are the most
elevated beings following the highest code of conduct...
Hum atmaayen, sangamyugi maryaada purushottam Brahmin hain...
Points are in 3 languages: Hindi, English and Hinglish (Hindi
written in English Script) Please scroll down to the language of your choice.
Om Shanti Divine Angels!!!
Points to Churn from the Murli of January 06, 2013
Praise of Baba:
The Ocean of Knowledge, the Incorporeal Purifier, the Supreme Father, and the Supreme Soul Shiv Baba is.... My Baba...Sweet Baba...Loving Baba...Kind-hearted Baba...Compassionate Baba...the True Father...the True Teacher...the Unlimited Father... the Almighty Authority...the Truth, the Living Being, the Blissful One and the Seed... the Bestower of Salvation...
Points of Self-Respect and Soul Study:
1.
We, the souls, are
the saplings of the new tree...we are the images of support though whom the
tree planting ceremony takes place...we are the roots, that is, the foundation
of the new tree... we
give the return of love by being co-operative in the unlimited task of
destruction...we are the children who are constantly merciful, stable in the
stage of being world benefactors, remain unshakeable and immovable, and
maintain good wishes for self and for
others...by attaining our full stage and making ourselves complete, we finish the old tree with full force through our tapaswi forms and the fire of
yoga, and put Brahma Baba’s thoughts into a practical form...
2.
We,
the souls, do something practically as soon as we think about it... by making
our plans and practical forms equal, we intensify the speed of preparing the
army...by having equality in our thoughts and actions, we come close to our
goal of becoming perfect...we create samples such that the efforts of other
effort-makers becomes simple...by being brave and fearless, we are not afraid
of the storms of Maya and constantly issue challenges to be victorious...
3.
We,
the souls, are the masters of the world doing unlimited service with unlimited
intoxication...by taking the chance of giving co-operation in unlimited
service, we become experienced, and become the images of many experiences...by
offering ourselves, we receive thanks...by becoming intellectual in an
unlimited way, we become free from bondages, and master teachers of the world
who are the instruments for the world...by being ever-ready to tour around for
Godly service, we become the rulers of the globe...
4.
By
being beyond the consciousness of our body, our relationships and connections,
the physical and subtle facilities, material things, comforts and individuals,
we, the souls, have unlimited disinterest...by connecting our intellect with
the One Father, we become the destroyers of attachment and the embodiments of
remembrance, beyond all attachments, inclinations and influences...by being
beyond attachment for the self, our specialty of knowledge, the good service we
do, and all other specialties, by considering these to be special gifts from
Bapdada, by keeping the feeling of being instruments, we become humble, clean and
polite...
5.
With
the great mantra of Manmanabhav, and by following shrimat, we, the souls, the
Brahmins of the confluence age, become the most elevated beings following the
highest code of conduct... by considering ourselves to be elevated souls, few
out of multi millions, deity souls, great souls, special actors, we maintain
pure feelings...by not having any impure feelings, we are saved from the
illness of any “flu”, that is, saved from labouring...by constantly
experiencing ourselves to be sustained by blessings, we attain success in
service and become the images of success..
ॐ शान्ति दिव्य फरिश्ते !!!
विचार सागर मंथन: जनवरी 06, 2013
बाबा की महिमा:
ज्ञान के सागर पतित पावन निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा...प्यारा बाबा...मीठा बाबा...दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु... बेहद का बाप... सर्वशक्तिमान...सत चित आनंद स्वरूप...बीजरूप...सदगति दाता...
ज्ञान के सागर पतित पावन निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा...प्यारा बाबा...मीठा बाबा...दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु... बेहद का बाप... सर्वशक्तिमान...सत चित आनंद स्वरूप...बीजरूप...सदगति दाता...
स्वमान और आत्मा अभ्यास :
1. हम आत्माएँ, नये वृक्ष की क़लम हैं....नया वृक्ष रोपण की आधारमूर्तियाँ हैं...नये वृक्ष की जड़ अर्थार्त फाउनडेशन हैं... स्नेह का रिटर्न विशाल कार्य में सहयोग देकर, सदा रहम दिल बन, विश्व कल्याणकारी स्थिति में स्थित होकर, अचल और अड़ोल रहकर, सदा शुभ चिंतन में रहकर, फुल स्टेज प्राप्त कर, सम्पन्न बन, फुल फोर्स से अपने तपस्वी रूप और योग अग्नि द्वारा पुराने वृक्ष को भस्म कर, ब्रह्मा बाप का संकल्प साकार करनेवाले, शुभ चिंतक बच्चे हैं...
2. सोचा और किया... प्लैइन और प्रैक्टिकल में समानता लाकर तीव्र गति से लश्कर तैयार करनेवाले, संकल्प और कर्म में समानता लाकर, निशाने के नज़दीक, हम आत्माएँ, सम्पूर्ण हैं...ऐसे सैंपल (नमूने) तैयार कर ओर पुरुषार्थीयों का पुरुषार्थ सिम्पल (आसान) करनेवाले, माया के तूफ़ानों से भी नहीं डरनेवाले, निरन्तर विजय की चैलेंज करनेवाले, निडर और निर्भय हैं...
3. हम आत्माएँ, बेहद के नशे और बेहद के सेवा के प्लैइन बनानेवाले, विश्व के मालिक हैं... बेहद की सेवा में सहयोग देनेका चांस लेकर सेवा का अनुभव करनेवाले,स्वयं को ओफेर कर आफ्रीन पानेवाले, अनुभवीमूर्त हैं... बेहद की बुद्धिवान, बंधनमुक्त विश्व के निमित्त मास्टर विश्व-शिक्षक हैं...ईश्वरीय सेवा अर्थ चक्कर लगानेवाले एवर-रेडी, चक्रवर्ती राजा हैं...
4. हम आत्माएँ, देह सहित सर्व सम्बन्ध, सम्पर्क, सब स्थूल और सूक्ष्म साधनों, वस्तु, वैभव, व्यक्ति से उपराम, बेहद के वैरागी हैं...एक बाप में बुद्धि जोड़ने वाले, सर्व लगाव, झूकाव, प्रभाव से परे, नष्टो मोहा स्मृति लब्धा हैं ... अपनी आप की लगाव से परे, अपनी ज्ञान की विशेषता से परे, अपनी अच्छी सेवा की लगाव से परे, अपनी सर्व विशेषताओं से परे बन, बपदादा की देन समझकर, निमित्त भाव रख नम्र हैं, निर्मान हैं, निर्मल हैं...
5. हम आत्माएँ, मनमनाभव के महामन्त्र से, और श्रीमत पर चलने से, संगमयुगी मर्यादा पुरुषोत्तम ब्राह्मण हैं... अपने को कोटो में कोई, देव आत्माएँ, महान आत्माएँ, विशेष पार्टधारी आत्माएँ समझकर सदा शुद्ध फीलिंग में रहनेवाले, व्यर्थ फीलिंग की फ़्लू की बीमारी ख़त्म कर, मेहनत से बचकर, सदा स्वयं को वरदनों से पालने की फीलिंग में रहकर सेवा में सफलता पानेवाले, सफलता मूर्त हैं...
Om Shanti divya farishte !!!
Vichaar Sagar Manthan: Janwary 06, 2013
Baba ki Mahima:
Gyan ke Sagar Patit Paavan Niraakaar Parampita Paramatma Shiv Baba hain...Mera Baba...Pyaara Baba...Meetha Baba...Dayalu Baba...Kripalu Baba... Sat Baap...Sat Tichar...Sat Guru... Behad ka Baap... Sarv shakti maan...Sat Chit Anand Swaroop...Beejroop...Sadgati Data...
Swamaan aur Atma Abhyas :
1. Hum
atmaayen, naye vriksh ki kalam
hain....naya vriksh ropan ki aadhaar moortiyaan hain...naye vriksh ki jad
arthaarth faaundeshan hain... sneh ka
ritarn vishaal kaary men sahyog dekar, sada raham dil ban, vishv kalyaankaari
sthiti men sthit hokar, achal aur adol rahkar, sada shubh chintan men rahkar, ful
stej praapt kar, sampann ban, ful fors se apne
tapasvi roop aur yog agni dwara purane vriksh ko bhasm kar, brahma baap
ka sankalp sakar karnewale, shubh chintak bachche hain...
2. socha
aur kiya, plain aur praiktikal men
samaanta laakar tivr gati se lashkar
taiyaar karnewale, sankalp aur karm men samaanta laakar, nishaane ke najdeek, Hum atmaayen, sampoorn hain...aise saimpal (namoone)
taiyaar kar aur purushaarthiyon ka purushaarth simpal (aasaan) karnewale,
maya ke toofaanon se bhi nahin darnewale, nirantar vijay ki chailenj
karnewale, nidar hain, nirbhay hain...
3. Hum
atmaayen, behad ke nashe aur behad ke
seva ke plain banaane wale, vishv ke maalik hain... behad ki seva men sahyog
deneka chaans lekar, seva ka anubhav karnewale,swayam ko ofer kar aafreen
paanewale, anubhavi moort hain... behad
ki buddhiwaan, bandhan mukt vishv ke nimitt mastar vishv-shikshak
hain...ishwariy seva arth chakkar lagaanewale ever-redy, chakrvary raja hain...
4. Hum
atmaayen, deh sahit sarv sambandh,
sampark, sab sthool aur sukshm saadhanon, vastu, vaibhav, vyakti se upraam, behad ke vairaagi hain...ek baap men buddhi
jodne wale, sarv lagaav, jhookaav, prabhaav se pare, nashto moha smriti labdha
hain ... apni aap ki lagaav se pare, apni gyan ki visheshta se pare, apni
achchi seva ki lagaav se pare, apni sarv visheshtaaon se pare ban, bapdada ki
den samajhkar, nimitt bhav rakh namr hain, nirmaan hain, nirmal hain,...
5. Hum
atmaayen, manmanabhav ke maha mantr se aur shrimat par chalne se, sangamyugi maryaada purushottam Brahmin
hain... apne ko koto men koi, dev atmaayen, mahan atmaayen, vishesh paaart
dhaari atmaayen samajhkar sada shuddh feeling men rahnewale, vyarth feeling ki
floo ki bimaari khatm kar, mehnat se bachkar, sada swayam ko vardanon se palne
ki feeling men rahkar seva men safalta paanewale, safalta moort
hain...