Om Shanti Divine Angels!!!
Points to Churn: December 16, 2013
The Ocean of Knowledge, the Incorporeal Purifier, the Supreme Father, and the Supreme Soul Shiv Baba is.... My Baba...Sweet Baba...Lovely Baba...Kind-hearted Baba...Compassionate Baba...the True Father...the True Teacher...the Unlimited Father... the Almighty Authority...the Truth, the Living Being, the Blissful One and the Seed... the Bestower of Salvation... Knowledge-full...
Points of Self-Respect and Soul Study:
By being aware of our fortune and the Bestower of Fortune, we, the souls, in the beneficial confluence age, in the age of happiness, in the age of pleasure, in the age of the spring season, constantly remain happy and share the happiness with others... by being the children of the Ocean of Happiness, we become the master oceans of happiness...
We are easy yogis who emerge the powers, the knowledge and virtues, happiness, peace, bliss and love, and all the different attainments received from God in our intellects, and experience happiness...
We are the happy adopted children of the Father, the Bestower of Fortune, sitting in the Father’s heart and merged in the Father’s eyes...we are the fortunate ones who receive fortune from the Father for the whole cycle only at this time, and we increase it by sharing it...
By continuing to use the knowledge and the powers received from God for ourselves and for other souls, we experience ourselves to be embodiments of all attainments...according to Godly principle, the more the attainment of the present time is used, the more it will increase...we are constantly happy, prosperous with the fortune of happiness, with good kismet and radiant faces, not being deceived at any time of need; that is, we are saved from sorrow...
ॐ शान्ति दिव्य फरिश्ते!!!
विचार सागर मंथन: December 16, 2013
ज्ञान के सागर पतित पावन निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा... मीठा बाबा...प्यारा बाबा... दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु... बेहद का बाप... सर्वशक्तिमान...सत चित आनंद स्वरूप...बीजरूप...सदगति दाता... नॉलेजफुल...
स्वमान और आत्मा अभ्यास:
वरदान:- अपने हर्षित चेहरे द्वारा प्रभू पसन्द बनने वाले खुशियों के खजाने से संपन्न भव !
हम आत्माएँ, कल्याणकारी संगम के खुशी के युग में, मौजों के युग में , बहार के युग में, सदा खुशी में रहकर खुशी बाँटनेवाले, भाग्य और भाग्य विधाता को स्मृति में रख सदा खुश रहनेवाले, खुशियों के सागर के संतान, मास्टर खुशियों के सागर हैं...
बाप द्वारा मिली हुई शक्तियाँ, ज्ञान, गुण सुख-शान्ति, आनंद, प्रेम, भिन्न-भिन्न प्राप्तियाँ को बुद्धि में इमरज कर सदा खुशी की अनुभूति करनेवाले, सहज योगी हैं...
हम आत्माएँ, भाग्यविधाता बाप के एडोपटेड बच्चे, बाप के दिल में बैठे हुए, बाप के नयनों में समाए हुए, खुशनुमा हैं....सारे कल्प के भाग्य को अभी पानेवाले, भाग्य को बाँटकर बढ़ानेवाले, खुशनसीब हैं...
बाप द्वारा प्राप्त हुई ज्ञान और शक्तियाँ बार-बार स्वयं प्रति और सर्व आत्माओं के प्रति काम में लगाकर प्राप्ति स्वरूप का अनुभव करनेवाले, ईश्वरीय नियम प्रमाण ईश्वरीय प्राप्ति की वृद्धि पानेवाले, समय पर धोखे से वा दुख से बचनेवाले, सदा सुखी, खुशनुमा, खुशाल, खुशकिस्मत खुशनसीब हैं...
Vichaar Sagar Manthan: December 16, 2013
Baba ki Mahima:
Swamaan aur Atma Abhyas:
Vardaan: Apne harshit chehare dwara prabhu pasand ban newale khushiyon ke khajaane se sampann bhav!
Hum atmaayen, kalyaankaari sangam ke khushi ke yug men, moujon ke yug men , bahaar ke yug men, sada khushi men rahkar khushi baatnewale, bhaagy aur bhaagy vidhaata ko smriti men rakh sada khush rahnewale, khushiyon ke sagar ke santan, mastar khushiyon ke sagar hain...
baap dwara mili hui shaktiyaan, gyan, gun sukh-shanti, anand, prem, bhinn-bhinn praaptiyan ko buddhi men imarj kar sada khushi ki anubhooti karnewale, sahaj yogi hain...
bhaagy vidhaata baap ke edopted bachche, baap ke dil men baithe hue, baap ke nayanon men samaaye hue, khushnuma hain....sare kalp ke bhaagy ko abhi paanewale, bhagy ko baantkar badhaanewale, khushnaseeb hain...
baap dwara praapt hui gyan aur shaktiyaan baar-baar swayam prati aur sarv atmaaon ke prati kaam men lagaakar praapti swaroop ka anubhav karnewale, iswariy niyam pramaan ishwariy praapti ki vriddhi paanewale, samay par dhokhe se va dukh se bachnewale, sada sukhi, khushnuma, khushal, khush kismet khush naseeb hain...
Video of Murli Essence:
http://www.youtube.com/watch?v=IiDI6LaSqmU
16-12-2013:
Essence: Sweet children, the Benefactor Father is now benefiting you in such a way that you never have to cry. To cry is a sign of loss and body consciousness.
Question: By knowing what is fixed in destiny must you always remain carefree ?
Answer: You know that this old world is definitely to be destroyed. Although people continue to make effort for peace, human beings want one thing and something else happens. No matter how much they try, this destiny cannot be prevented. There have to be natural calamities. You have the intoxication that you have taken God’s lap. All the visions that you have bad are to happen in a practical way. You therefore remain constantly carefree.
Essence for Dharna:
1. While performing actions for the livelihood of your body, practice remaining soul conscious. Under no circumstances must you cry or become body conscious.
2. Benefit yourself and others by following shrimat. Become worthy and glorify the Father's name.
Blessing: May you be full of the treasure of happiness and with your cheerful face be loved by God !
BapDada gave each of you the biggest treasure of happiness as soon as you took your Brahmin birth. This is the gift of the Brahmin birth. BapDada wishes to see the face of every child happy. A constantly cheerful face is loved by God and everyone also likes that type of face. In order to remain constantly happy, continue to sing the song: I have attained that which I wanted to attain. What else remains? Speak with intoxication: If I don’t remain happy, then who will?
Slogan: Those who remain stable in the incorporeal and egoless stage and brighten the world are living lamps.
16-12-2013:
सार :-मीठे बच्चे – कल्याणकारी बाप अभी तुम्हारा ऐसा कल्याण कर देते हैं जो कभी रोना न पड़े, रोना अकल्याण वा देह-अभिमान की निशानी है |
प्रश्न:- किस अटल भावी को जानते हुए तुम्हें सदा निश्चिंत रहना है ?
उत्तर:- तुम जानते हो कि इस पुरानी दुनिया का विनाश अवश्य होना है। भल पीस के लिए प्रयास करते रहते हैं लेकिन नर चाहत कुछ और ...... कितना भी कोशिश करें यह भावी टल नहीं सकती। नैचुरल केलेमिटीज़ आदि भी होनी हैं। तुम्हें नशा है कि हमने ईश्वरीय गोद ली है, जो साक्षात्कार किये हैं, वह सब प्रैक्टिकल में होना ही है, इसलिए तुम सदा निश्चिंत रहते हो।
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1. शरीर निर्वाह अर्थ काम करते देही-अभिमानी रहने का अभ्यास करना है। किसी भी परिस्थिति में रोना वा देह-अभिमान में नहीं आना है।
2. श्रीमत पर अपना और दूसरों का कल्याण करना है। सपूत बन बाप का नाम बाला करना है।
वरदान:- अपने हर्षित चेहरे द्वारा प्रभू पसन्द बनने वाले खुशियों के खजाने से संपन्न भव !
बापदादा ने ब्राह्मण जन्म होते ही सबको खुशी का बड़े से बड़ा खजाना दिया है, यह ब्राह्मण जन्म की गिफ्ट है। बापदादा हर बच्चे का चेहरा सदा खुश देखना चाहते हैं। सदा हर्षित, चेयरफुल चेहरा ही प्रभू पसन्द है और हर एक को भी यही पसन्द आता है। सदा खुश रहने के लिए यही गीत गाते रहो कि "पाना था सो पा लिया", काम बाकी क्या रहा। नशे से कहो कि हम खुश नहीं रहेंगे तो कौन रहेगा !
स्लोगन:- निराकारी, निरंहकारी स्थिति में स्थित रहकर, विश्व को प्रकाशित करने वाले ही चैतन्य दीपक हैं।
प्रश्न:- किस अटल भावी को जानते हुए तुम्हें सदा निश्चिंत रहना है ?
उत्तर:- तुम जानते हो कि इस पुरानी दुनिया का विनाश अवश्य होना है। भल पीस के लिए प्रयास करते रहते हैं लेकिन नर चाहत कुछ और ...... कितना भी कोशिश करें यह भावी टल नहीं सकती। नैचुरल केलेमिटीज़ आदि भी होनी हैं। तुम्हें नशा है कि हमने ईश्वरीय गोद ली है, जो साक्षात्कार किये हैं, वह सब प्रैक्टिकल में होना ही है, इसलिए तुम सदा निश्चिंत रहते हो।
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1. शरीर निर्वाह अर्थ काम करते देही-अभिमानी रहने का अभ्यास करना है। किसी भी परिस्थिति में रोना वा देह-अभिमान में नहीं आना है।
2. श्रीमत पर अपना और दूसरों का कल्याण करना है। सपूत बन बाप का नाम बाला करना है।
वरदान:- अपने हर्षित चेहरे द्वारा प्रभू पसन्द बनने वाले खुशियों के खजाने से संपन्न भव !
बापदादा ने ब्राह्मण जन्म होते ही सबको खुशी का बड़े से बड़ा खजाना दिया है, यह ब्राह्मण जन्म की गिफ्ट है। बापदादा हर बच्चे का चेहरा सदा खुश देखना चाहते हैं। सदा हर्षित, चेयरफुल चेहरा ही प्रभू पसन्द है और हर एक को भी यही पसन्द आता है। सदा खुश रहने के लिए यही गीत गाते रहो कि "पाना था सो पा लिया", काम बाकी क्या रहा। नशे से कहो कि हम खुश नहीं रहेंगे तो कौन रहेगा !
स्लोगन:- निराकारी, निरंहकारी स्थिति में स्थित रहकर, विश्व को प्रकाशित करने वाले ही चैतन्य दीपक हैं।