Om Shanti Divine Angels!!!
Points to Churn: January 07, 2014
Praise of the Father: The One Father who inspires establishment, sustenance and destruction...the Highest-on-high God...the Bestower of Liberation and Liberation in-Life... God, the Husband of all husbands...the Unlimited Father...the Helper...is the Spiritual Father...
Knowledge: The Father Himself says: No one knows when I come because I am incognito. No one can tell when a soul enters a womb. There cannot be a time or date for that. The time and date are given for the moment it comes out of the womb. Similarly, you cannot tell the time or date when Baba entered. You can't tell when He entered the chariot. You cannot say when the subtle region was established. Whatever has passed is the drama. You will do whatever you did in the previous cycle. The drama will not allow you to change anything.
Yoga: The main thing is: Manmanabhav. 'Manmanabhav' doesn't mean that you have to go and bathe in the Ganges. The more you remember the Father now, the more light you will continue to receive. People will continue to have visions. Only through remembrance will you souls become pure and it will then be possible for others to have a vision.
The Spiritual Father says consider yourselves to be souls and remember the Father. 'Mamekam' means: Remember Me alone. I promise you that I will liberate you from all your sins. Your sins will be absolved. Your light is now being ignited, and so people are able to see light in you.
Dharna: The knowledge of becoming a deity from a human being is very accurate. You have to make a lot of effort to attain a high status. The impure soul definitely has to be made pure. Everything depends on effort. There is benefit in following shrimat. There is a lot of benefit through the chart. Baba gives you orders and so you children should follow those orders.
You mustn't think about things of the past. Make such effort that you do not make any mistakes again. Keep an honest chart, there is a lot of benefit in this.
Service: Become spiritual teachers, the same as the Father. Teach others what you have learnt from the Father. If you have imbibed knowledge, you can also explain it to anyone. The Father advises you: Try to explain. First of all, go to Shiv Baba's temple and do service there. Praise the Bestower of Liberation and Liberation in-Life. Tell everyone to constantly remember the One alone.
Imbibe knowledge and explain it to others. Donate the wealth of knowledge and become a great donor. Do not debate the scriptures with anyone, but give the Father's true introduction.
Points of Self Respect: We, the great donors...the maharathis...the mahavirs... sensible... sweet... double light...elevated souls...great souls...the children of the Highest-on-high God...the spiritual children...are the spiritual teachers...
ॐ
शान्ति
दिव्य
फरिश्ते
!!!
विचार
सागर
मंथन:
January 07, 2014
बाबा की महिमा : स्थापना, पालना, विनाश कराने वाला एक बाप... ऊँच ते ऊँच भगवान... मुक्ति जीवनमुक्ति
दाता... पतियों का पति परमेश्वर... बेहद का बाप... मददगार बाप... रूहानी बाप ...हैं...
ज्ञान
: बाप खुद कहते हैं मैं जब आता हूँ तो किसको पता नहीं पड़ता क्योंकि मैं हूँ गुप्त | गर्भ
में भी जब आत्मा प्रवेश करती है तो प्रवेश होने का मालूम थोड़ेही पड़ता है | तिथि
तारीख निकल न सके
| जब गर्भ से बाहर निकलती है तब वह तिथि तारीख निकलती है | तो
बाबा की प्रवेष्ट की तिथि तारीख का भी पता नहीं लगता, कब
प्रवेश किया, कब
रथ में पधारे – कुछ
पता नहीं पड़ता | सूक्ष्मवतन
की भी स्थापना कब होती है, यह
कुछ नहीं कह सकते | जो
पास्ट हुआ ड्रामा | कल्प
पहले जो किया था वही करेंगे | ड्रामा
तुम्हें ऊपर नीचे नहीं करने देगा |
योग : मुख्य बात है मनमनाभव | मनमनाभव का अर्थ यह नहीं है कि गंगा में जाकर स्नान करो | जितना तुम बच्चे बाप को याद करते हो तो लाइट आती रहती है | मनुष्यों को साक्षात्कार
होता
रहेगा
क्योंकि
आत्मा
प्योर
बनेगी
ही
याद
से
फिर
किसको
साक्षात्कार
भी
हो
सकता
है
|
रूहानी बाप कहते हैं अपने को आत्मा समझ मुझे याद करो | मामेकम् का अर्थ है मुझ एक को याद करो – मैं प्रतिज्ञा करता हूँ मैं तुमको पापों से मुक्त करूँगा |तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे | तुम्हारी ज्योत अब जग रही है तो तुम्हारे से मनुष्यों को लाइट देखने में आती है |
धारणा : ज्ञान बिल्कुल एक्यूरेट है – मनुष्य
से देवता बनने का | ऊँच
पद पाने का बहुत पुरुषार्थ करना है | आत्मा
जो पतित बनी है उनको पावन ज़रूर बनना है | सारा
मदार पुरुषार्थ पर है | श्रीमत
पर चलने में ही कल्याण है | बाबा
फ़रमान करते हैं तो बच्चों को फ़रमान पर चलना है |
बीती बातों का चिन्तन नहीं करना है | ऐसा पुरुषार्थ करना है जो फिर कभी भूल न हो | अपना सच्चा-सच्चा चार्ट लिखो, इसमें बहुत कल्याण है |
बीती बातों का चिन्तन नहीं करना है | ऐसा पुरुषार्थ करना है जो फिर कभी भूल न हो | अपना सच्चा-सच्चा चार्ट लिखो, इसमें बहुत कल्याण है |
सेवा :
बाप समान रूहानी टीचर बनो | जो
बाप से पढ़ा है वह दूसरों को भी पढ़ाओ, धारणा
है तो किसको भी समझाकर दिखाओ | बाप राय देते हैं समझाने की कोशिश करो | पहले
तो शिवबाबा के मन्दिर में जाकर सर्विस करो | मुक्ति
जीवनमुक्ति दाता एक है, उनकी
महिमा करनी है | सबको
यही कहते रहो मामेकम् याद करो |
ज्ञान धारण कर दूसरों को समझाना है | ज्ञान
धन दान करके महादानी बनना है | किसी
से भी शास्त्रार्थ न कर
बाप का सत्य परिचय देना है |
स्वमान : हम महादानी...
महारथी... महावीर... समझदार... मधुर... डबल लाइट... श्रेष्ठ आत्मायें... महान आत्मायें... ऊँच ते ऊँच भगवान की सन्तान... रूहानी टीचर...
रूहानी बच्चे हैं...
Video of Murli Essence:
07-01-2014:
Essence: Sweet children, become spiritual teachers, the same as the Father. Teach others what you have learnt from the Father. If you have imbibed knowledge, you can also explain it to anyone.
Question: In which aspect does Baba have unshakeable faith and in which you children also have to become unshakeable?
Answer: Baba has unshakeable faith in the drama. Baba says: Whatever has passed is the drama. You will do whatever you did in the previous cycle. The drama will not allow you to change anything. However, as yet, the children's stage has not become like that. This is why they say: If it were like this, I would do that. If I had known about it, I would not have done that. Baba says: Do not remember the past. Make effort not to make the same mistake again in the future.
Essence for Dharna:
1. Imbibe knowledge and explain it to others. Donate the wealth of knowledge and become a great donor. Do not debate the scriptures with anyone, but give the Father's true introduction.
2. You mustn't think about things of the past. Make such effort that you do not make any mistakes again. Keep an honest chart.
Blessing: May you be a great soul who reveals closeness to the Father through your sweetness!
Children who have sweetness in their thoughts, words and actions are close to the Father. Therefore, the Father says to them every day: Sweet, sweet children. The children respond: Sweet, sweet Baba. These daily sweet words make you full of sweetness. Only such elevated souls who reveal sweetness are great souls. Sweetness is greatness. If there isn't sweetness, there cannot be the experience of greatness.
Slogan: Perform every task while double light and you will experience it to be entertainment.
Slogan: Perform every task while double light and you will experience it to be entertainment.
07-01-2014:
सार :- मीठे बच्चे – बाप समान रूहानी टीचर बनो | जो बाप से पढ़ा है वह दूसरों को भी पढ़ाओ, धारणा है तो किसको भी समझाकर दिखाओ |
प्रश्न:- किस बात में बाबा को अटल निश्चय है? बच्चों को भी उसमें अटल बनना है?
उत्तर:- बाबा को ड्रामा पर अटल निश्चय है | बाबा कहेंगे जो पास्ट हुआ ड्रामा | कल्प पहले जो किया था वही करेंगे | ड्रामा तुम्हें ऊपर नीचे नहीं करने देगा | परन्तु अभी तक बच्चों की अवस्था ऐसी बनी नहीं है इसलिए मुख से निकलता – ऐसे होता तो ऐसा करते, पता होता तो यह नहीं करते.....बाबा कहते बीती को चितओ नहीं, आगे के लिए पुरुषार्थ करो कि ऐसी कोई भूल फिर से न हो |
प्रश्न:- किस बात में बाबा को अटल निश्चय है? बच्चों को भी उसमें अटल बनना है?
उत्तर:- बाबा को ड्रामा पर अटल निश्चय है | बाबा कहेंगे जो पास्ट हुआ ड्रामा | कल्प पहले जो किया था वही करेंगे | ड्रामा तुम्हें ऊपर नीचे नहीं करने देगा | परन्तु अभी तक बच्चों की अवस्था ऐसी बनी नहीं है इसलिए मुख से निकलता – ऐसे होता तो ऐसा करते, पता होता तो यह नहीं करते.....बाबा कहते बीती को चितओ नहीं, आगे के लिए पुरुषार्थ करो कि ऐसी कोई भूल फिर से न हो |
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1. ज्ञान धारण कर दूसरों को समझाना है | ज्ञान धन दान करके महादानी बनना है | किसी से भी शास्त्रार्थ न कर बाप का सत्य परिचय देना है |
2. तुम्हें बीती बातों का चिन्तन नहीं करना है | ऐसा पुरुषार्थ करना है जो फिर कभी भूल न हो | अपना सच्चा-सच्चा चार्ट रखना है |
वरदान:- मधुरता द्वारा बाप की समीपता का साक्षात्कार कराने वाले महान आत्मा भव !
जिन बच्चों के संकल्प में भी मधुरता, बोल में भी मधुरता और कर्म में भी मधुरता है वही बाप के समीप हैं इसलिए बाप भी उन्हें रोज़ कहते हैं मीठे-मीठे बच्चे और बच्चे भी रेस्पान्ड देते हैं – मीठे-मीठे बाबा | तो यह रोज़ का मधुर बोल मधुरता सम्पन्न बना देता है | ऐसे मधुरता को प्रत्यक्ष करने वाली श्रेष्ठ आत्मायें ही महान हैं | मधुरता ही महानता है | मधुरता नहीं तो महानता का अनुभव नहीं होता |
स्लोगन:- कोई भी कार्य डबल लाइट बनकर करो तो मनोरंजन का अनुभव करेंगे |