Essence of Murli (H&E) : June 04, 2014:
प्रश्न:- इस ज्ञान मार्ग में तुम्हारे कदम आगे बढ़ रहे हैं, उसकी निशानी क्या है?
स्लोगन:- फ़्राकदिल बन चेहरे और चलन से गुण व शक्तियों की गिफ्ट बाँटना ही शुभ भावना, शुभ कामना है |
Essence: Sweet children, do not waste your time chasing after a handful of chick peas (things worth nothing). Now become the Father's helpers andglorify the Father's name. (Especially for the Kumaris)
Question: What indicates that you are moving forwardon this path of knowledge?
Answer: The childrenwho always remember the land of peace and the land of happiness and whose intellects do notwander anywhere at the time of remembrance, those whodon'thave wastefulthoughts in their intellects, whose intellects are concentrated, who don't nod off and whosemercury of happinessis high prove that they are moving forward on this path of knowledge.
Essence for dharna:
1.Give up the handful of chick peas and make full effort to claim the sovereignty of the world from the Father. Do not be afraid of anything. Becomefearless and remain free from bondages. Use your time in a worthwhile way, in earning a true income.
2.Forget this landof sorrow and remember Shivalaya, that is, the land of peace and the land of happiness. Recognise the obstaclesof Maya and remain cautiousof them.
Blessing: May you be a great sou l who attains the sustenance of blessings from God in this Brahmin life.
In this Brahmin life you receive blessings from God and also the divine famil y. Thisshort age is for attaining all attainments forall time. On the basis of their every elevated action and elevated thought, theFather Himself continues to give blessings from His heart at every moment to every Brahmin child. However, the basis of claiming all theseblessings is the balance of remembrance and service. Know this importance and become a great soul.
Slogan:To be generous hearted and distribute the gift of virtues and powers through your face and behaviour is to have good wishes and pure feelings.
सार:-“मीठे बच्चे – अब चने मुट्ठी के पीछे अपना समय बरबाद नहीं करो, अब बाप के मददगार बन बाप का नाम बाला करो” (विशेष कुमारियों प्रति)
प्रश्न:- इस ज्ञान मार्ग में तुम्हारे कदम आगे बढ़ रहे हैं, उसकी निशानी क्या है?
उत्तर:- जिन बच्चों को शान्तिधाम और सुखधाम सदा याद रहता है | याद के समय बुद्धि कहाँ पर भी भटकती नहीं है, बुद्धि में व्यर्थ के ख्यालात नहीं आते, बुद्धि एकाग्र है, झुटका नहीं खाते, ख़ुशी का पारा चढ़ा हुआ है तो इससे सिद्ध है कि कदम आगे बढ़ रहे हैं |
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. चने मुट्ठी छोड़ बाप से विश्व की बादशाही लेने का पूरा पुरुषार्थ करना है | किसी भी बात में डरना नहीं है, निडर बन बन्धनों से मुक्त होना है | अपना समय सच्ची कमाई में सफ़ल करना है |
2. इस दुःखधाम को भूल शिवालय अर्थात् शान्तिधाम, सुखधाम को याद करना है | माया के विघ्नों को जान उनसे सावधान रहना है |
वरदान:- इस ब्राह्मण जीवन में परमात्म आशीर्वाद की पालना प्राप्त करने वाली महान आत्मा भव
इस ब्राह्मण जीवन में परमात्म-आशीर्वादें और ब्राह्मण परिवार की आशीर्वादें प्राप्त होती हैं | यह छोटा सा युग सर्व प्राप्तियां और सदाकाल की प्राप्तियां करने का युग है | स्वयं बाप हर श्रेष्ठ कर्म, श्रेष्ठ संकल्प के आधार पर हर ब्राह्मण बच्चे हो हर समय दिल से आशीर्वाद देते रहते हैं |लेकिन यह सर्व आशीर्वाद लेने का आधार याद और सेवा का बैलेन्स है | इस महत्व को जान महान आत्मा बनो |
स्लोगन:- फ़्राकदिल बन चेहरे और चलन से गुण व शक्तियों की गिफ्ट बाँटना ही शुभ भावना, शुभ कामना है |