Essence of Murli
(H&E) : June
17, 2014:
Essence: Sweet children, you are children
of the Lord and Master and are to become princes. Therefore, you should not
desire anything or ask anyone for anything.
Question: What should you not depend on to
remain healthy?
Answer:
Some children think that they will remain healthy by depending on worldly
comforts. However, Baba says: Children, you should not have any desire here for
worldly comforts. Worldly comforts will not enable you to remain healthy. In
order to keep yourself healthy, you have to stay on the pilgrimage of
remembrance. It is said that there is no nourishment like the nourishment of
happiness. Remain happy and intoxicated. Give your bones to the yagya like
Dadichi Rishi did and your health will become good.
Essence
for Dharna:
Blessing:
May you have a combined form and
constantly have a cheerful and careful
mood in Brahmin life.
If your mood changes
from that of happiness in any situation, that would not be said to be permanent
happiness. In Brahmin life, let there always be a cheerful and
careful
mood; your mood should
not change. When your mood changes,
you say that you would like some solitude, that today your mood is
like that. Your mood changes
when you are alone, so constantly remain in a combined form
and your mood will not
change.
Slogan:
To celebrate a festival means to maintain enthusiasm for remembrance
and service.
सार:- “मीठे बच्चे – तुम साहेबजादे से शहजादे बनने वाले हो, तुम्हें किसी भी चीज़ की इच्छा नहीं रखनी है,
किसी से कुछ भी मांगना नहीं है”
प्रश्न:- तबियत को ठीक रखने के लिए कौन-सा आधार नहीं चाहिए?
उत्तर:- कई बच्चे समझते हैं वैभवों के आधार पर तबियत ठीक रहेगी | परन्तु बाबा कहते हैं बच्चे यहाँ तुम्हें वैभवों की इच्छा नहीं रखनी चाहिए | वैभवों से तबियत ठीक नहीं होगी | तबियत ठीक रखने के लिए तो याद की यात्रा चाहिए | कहा जाता है ख़ुशी जैसी ख़ुराक नहीं | तुम खुश रहो, नशे में रहो | यज्ञ में दधीची ऋषि के मिसल हड्डियाँ दो तो तबियत ठीक हो जायेगी |
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1.
किसी को कभी न तो नाराज़ करना है,
न नाराज़ होना है
| अपनी होशियारी का या सेवा करने का अहंकार नहीं दिखाना है | जैसे बाप बच्चों का रिगार्ड रखते हैं ऐसे स्वयं का रिगार्ड स्वयं ही रखना है |
2.
योगबल से अपनी सब इच्छायें समाप्त करनी है
| सदा इसी ख़ुशी वा नशे में रहना है कि हम साहेबज़ादे सो शहज़ादे बनने वाले हैं
| सदा शान्ति में रह सर्विस करनी है | रग-रग में जो भूत भरे हुए हैं,
उन्हें निकाल देना है
|
वरदान:- ब्राह्मण जीवन में सदा चियरफुल और केयरफुल मूड में रहने वाले कम्बाइन्ड रूपधारी भव
यदि किसी भी परिस्थिति में प्रसन्नता की मूड परिवर्तित होती है तो उसे सदाकाल की प्रसन्नता नहीं कहेंगे |
ब्राह्मण जीवन में सदा चियरफुल और केयरफुल मूड हो
| मूड बदलनी नहीं चाहिए
| जब मूड बदलती है तो कहते हैं मुझे तो एकान्त चाहिए | आज मेरा मूड ऐसा है
| मूड बदलती तब है जब अकेले होते हो,
सदा कम्बाइन्ड रूप में रहो तो मूड नहीं बदलेगी |
स्लोगन:- कोई भी उत्सव मनाना अर्थात् याद और सेवा के उत्साह में रहना
|