Essence of Murli
(H&E) : June
19, 2014:
Essence: Sweet children, have a keen interest in
remembering the Father who makes you into the masters of the world. It is only
by having remembrance that you will become satopradhan.
Question: To which one aspect should you pay full attention so that your forehead (intellect) opens up completely?
Answer: Pay attention to the study. God is teaching you and you must
therefore never miss the study. You have to drink nectar for as
long as you live. Pay attention to the study. Do not be absent. You must find the murli and study it.
Every day there are new points in the murli through which your forehead will
open up.
Essence for dharna:
1.
You have to drink this nectar and imbibe these teachings for as long as you live. God is teaching you. Therefore, you mustn't miss the murli for even a day.
Slogan: Whilst staying in the physical
form, serve as an avyakt angel and the task of world benefit will be completed
at a fast speed.
प्रश्न:- किस एक बात पर पूरा ध्यान हो तो बुद्धि के कपाट खुल जायेंगे?
उत्तर:- पढ़ाई पर | भगवान् पढ़ाते हैं इसलिये कभी भी पढ़ाई मिस नहीं होनी चाहिए | जहाँ तक जीना है, वहाँ तक अमृत पीना है | पढ़ाई में अटेन्शन देना है, अबसेन्ट नहीं होना है | यहाँ-वहाँ से भी ढूंढ़कर मुरली ज़रूर पढ़नी है | मुरली में रोज़ नई-नई प्वाइन्ट्स निकलती रहती हैं, जिससे तुम्हारे कपाट ही खुल जायेंगे |
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2.
In order to accumulate
an income of multimillions, while doing everything and living at home, just for
name’s sake and doing all your work, you have to stay in remembrance of the
Father.
Blessing: May
you be a charitable soul who adopts purity easily in the special form of the
original and eternal virtue.
The
special basis of becoming worthy of worship is purity. The more you imbibe all
types of purity, the more you become worthy of worship in every way. Those who
imbibe purity in the right way in the form of the original and eternal virtue
are worshipped in the right way. Those who fulfil relationships and connections
accurately with their pure attitude, vision and vibrations when coming into connection with gyani
and agyani souls and whose purity is not broken, even in their dreams, become
worthy of being worshipped in the right way.
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सार:-
“मीठे बच्चे – विश्व का मालिक बनाने वाले बाप को बड़ी रूचि से याद करो,
याद से ही तुम सतोप्रधान बनेंगे”
प्रश्न:- किस एक बात पर पूरा ध्यान हो तो बुद्धि के कपाट खुल जायेंगे?
उत्तर:- पढ़ाई पर | भगवान् पढ़ाते हैं इसलिये कभी भी पढ़ाई मिस नहीं होनी चाहिए | जहाँ तक जीना है, वहाँ तक अमृत पीना है | पढ़ाई में अटेन्शन देना है, अबसेन्ट नहीं होना है | यहाँ-वहाँ से भी ढूंढ़कर मुरली ज़रूर पढ़नी है | मुरली में रोज़ नई-नई प्वाइन्ट्स निकलती रहती हैं, जिससे तुम्हारे कपाट ही खुल जायेंगे |
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1.
जब तक जीना है, अमृत पीना है, शिक्षाओं को धारण करना है | भगवान् पढ़ाते हैं, इसलिए एक दिन भी मुरली मिस नहीं करनी है |
2.
पदमों की कमाई जमा करने के लिए निमित्त मात्र घर में रहते, काम-काज करते एक बाप की याद में रहना है |
वरदान:- पवित्रता को आदि अनादि विशेषग उन के रूप में सहज अपनाने वाले पूज्य आत्मा भव
पूज्यनीय बनने का विशेष आधार पवित्रता है
| जितना सर्व प्रकार की पवित्रता को अपनाते हो उतना सर्व प्रकार से पूज्यनीय बनते हो
| जो विधिपूर्वक आदि अनादि विशेष गुण के रूप से पवित्रता को अपनाते हैं वही विधिपूर्वक पूजे जाते हैं
| जो ज्ञानी और अज्ञानी आत्माओं के सम्पर्क में आते पवित्र वृत्ति,
दृष्टि, वायब्रेशन से यथार्थ सम्पर्क-सम्बन्ध निभाते हैं,
स्वप्न में भी जिनकी पवित्रता खण्डित नहीं होती है
– वही विधिपूर्वक पूज्य बनते हैं
|
स्लोगन:- व्यक्त में रहते अव्यक्त फ़रिश्ता बनकर सेवा करो तो विश्व कल्याण का कार्य तीव्रगति से सम्पन्न हो |