Essence of Murli
(H&E): July
03, 2014:
Essence:
Sweet children, remember the game of the somersault. The secret of the whole
cycle, Brahma and the Brahmins, is merged in this game.
Question: What inheritance do
all of you children receive from the Father at the confluence age?
Answer: A Godly intellect. God gives
us the virtues that He has as our inheritance. Our intellects are becoming
divine like diamonds. We have now become Brahmins and are claiming a huge
treasure from the Father. We are filling our aprons with all virtues.
1.
In order to claim the
inheritance of happiness, peace and prosperity from the Father, the Lord of the
Tree, consider yourself to be a soul, an immortal image, and remember the
Father. Make your intellect divine.
2.
Listen to the true
story from the Father and relate it to others. In order to become conquerors of
Maya, do the service of making others equal to yourselves. Let it remain in
your intellects that you are the victorious ones every cycle and that the
Father is with you.
Blessing: May you be a master
almighty authority who puts every elevated thought into action.
The
thoughts and deeds of a master
almighty authority are equal. If your thoughts are very elevated whereas your
deeds are not according to your thoughts, you cannot then be said to be a master
almighty authority. So, check
whether you put elevated thoughts you have into action or not. The sign of a master
almighty authority is that such a soul is able to use whatever power he needs
at a particular time. Physical and subtle powers would be under the control of
such a soul so that, he is able to use whatever particular power he needs at
that time.
Slogan: If children who are knowledgeable souls have anger
in them, they defame the Father’s name.
सार:- “मीठे बच्चे – बाजोली का खेल याद करो,
इस खेल में सारे चक्र का,
ब्रह्मा और ब्राह्मणों का राज़ समाया हुआ है”
प्रश्न:- संगमयुग पर बाप से कौन-सा वर्सा सभी बच्चों को प्राप्त होता है?
उत्तर:- ईश्वरीय बुद्धि का | ईश्वर में जो गुण हैं वह हमें वर्सा देते हैं | हमारी बुद्धि हीरे जैसी पारस बन रही है | अभी हम ब्रह्मण बन बाप से बहुत भारी ख़ज़ाना ले रहे हैं, सर्व गुणों से अपनी झोली भर रहे हैं |
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1.
वृक्षपति बाप से सुख-शान्त-पवित्रता का वर्सा लेने के लिए अपने आपको अकालमूर्त आत्मा समझ बाप को याद करना है | ईश्वरीय बुद्धि बनानी है |
2.
बाप से सच्ची कथा सुनकर दूसरों को सुनानी है | मायाजीत बनने के लिए आपसमान बनाने की सेवा करनी है, बुद्धि में रहे हम कल्प-कल्प के विजयी हैं, बाप हमारे साथ है |
वरदान:- हर श्रेष्ठ संकल्प को कर्म में लाने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान भव
मास्टर सर्वशक्तिमान माना संकल्प और कर्म समान हो |
अगर संकल्प बहुत श्रेष्ठ हो और कर्म संकल्प प्रमाण न हो तो मास्टर सर्वशक्तिमान नहीं कहेंगे
| तो चेक करो जो श्रेष्ठ संकल्प करते हैं वो कर्म तक आते हैं या नहीं
| मास्टर सर्वशक्तिमान की निशानी है कि जो शक्ति जिस समय आवश्यक हो वो शक्ति कार्य में आये
| स्थूल और सूक्ष्म सब शक्तियां इतना कन्ट्रोल में हो जो जिस समय जिस शक्ति की आवश्यकता हो उसे काम में लगा सकें
|
स्लोगन:- ज्ञानी तू आत्मा बच्चों में क्रोध है तो इससे बाप के नाम की ग्लानी होती है |