Essence of Murli
(H&E): July
14, 2014:
Essence: Sweet children, in order to become
Kalangidhar (one who was defamed and became worthy of worship), make your stage
unshakeable and immovable. The more accusations that are made against you, the
more you become Kalangidhar.
Question: What is the Father's order? By following which main order do you children become seated on the heart-throne?
Answer: The Father's order is: Sweet children, you mustn't have any conflict with anyone. Remain peaceful. If someone doesn't like something you say, just remain silent. Do not harass one another. You can become seated on BapDada's heart-throne when there are no evil spirits inside you, when you don't speak bitter words and when speaking sweetly becomes your way of life.
Essence for Dharna:
1. When someone spreads peacelessness or troubles you,
you have to remain silent. If some do not reform themselves, even after being
cautioned about something, you can only say that that is their fortune because
a kingdom is being established.
2. Churn the ocean of knowledge and serve by extracting
new points. Never miss the deep things that the Father relates to you every day.
Blessing: May you be
double light and cross all bondages with intense effort and experience
entertainment.
Some children say: I am actually fine, but,
because of such and such, there are bondages of sanskars, people, the
atmosphere etc. However, no matter what the reason may be, no matter what it
is, an intense effort-maker will cross all situations as though they are
nothing. They constantly experience entertainment. Such a stage is called the
flying stage and the sign of the flying stage is that they are double light. No
type of burden can make them fluctuate.
Slogan: Make every virtue and every aspect of knowledge your original sanskar.
Slogan: Make every virtue and every aspect of knowledge your original sanskar.
सार:- “मीठे बच्चे
- कलंगीधर बनने के लिए अपनी अवस्था अचल-
अडोल बनाओ, जितना तुम पर कलंक लगते हैं,
उतना तुम कलंगीधर बनते हो”
प्रश्न:- बाप की आज्ञा क्या है? किस मुख्य आज्ञा पर चलने वाले बच्चे दिल तख्तनशीन बनते हैं ?
उत्तर:- बाप की आज्ञा है - मीठे बच्चे, तुम्हें कोई से भी खिट- खिट नहीं करनी है । शान्ति में रहना है । अगर कोई को तुम्हारी बात अच्छी नहीं लगती तो तुम चुप रहो । एक- दो को तंग नहीं करो । बापदादा के दिलतख्तनशीन तब बन सकते जब अन्दर कोई भी भूत न रहे, मुख से कभी कोई कडुवे बोल न निकले, मीठा बोलना जीवन की धारणा हो जाए ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. जब कोई अशान्ति फैलाते हैं या तंग करते हैं तो तुम्हें शान्त रहना है । अगर समझानी मिलते हुए भी कोई अपना सुधार नहीं कर सकते तो कहेंगे इनकी तकदीर क्योंकि राजधानी स्थापन हो रही है ।
2. विचार सागर मंथन कर ज्ञान की नई-नई प्याइंटस निकाल सर्विस करनी है । बाप मुरली में रोज जो गुह्य बातें सुनाते हैं, वह कभी मिस नहीं करनी है ।
वरदान:-तीव्र पुरुषार्थ द्वारा सभी बंधनों को क्रास कर मनोरंजन का अनुभव करने वाले डबल लाइट भव
!
कई बच्चे कहते हैं वैसे तो मैं ठीक हूँ लेकिन यह कारण है ना
- संस्कारों का,
व्यक्तियों का,
वायुमण्डल का बंधन है..
परन्तु कारण कैसा भी हो,
क्या भी हो तीव पुरुषार्थी सभी बातों को ऐसे क्रॉस करते हैं जैसे कुछ है ही नहीं । वह सदा मनोरंजन का अनुभव करते हैं । ऐसी स्थिति को कहा जाता है उड़ती कला और उड़ती कला की निशानी है डबल लाइट । उन्हें किसी भी प्रकार का बोझ हलचल में ला नहीं सकता ।
स्लोगन:-
हर गुण वा ज्ञान की बात को अपना निजी संस्कार बनाओ ।