Swamaan / Sankalp / Slogan: Swaroop Bano
April 29, 2013:
वन्दे
मातरम् ! संगम पर परमपिता परमात्मा ने ज्ञान अमृत का कलश माताओं पर रखा...
Salutation to the mothers! at the confluence age, the Supreme Father, the
Supreme Soul placed the urn of the nectar of knowledge on the mothers...
Vande maartam ! sangam par Parampita Parmaatma ne gyan amrit ka
kalash maataaon par rakha...
Points are in 3 languages: Hindi, English and Hinglish (Hindi
written in English Script) Please scroll down to the language of your choice.
These points
are especially useful to those learning Hindi or English.
Om Shanti Divine Angels!!!
Points to Churn from the Murli of April 29, 2013
Praise of Baba:
The Ocean of Knowledge, the Incorporeal Purifier, the Supreme Father, and the Supreme Soul Shiv Baba is.... My Baba...Sweet Baba...Lovely Baba...Kind-hearted Baba...Compassionate Baba...the True Father...the True Teacher...the Unlimited Father... the Almighty Authority...the Truth, the Living Being, the Blissful One and the Seed... the Bestower of Salvation... Knowledge-full...
Points of Self-Respect and Soul Study:
Knowledge: Salutations to the mothers! We, the souls, are the mothers of the sacrificial fire of Rudra, who receive the urn of knowledge and the imperishable jewels of knowledge from the treasure - store of Karankaravanhar Shiv Baba, and give everyone sustenance...
Yog: If not now then never! We, the souls, consider ourselves to be master seeds and spin the discus of self realization.... we are the adopted children of Shiv Baba who attain the inheritance of heaven...
we are karma yogis who return to the sweet home in the land beyond sound by sitting on the Father’s eyelashes...we work to make a living and then withdraw all our physical organs like a tortoise and remember the Father and the inheritance...it is guaranteed that with yoga we become free from the burden of sins... we finish the suffering of karma and have bodies that are free from disease for 21 births...
Dharna: The sovereignty of heaven is our birthright...we, the souls, study in Shiv Baba’s college to go to the land of immortality, and with the aim and objective of becoming like Vishnu, we make the required effort... we finish the suffering of karma joyfully by churning the ocean of knowledge and by talking to ourselves...we become the masters of the land of Vishnu by going from a vicious household religion to a vice less household religion and by having spiritual love for all...
Service: The deity world sovereignty of the golden age is our birthright...Shiv Baba gives the sovereignty of heaven though Brahma...by putting up such boards, we, the souls, do service at a very fast speed...we exchange the imperishable jewels of knowledge with one another, and give sustenance...by donating the jewels of knowledge, we make Bharat prosperous ...we are Brahmakumars and Brahmakumaris, the mouth-born creations of Brahma, belonging to the original and eternal Brahmins top knot religion, and are all brothers and sisters...
Blessing: Knowledge is light and yoga is might...We, the souls, are mahavirs, that is, we are constantly a light house and a might house...by being full of both powers, we pass through situations in a second...by passing fully on time, we pass with honours...
Slogan: We, the souls, burn the seed of vices in the fire of yoga...we are
the masters of the self and have all our physical senses working under our
orders with the power of yoga...we have our minds, intellects and sanskars
working according to directions, that is, the discipline of one who is a master
of the self...we control our sanskars and use them with their elevated
discipline and come into relationships and connections according to our
elevated sanskars...we are masters of the self who cannot be deceived even in
our dreams...
In the Milan of April 05, 2013, Bapdada said:
“Whatever
weakness you have, you definitely have to renounce it. Is it firm that you have
to renounce it? So whatever thought you
have this season should not just be a thought, but you definitely have to do
it. No matter what happens, you definitely have to change. Have this determined
thought. Ultimately, you have to bring the time close.”
So, let us cremate our old sanskars. (Sanskar ka sanskar karo) Not just to suppress them, but to completely burn them, so there is no trace or progeny left. Check and change now. Have volcanic yoga ( Jwala swaroop) We have time until the next Milan in October . Let us work on one each day with the following Yog Commentary:
Cremate our old sanskars 13. To be
interested in wasteful and useless things and issues..... replace
them with being an embodiment of power by having good thoughts about self
and others.....
ॐ शान्ति दिव्य फरिश्ते !!!
विचार सागर मंथन: अप्रैल 29 , २०१३
बाबा की महिमा:
ज्ञान के सागर पतित पावन निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा... मीठा बाबा...प्यारा बाबा... दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु... बेहद का बाप... सर्वशक्तिमान...सत चित आनंद स्वरूप...बीजरूप...सदगति दाता... नॉलेजफुल...
स्वमान और आत्मा अभ्यास :
ज्ञान: वन्दे मातरम् ! हम आत्माएँ, ज्ञान अमृत का कलश पाकर, करनकरावनहार शिव बाबा के भंडारे से अविनाशी ज्ञान रत्नों का खजाना पाकार सबकी पालना करनेवाले, रुद्र ज्ञान यज्ञ की माताएँ हैं...
योग: अब नहीं तो कब नहीं...हम आत्माएँ, अपने को मास्टर बीज रूप समझकर स्वदर्शनचक्र फिरानेवाले, बाप की गोद लेकर, स्वर्ग का वर्सा पानेवाले, शिव बाबा के एडॉप्टेड बच्चे हैं...
शरीर निर्वाह अर्थ धंधा धोरी कर कछुए मिसाल सब कर्मेन्द्रियाँ को समेट बाप और वर्से को याद करनेवाले, योग से पापों से ग़ैरंटी मुक्त होकर 21 जन्मों के लिए निरोगी काया वाले बन जन्म-जन्मान्तर लिए कर्मभोग समाप्त करनेवाले, बाप के नैनों की पलकों पर साथ वापिस निर्वाणधाम स्वीट होम में जानेवाले, कर्मयोगी हैं...
धारणा: स्वर्ग की बादशाही जन्म सिद्ध अधिकार है...
हम आत्माएँ, स्वर्ग के रचयिता शिव बाबा की कॉलेज में अमर लोक में जानेके लिए पढ़नेवाले, विष्णु बननेका एम और आब्जेक्ट के साथ पुरुषार्थ करनेवाले, विचार सागर मंथन कर, अपने आप से बातें कर, कर्मभोग खुशी से समाप्त करनेवाले, सबसे रूहानी प्यार रख, बाबा की डायरेक्शन अमल में लाकर विकारी गृहस्त धर्म से निर्विकारी गृहस्त धर्ममें जानेवाले, विष्णुपुरी के मालिक हैं...
सेवा: सतयुगी डीटी वर्ल्ड सावरंटी हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है...शिव बाबा ब्रह्मा द्वारा स्वर्ग की बादशाही देते हैं...हम आत्माएँ, एसे बोर्ड लगाकर विहिंग मार्ग की सर्विस करनेवाले, आपस में अविनाशी ज्ञान रत्नों की लेन-देन करके एक दो की पालना कर ज्ञान रत्नों का दान कर भारत को आबाद करनेवाले, ब्रह्मा मुख वंशावली, ब्रह्माकुमार, ब्रह्मा कुमारियाँ, आदि सनातन ब्राह्मणों के चोटी धर्म वाले, आपस में भाई-बहन हैं...
वरदान: ज्ञान है लाइट और योग है माइट...हम आत्माएँ, महावीर, अर्थार्त लाइट हाउस और माइट हाउस हैं...दोनो शक्तियों में सम्पन्न, हर परिस्थिति को सेकण्ड में पास करनेवाले, समय पर फुल पास, पास विद आनर हैं...
स्लोगन: हम आत्माएँ, योग अग्नि से विकारों के बीज को भस्म कर अपने योग की शक्ति द्वारा हर कार्मेन्द्रीय को ओरडर के अंदर
चलानेवाले, मन-बुद्धि-संस्कार को डायरेकशन अथवा नीति प्रमाण चलानेवाले, संस्कारों को अपने वश में कर श्रेष्ठ नीति से कार्य में लगानेवाले, श्रेष्ठ संस्कार प्रमाण सम्बन्ध-सम्पर्क में आने वाले, स्वपन में भी धोखा नहीं खानेवाले, स्वराज्य अधिकारी हैं...
अप्रैल 5, 2013, के मिलन में बापदादा ने कहा था के :
“जो भी कमी है उसको छोड़ना ही है | छोड़ना ही है, यह है पक्का? इस सीज़न में जो संकल्प कर रहे हो, वो संकल्प नहीं,पर करना ही है | कुछ भी हो जाए, बदलना ही है | यह दृढ़ संकल्प करो | आख़िर समय को समीप लाना है |”
तो ज्वाला मुखी अग्नि स्वरुप योग की शक्ति से संस्कारों का
संस्कार करो ; सिर्फ
मारना नहीं, लेकिन जलाकर
नाम रूप ख़त्म
कर दो.... अक्तूबर पहले सारे अवगुण और
पुराने संस्कार जला
देना ...हररोज़ एक
लेंगे और जला
देंगे...
योग कोमेन्ट्री:
पुराने वा अवगुणों का अग्नि संस्कार ... १३....... व्यर्थ बातो में
रूचि रखना .......... .............
मैं
आत्मा स्वचिन्तन
और शुभचिंतन में बिजी रहने वाला समर्थ
स्वरूप हूँ ...मैं आत्मा परमधाम शान्तिधाम शिवालय
में हूँ ..... शिवबाबा के साथ हूँ ..... समीप हूँ .... समान हूँ ..... सम्मुख हूँ
..... सेफ हूँ ..... बाप की छत्रछाया में हूँ .....अष्ट इष्ट महान सर्व श्रेष्ठ
हूँ ...... मैं आत्मा मास्टर ज्ञानसूर्य हूँ .... मास्टर रचयिता हूँ ..... मास्टर
महाकाल हूँ ..... मास्टर सर्व शक्तिवान हूँ ..... शिव शक्ति कमबाइनड
हूँ ........ अकालतक्खनशीन हूँ
....अकालमूर्त हूँ ..... अचल अडोल अंगद एकरस एकटिक एकाग्र स्थिरियम
अथक और बीजरूप हूँ ........ शक्तिमूर्त ..... संहारनीमूर्त ......
अलंकारीमूर्त ..... कल्याणीमूर्त हूँ ......शक्ति सेना हूँ ..... शक्तिदल हूँ
...... सर्वशक्तिमान हूँ ...... रुहे गुलाब .... जलतीज्वाला .... ज्वालामुखी ....
ज्वालास्वरूप .... ज्वालाअग्नि हूँ .... व्यर्थ बातो में रूचि
रखना..........अवगुणों का आसुरी संस्कार का अग्नि संस्कार कर रही हूँ ........
जला रही हूँ ...... भस्म कर रही हूँ ...... मैं आत्मा महारथी महावीर व्यर्थ
बातो में रूचि रखना.......... के मायावी संस्कार पर विजयी रूहानी
सेनानी हूँ .......... मैं आत्मा
स्वचिन्तन और शुभचिंतन में बिजी रहने वाला समर्थ
स्वरूप हूँ....मैं देही -अभिमानी
..... आत्म-अभिमानी..... रूहानी अभिमानी .....परमात्म अभिमानी..... परमात्म ज्ञानी
..... परमात्म भाग्यवान..... सर्वगुण सम्पन्न ..... सोला
क ला सम्पूर्ण ..... सम्पूर्ण निर्विकारी ..... मर्यादा
पुरुषोत्तम ...... डबल अहिंसक हूँ ..... डबल ताजधारी .....
विष्व का मालिक हूँ ..... मैं आत्मा ताजधारी ..... तख़्तधारी .....
तिलकधारी ..... दिलतक्खनशीन ..... डबललाइट ..... सूर्यवंशी शूरवीर ....... महाबली
महाबलवान ..... बाहुबलि पहलवान ....... अष्ट भुजाधारी अष्ट शक्तिधारी अस्त्र
शस्त्रधारी शिवमई शक्ति हूँ .....
Om Shanti divya farishte !!!
Vichaar Sagar Manthan: April 29, 2013
Gyan ke Sagar Patit Paavan Niraakaar Parampita Paramatma Shiv Baba hain...Mera Baba... Meetha Baba... Pyaara Baba...Dayalu Baba...Kripalu Baba... Sat Baap...Sat Tichar...Sat Guru... Behad ka Baap... Sarv shakti maan...Sat Chit Anand Swaroop...Beejroop...Sadgati Data... Nolej ful...
Swamaan aur Atma Abhyas :
Gyan: Vande maartam ! Hum atmaayen, gyan amrit
ka kalash paakar, karan karaavan haar shiv baba ke bhandaare se avinaashi gyan
ratnon ka khajaana paakaar sabki paalna karnewale, rudra gyan yagya ki
maataayen hain...
Yog: Ab nahin to kab nahin...Hum atmaayen, apne ko mastar beej
roop samajhkar sw darshan chakr firaanewale, Baap ki god lekar, swarg ka varsa
paanewale, shiv baba ke edopted bachche hain...
shareer nirvaah arth dhandha dhori kar kachchue misal sab karmendriyaan ko samet baap aur varse ko yaad karnewale, yog se paapon se gairantee mukt hokar 21 janmon ke liye nirogi kaaya wale ban janm-janmaantar ke liye karmbhog samaapt karnewale, baap ke nainon ki palkon par saath vaapis nirvana dhaam sweet hom men jaanewale, karm yogi hain...
Dharna: Swarg ki badshaahi janm siddh adhikaar
hai...
Hum atmaayen, swarg ke rachyita Shiv baba ki kolej men amar lok men jaaneke liye padhnewale, Vishnu ban neka em aur aabjekt ke saath purushaarth karnewale, vichaar sagar manthan kar, apne aap se baaten kar, karm bhog khushi se samaapt karnewale, sabse ruhaani pyar rakh, baba ki daay rekshan amal men laakar vikaari grihast dharm se nirvikaari grihast dharm men jaanewale, Vishnu puri ke maalik hain...
Seva: Satyugi deity warld saavranty hamaara janm siddh adhikaar hai...shiv baba brahma dwara swarg ki badshaahi dete hain...Hum atmaayen, ese bord lagaakar vihing maarg ki sarvis karnewale, aapas men avinaashi gyan ratnon ki len-den karke ek do ki paalna kar gyan ratnon ka daan kar bharat ko aabaad karnewale, brahma mukh vanshaavali, brahmakumar, brahma kumaariyaan , adi sanaatan brahmanon ke choti dharm wale, aapas men bhai-bahan hain...
Vardaan: Gyan hai laait aur yog hai maait...Hum atmaayen, mahavir, arthaarth laait haaus aur maait haaus hain...dono shaktiyon men sampann, har paristhiti ko sekand men paas karnewale, samay par ful paas paas wid aanar hain...
Slogan: Hum atmaayen, yog agni se vikaaron ke beej ko bhasm kar apnea yog ki shakti dwara har karmendriy ko ordar ke andar chalaanewale, man-buddhi-sanskar ko daay rek shan athva neeti pramaan chalaanewale, sanskaaron ko apne vash men kar shreshth neeti se kaary men lagaanewale, shreshth sanskaar praman sambandh-sampark men aane wale, swapan men bhi dhokha nahin khaanewale, sw raajy adhikaari hain...
Aprail 5, 2013 ke
milan men bapdada ne kaha tha ke:
“Jo bhi kami hai usko chhodna hi hai. Chodna hi hai, yah hai
pakka? Is sizan men jo sankalp kar rahe ho, vo sankalp nahin,par karna hi hai .
Kuch bhi ho jaaye, badalna hi hai. Yah dridh sankalp karo. Aakhir samay ko
sameep lana hai.”
To jwala mukhi agni swaroop yog ki shakti se sanskaaron ka
sanskaar karo; sirf maarna nahin, lekin jalaakar naam roop khatm kar
do...aktoobar pahle saare avgun aur puraane sanskar jala dena...haroz ek lenge
aur jala denge...
Yog Kometry:
Poorane va avguno ka agni sanskar...13: vyarth baaton men ruchi rakhna .....badalkar.... mai atma swachintan aur shubh chintan men biji
rahnewala samarth swaroop hun......
mai atma paramdham shantidham,
shivalay men hun...shivbaba ke saath hun...sameep hun...samaan hun...sammukh
hun...safe hun...baap ki chhatra chaaya men hun...asht, isht, mahaan sarv
shreshth hun...mai atma master gyan surya hun...master rachyita hun...master
mahakaal hun...master sarv shakti vaan hun...shiv shakti combined hun...akaal
takht nasheen hun...akaal moort hun...achal adol angad ekras ektik ekagr
sthiriom athak aur beej roop hun...shaktimoort hun...sanharinimoort
hun...alankarimoort hun...kalyani moort hun...shakti sena hun...shakti dal
hun...sarvshaktimaan hun...roohe gulab...jalti jwala...jwala mukhi...jwala
swaroop...jwala agni hun... vyarth baaton men ruchi rakhna ........avguno ka asuri sanskar kar rahi hun...jala rahi hun..bhasm kar rahi
hun...mai atma, maharathi mahavir vyarth baaton men ruchi rakhna ........ke mayavi sanskar par vijayi ruhani
senani hun...mai atma swachintan aur shubh chintan men biji rahnewala samarth swaroop
hun....mai dehi abhimaani...atm abhimaani...ruhani
abhimaani...Parmatm abhimaani...parmatm gyaani...parmatm bhagyvaan...sarvagunn
sampann...sola kala sampoorn...sampoorn nirvikari...maryada
purushottam...double ahinsak hun...double tajdhaari vishv ka malik hun...mai
atma taj dhaari...takht dhaari...tilak dhaari...diltakhtnasheen...double
light...soorya vanshi shoorvir...mahabali mahabalwaan...bahubali
pahalwaan...asht bhujaadhaari...asht shakti dhaari...astr shastr dhaari shivmai
shakti hun...
In the daily murlis,
Bapdada gives vardaan to the entire Brahmin family spread all over the world. Baba
also remarked in the murli, dated 7-1-2012 that serviceable children will make
cartoons after listening to the murli. Visualization makes remembrance of
the blessing throughout the day easier and thus makes it more fruitful.
29-04-2013:
Essence: Sweet
children, exchange imperishable jewels of knowledge with one another and
sustain yourselves. Continue to donate the jewels of knowledge.
Question: What effort should you make to keep yourself in limitless happiness?
Answer: In order to remain happy, churn the ocean of knowledge. Learn to talk to yourselves. If there is any suffering of karma, then, in order to remain cheerful, remember that your bodies are old shoes that you are becoming those who will have bodies free from disease for 21 births and that your suffering of karma is being settled for birth after birth. When any illness or calamity goes away, there is happiness. Think in this way and stay happy.
Song:Mata o mata Song: Mother, O Mother, you are the Bestower of
Fortune for the world!
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गीत:- माता ओ माता.......http://www.youtube.com/watch?v=HCVnpRv7pZE
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Essence for dharna:
1. Withdraw all your physical organs like a tortoise and remember the Father and your inheritance. Become a karma yogi. Talk to yourself.
2. Exchange the jewels of knowledge with one another and sustain yourselves. Have spiritual love for everyone.
Blessing: May you be a mahavir who passes through all situations in a second with the powers of knowledge and yoga.
1. Withdraw all your physical organs like a tortoise and remember the Father and your inheritance. Become a karma yogi. Talk to yourself.
2. Exchange the jewels of knowledge with one another and sustain yourselves. Have spiritual love for everyone.
Blessing: May you be a mahavir who passes through all situations in a second with the powers of knowledge and yoga.
A mahavir means one who is constantly a light-and-might-house. Knowledge is light and yoga is might. Those who are full of both these powers pass through all situations in a second. If you develop the sanskars of not passing on time, then, in the final period too, that sanskar will not allow you to pass fully. Those who pass fully on time are said to pass with honours. Even Dharamraj honours such souls.
Slogan: Burn the seed of vices in the fire of yoga and you cannot be deceived at that time.
29-04-2013:
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-आपस में अविनाशी ज्ञान रत्नों की लेन-देन करके एक दो की पालना करो, ज्ञान रत्नों का दान करते रहो''
प्रश्न:- अपने आपको अपार खुशी में रखने का पुरुषार्थ क्या है?
उत्तर:- खुशी में रहने के लिए विचार सागर मंथन करो। अपने आपसे बातें करना सीखो। अगर कर्मभोग आता है तो खुशी में रहने के लिए विचार करो-यह तो पुरानी जुत्ती है, हम तो 21 जन्मों के लिए निरोगी काया वाले बन रहे हैं, जन्म-जन्मान्तर के लिए यह कर्मभोग समाप्त हो रहा है। कोई भी बीमारी छूटती है, आफ़त हट जाती है तो खुशी होती है ना। ऐसे विचार कर खुशी में रहो।
गीत:- माता ओ माता....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कछुए मिसल सब कर्मेन्द्रियों को समेट बाप और वर्से को याद करना है। कर्मयोगी बनना है। अपने आपसे बातें करनी है।
2) आपस में ज्ञान रत्नों की लेन-देन कर एक दो की पालना करनी है। सबसे रूहानी प्यार रखना है।
वरदान:- ज्ञान और योग की शक्ति से हर परिस्थिति को सेकण्ड में पास करने वाले महावीर भव
महावीर अर्थात् सदा लाइट और माइट हाउस। ज्ञान है लाइट और योग है माइट। जो इन दोनों शक्तियों से सम्पन्न हैं वह हर परिस्थिति को सेकण्ड में पास कर लेते हैं। अगर समय पर पास न होने के संस्कार पड़ जाते हैं तो फाइनल में भी वह संस्कार फुल पास होने नहीं देते। जो समय पर फुल पास होता है उसको कहते हैं पास विद ऑनर। धर्मराज भी उसको ऑनर देता है।
स्लोगन:- योग अग्नि से विकारों के बीज को भस्म कर दो तो समय पर धोखा मिल नहीं सकता।