Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

Points to Churn: August 31, 2013

Swamaan / Sankalp / Slogan: Swaroop Bano
August 31, 2013
हम आत्माएँ, बाप द्वाराप्राप्त हुए पुरुषार्थकी विधि द्वारा सर्वसिद्धियाँ कार्यमें लगाकर अनेकों को विशेष प्राप्ति कराकर महान बनानेवाले, वैल्युबुलऔर विशेष हैं...
By using all the success we have through the methods of efforts given by Baba, we, the special and valuable souls, enable others to have special attainments to make them great...
Hum atmaayen, baap dwara praapt hue purushaarth ki vidhi dwara sarv siddhiyaan kaary men lagaakar anekon ko vishesh praapti karaakar mahaan banaanewale, vai lyu bul aur vishesh hain...
Om Shanti Divine Angels!!!
Points to Churn: August 31, 2013
Points of Self Respect:
Slogan:Use your specialties and you will experience progress in every step.
We, the great souls, playing special parts, performing special tasks, have special virtues, special positions or status, and, with every thought enable others in connection and relationship to have special attainments to make them great... by finishing ordinary thoughts and actions we die alive and by making the sanskars of our specialties our nature, we live an extraordinary life...
We constantly remain in spiritual pleasure (mauj) without being confused (moonjh) at the confluence age...by being beyond all adverse situations and problems, we are ever-ready...we are the special and valuable souls who use every thought, every word, and every action at every second in a worthwhile way...
We give the water of all powers to the seed of specialty, that is, the blessing of specialty and make the powerful seed fruitful with the right method, and receive the most elevated fruit of contentment, in this special age...we are special souls with zeal, enthusiasm, happiness and spiritual intoxication, who remain content and make others content...
We are full of all specialties... we make our form according to the time, and put whatever thought we have in our form...through the methods of efforts given by Baba, we use all the success we have for self and for serving all souls at the right time...while experiencing all powers, we give these to all souls through our form of bestower of blessings according to each one’s needs...we maintain a balance in all aspects, that is we are love-full and law-full, the form of Maha Kali in one minute and the form of Sheetla, the goddess of coolness, in the next... by having sovereignty over all the sense organs, the mind, the intellect and the sanskars, and all the powers of the soul, we become sixteen celestial degrees full...
शान्तिदिव्यफरिश्ते!!!

विचारसागरमंथन:August 31, 2013
बाबा की महिमा : मनुष्य सृष्टि का चैतन्य बीजरूप... परमपिता परमात्मा...सबको रचने वाला... सर्व का सद्गति दाता... ब्रह्माण्ड का मालिक... बेहद का बाप...
ज्ञान: बाप बच्चों को समझाते हैं, यह उल्टा वृक्ष है, इसका चैतन्य बीज है परमपिता परमात्मा l वह ऊपर में रहते हैं l शिवबाबा का बर्थ डे हीरे जैसा है क्योंकि शिवबाबा ही कौड़ी से हीरे जैसा बनाते हैं, स्वर्ग बनाते हैं l
हम सो ब्राह्मण बने हैं फिर हम सो देवता बनेंगे फिर हम सो क्षत्रिय...वर्ण में आयेंगे l ज्ञान माला का नाम है रूद्र मालाl रावण माला नहीं कहेंगे l राम माला है, भक्त माला है, असुरों की माला नहीं होतीl गाया भी जाता है देवताओं के लिए – उनको ब्रह्मा भोजन की आश थी क्योंकि तुम ब्रह्मा भोजन खाकर ब्राह्मण से देवता बनते हो lसूक्ष्मवतन में देवतायें आते हैं महफ़िल लगती है l
मेल-फीमेल सब सीतायें हैंl सब रावण की शोक वाटिका में हैं l लंका की बात नहीं, भारत की ही बात है l हर एक में अविनाशी पार्ट भरा हुआ है l इसको कहा जाता है बनी बनाई बन रही ....
बाप कहते हैं मैं यहाँ आकर भारत को जीवनमुक्ति देता हूँ, बाकी सबको मुक्ति देता हूँ,सबका सद्गति दाता मैं हूँl सचखण्ड स्थापन करने वाला बाप एक ही है lसचखण्ड में राज्य करने के लिए बच्चों को लायक बनाते हैं, खुद राज्य नहीं करतेl
श्रीकृष्ण सुंदर था, अभी श्याम है l कंसपुरी ही कृष्णपुरी बन जाती है l कृष्णपुरी फिर कंसपुरी बन जाती हैl
योग : इस कब्रिस्तान को भूल गृहस्थ व्यवहार में रहते बेहद केबाप को याद करना है l
अमृतवेले का समय अच्छा है इसलिए उस समय उठकर बाप को याद करना है |
बाप कहते हैं कि शरीर निर्वाह करते बुद्धि का योग मेरे साथ लगाओ l मेरी याद से
तुम्हे बहुत प्राप्ति होगी l तुम 21जन्मों के लिए विश्व के मालिक बनते हो l
इतनी अडोल अवस्था होनी चाहिए जैसे अंगद को रावण हिला नहीं सका l माया है
बड़ी जबरदस्त l तुम स्थेरियम रहते हो l
धारणा : माया के तूफानों को डोन्टकेयर करो और बाप जो श्रीमत देते हैं उसे कभी भी डोन्टकेयर न करो, इससे तुम्हारी अवस्था अचल-अडोल हो जायेगी, स्थिति सदा साक्षी और हर्षित रहेगी l तुम्हारी अवस्था ऐसी होनी चाहिए जो कभी भी रोना न आये l
बुद्धि में पूरी एम ऑब्जेक्ट रख नष्टोमोहा बनना है l खिलाने वाले को खिलाकर फिर खाना है l मुरली 5-6 बार सुननी वा पढ़नी जरुर है l अभी हम कृष्णपुरी का मालिक बनने के लिए पढ़ रहे हैं l
सेवा :रूहानी जिस्मानी सेवा करनी है l तुमको सिर्फ समझना है कि कृष्ण का जन्म कब हुआ? कृष्ण अभी कहाँ है?
स्वमान : सीतायें... पार्वतियां... विश्व के मालिक... ब्रह्माण्ड के मालिक... रूहानी-जिस्मानी डबल सोशल वर्कर... फ्राकदिल...
स्लोगन:- अपनी विशेषताओं का प्रयोग करो तो हर कदम में प्रगति का अनुभव होगा l
हम विशेष पार्ट बजानेवाली महान आत्माएँ, विशेष काम,विशेष गुण, वेशेष पोज़ीशन वा स्टेटस और हर संकल्प से विशेष सम्बंध सम्पर्क द्वारा अनेकों को विशेष प्राप्ति कराकर महान बनानेवाले, साधारण कर्म और संकल्प की समाप्ति कर विशेषता के संस्कार को नेचर बनाकर विशेषता में जीनेवाले, मरजीवा हैं...
संगम युग में सदा मूँझे बिना मौज में रहनेवाले, सभी परिस्थितियाँ और समस्याओं से पार सदा एवर-रेडी रहनेवाले, हर संकल्प, हर बोल, हर कर्म हर सेकण्ड सफल करनेवाले, वैल्युबुल और विशेष हैं...
अपनी विशेषताओं के बीज अथवा वरदान को सर्व शक्तिओं के जल से सीँचकर विधि पूर्वक शक्तिशाली बीज को फल दायक बनानेवाले, विशेष युग में विशेषता का सबसे श्रेष्ठ फल संतुष्ट ता पानेवाले, संतुष्ट रहकर औरों को संतुष्ट करनेवाले, आगे बढ़नेक़ा उमंग, उत्साह, खुशी वा रूहानी नशे वाले, विशेष हैं...
सर्वविशेषताओं मेंसम्पन्न, अर्थार्त, जैसा समय वैसास्वरूप और जैसासंकल्प वैसा स्वरूपलानेवाले, बाप द्वारा प्राप्तहुए पुरुषार्थकी विधि द्वारा सर्वसिद्धियाँ समयपर स्वयं के प्रतिवा सर्व आत्माओं कीसेवा के प्रतिकार्य में लगानेवाले, सर्वशक्ति यों कोअनुभव में लातेहुए सर्व आत्माओंके प्रति उन्हो कीआवश्यकता प्रमाण वरदानी रूपमें देनेवाले, सर्वबातों में बैलेन्सरख लवफुल और लॉफुलबननेवाले, अभी अभी महाकालीरूप और अभीअभी शीतला रूपबनने वाले, कर्मेन्द्रियाँऔर सर्व आत्मिक शक्तियाँ, मन, बुद्धिऔर संस्कारों परअधिकारी, सोलह कला सम्पन्नहैं...

 

Om Shanti divya farishte !!!
Vichaar Sagar Manthan: August 31, 2013
Swamaan aur Atma Abhyas
Slogan: Apni visheshtao ka prayog karo to har kadam me pragati ka anubhav hoga.
Hum vishesh paart bajaanewali mahaan atmaayen, vishesh kaam, vishesh gu n, veshesh pojishan va statas, aur har sankalp se vishesh sambandh sampark dwara anekon ko vishesh praapti karaakar mahaan banaanewale, saadhaaran sankalp ki samaapti kar visheshta ke sanskaar ko nechar banaakar visheshta men jeenewale, marjeeva hain...
sangam yug men sada moonjhe bina mauj men rahnewale, sabhi parishtiyaan aur samasyaaon se paar sada evar-redy rahnewale, har sankalp, har bol, har karm har sekand safal karnewale, vai lyu bul aur vishesh hain...
apni visheshtaaon ke beej athva vardaan ko sarv shaktion ke jal se seenchkar vidhi poorvak shaktishaali beej ko fal daayak banaanewale, vishesh yug men visheshta ka sabse shreshth fal santusht ta paanewale, santusht rahkar auron ko santusht karnewale, aage badhneka umang, utsaah, khushi va ruhaani nashe wale, vishesh hain...
sarv visheshtaaon men sampann, arthaart, jaisa samay vaisa swaroop aur jaisa sankalp vaisa swaroop laanewale, baap dwara praapt hue purushaarth ki vidhi dwara sarv siddhiyaan samay par swayam ke prati va sarv atmaaon ki seva ke prati kaary men lagaanewale, sarv shakti yon ko anubhav men laate hue sarv atmaaon ke prati unho ki aavashyakta parmaan vardaani roop men denewale, sarv baaton men bailens rakh lav ful aur law ful ban newale, abhi abhi maha kaali roop aur abhi abhi sheetla roop ban ne wale, karmendriyaan aur sarv atmic shaktiyaan, man, buddhi aur sanskaaron par adhikaari, solah kala sampann hain...

Video of Murli Essence:
http://www.youtube.com/watch?v=seXqTT_Rrms&feature=c4-overview-vl&list=PLC8D39A5E37238516
Song:Tumhi ho mata pita tumhi ho... You are the Mother and the Father… तुम्ही हो मातापिता तुम्हीं हो....http://www.youtube.com/watch?v=hQfsFAUnR0I&feature=email
31-08-2013:
Essence: Sweet children, in order to make your stage that of a detached observer and cheerful, remain aware that each soul has his own part and that that which is predestined is taking place.

Question: Through which one effort can you children create your stage?

Answer: Don’t care about the storms of Maya but never have a ‘don’t care’ attitude towards the shrimat that the Father gives you. By doing this, your stage will become unshakeable and immovable and it will also be cheerful and that of a detached observer. Your stage should be such that you never have to cry. Even if your mother dies eat halva.

Song: You are the Mother and the Father.
Essence for dharna:
1. Keep your aim and objective fully in your intellect and become a conqueror of attachment. Forget this graveyard and remember the Father. Do spiritual and physical service.
2. First of all, feed the One who is feeding you and then eat. The time of the early morning hours is good. Therefore, wake up at that time and remember the Father. You definitely have to read or listen to the murli five or six times.
Blessing: May you be generous hearted and constantly filled with specialities by having spiritual give and take.

When you go to any fair (mela) you give some money and get something in return. Before you receive anything, you first have to give. Similarly, in this spiritual mela too, you first of all take something from the Father or from one another, that is, you inculcate that into yourself. When you instil a virtue or speciality, everything ordinary automatically finishes. By instilling a virtue, weakness automatically finishes. This becomes a form of giving. Be generous hearted in having such an exchange of give and take at every second and you will become filled with specialities.

Slogan: Use your specialities and you will experience progress at every step.
31-08-2013:
मुरली सार:-``मीठे बच्चे - अपनी स्थिति साक्षी तथा हार्षित रखने के लिए स्मृति में रहे कि हर आत्मा का अपना-अपना पार्ट है, बनी बनाई बन रही''

प्रश्न:-
तुम बच्चे किस एक पुरूषार्थ द्वारा अपनी अवस्था जमा सकते हो?

उत्तर:-
माया के तूफानों को डोन्टकेयर करो और बाप जो श्रीमत देते हैं उसे कभी भी डोन्टकेयर करो, इससे तुम्हारी अवस्था अचल-अडोल हो जायेगी, स्थिति सदा साक्षी और हार्षित रहेगी। तुम्हारी अवस्था ऐसी होनी चाहिए जो कभी भी रोना आये। अम्मा मरे तो भी हलुआ खाना.....

गीत:-
तुम्हीं हो माता, पिता तुम्हीं हो........

धारणा
के लिए मुख्य सार:- 1) बुद्धि में पूरी एम ऑब्जेक्ट रख नष्टोमाहा बनना है। इस कब्रिस्तान को भूल बाप को याद करना है। रूहानी जिस्मानी सेवा करनी है।
2)
खिलाने वाले को खिलाकर फिर खाना है। अमृतवेले का समय अच्छा है इसलिए उस समय उठकर बाप को याद करना है। मुरली 5-6 बार सुननी वा पढ़नी जरूर है।

वरदान:-
अलौकिक रीति की लेन-देन द्वारा सदा विशेषता सम्पन्न बनने वाले फ्राख्रदिल भव
जैसे किसी मेले में जाते हो तो पैसा देते और कोई चीज लेते हो। लेने से पहले देना होता है तो इस रूहानी मेले में भी बाप से अथवा एक दो से कुछ कुछ लेते हो अर्थात् स्वयं में धारण करते हो। जब कोई गुण अथवा विशेषता धारण करेंगे तो साधारणता स्वत: खत्म हो जायेगी। गुण को धारण करने से कमजोरी स्वत: समाप्त हो जायेगी। तो यही देना हो जाता है। हर सेकण्ड ऐसी लेन-देन करने में फ्राखदिल बनो तो विशेषताओं से सम्पन्न बन जायेंगे।

स्लोगन:-
अपनी विशेषताओं का प्रयोग करो तो हर कदम में प्रगति का अनुभव होगा।

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