Om Shanti Divine Angels!!!
Points to Churn: October 17, 2013
Praise of the Father: Creator...Rudra Shiv Baba...the Point form...Trimurti Shiva...the most beloved Father...the Purifier...the Master Gardener....
Knowledge: Baba has explained that you mustn't tell anyone not to do devotion; no. You have to give them the Father's introduction for only then will the arrow strike the target.
Shiv Baba is Shri Shri. His rosary is created. Shiv Baba doesn't take rebirth. Brahma, Vishnu and Shankar also do not have to take rebirth. You become the kings of kings through Raja Yoga. That is, you know that you are also becoming the kings of those who become vicious kings. The drama repeats identically second by second. This cycle is the main thing. By knowing the cycle, you become the kings who rule the globe. In the golden age, they have knowledge of the soul. That is, when someone becomes old, he suddenly has the thought that he has to shed his old body and take a new one.
Yoga: O mind, remember Rama in the early morning hours...the Father says, now don’t remember anything else, in the time of the early morning hours, remember Me, your Father, with your mind and intellect, and your sins will be absolved. Only with the power of yoga will your soul become pure.
Recognize the Father and say "My Baba" from the heart. Don't ask for blessings but make effort to make the soul pure with the power of yoga. All of you are Sitas. You go across fire. Either you go across with the power of yoga or you will have to burn in the fire. Renounce your body and all bodily relations and remember the one most beloved Father and you will receive the prize of the sun dynasty kingdom. There will be everything - peace, purity and prosperity in that.
Dharna: Don't ask the Father for blessings or mercy. Continue to follow His directions and shrimat. Do not waste your time eating, drinking and gossiping. By imbibing the knowledge of the beginning, the middle and the end of the cycle, become the kings who rule the globe. Transform from shells to diamonds. Change human beings from being like monkeys into those who are worthy to sit in a temple. Only in Bharat was everyone completely vice less.
Service: Bharat was beautiful, now it is ugly. Do the service of making Bharat into the divine land of double-crowned kings (Rajasthan). Donate the treasures of the imperishable jewels of knowledge that you have received. Do the service of making human beings become like diamonds from shells. In order to claim the prize of the sun-dynasty kingdom, become a complete helper of the Father.
By having exhibitions, there will be great expansion in service.You should all keep 30" x 40" pictures of the tree and the Trimurti in your homes. When your friends and relatives come, explain these pictures to them. Your name will be glorified if these pictures are sent abroad. Service would then take place at a fast speed.
Points of Self Respect: The kings of kings...warriors...Brahmakumars and kumaris...Sitas...instruments...actors...invaluable...filled with power... children who are loved by the Father...
ॐ शान्ति दिव्य फरिश्ते!!!
विचार सागर मंथन:October 17, 2013
बाबा की महिमा : क्रियेटर... रुद्र शिबबाबा... बिन्दी रूप... त्रिमूर्ति शिव... मोस्ट बिलवेड बाप... पतित-पावन... बागवान...
ज्ञान : बाबा ने समझाया है ऐसे कभी भी किसको नहीं कहना कि भक्ति न करो । नहीं, बाप का परिचय दे समझाना है तब तीर लगेगा ।
श्री श्री शिवबाबा है,उनकी ही माला बनती है ।पुनर्जन्म शिवबाबा नहीं लेते । ब्रह्मा,विष्णु, शंकर को भी पुनर्जन्म नहीं लेना है । राजयोग से राजाओं का राजा बनते हैं अर्थात् जो विकारी राजायें हैं उनके भी हम राजा बन रहे हैं। सेकेण्ड बाई सेकेण्ड ड्रामा हुबहू रिपीट होता है । मुख्य है यह चक्र, चक्र को जानने से हम चक्रवर्ती राजा बनते हैं । सतयुग में आत्मा का ज्ञान है सो भी जब बूढ़े होते हैं तब अनायास ख्याल आता है कि यह पुराना शरीर छोड़ फिर दूसरा नया शरीर लेना है ।
योग : राम सिमर प्रभात मोरे मन .. बाप कहते हैं अभी और कुछ भी नहीं सिमरो , प्रभात के समय मन-बुद्धि से मुझ बाप को याद करो, तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे। योगबल से ही तुम्हारी आत्मा पवित्र बनेगी ।
बाप को पहचान कर दिल से "मेरा बाबा" कहना है । आशीर्वाद नहीं मांगनी है लेकिन योगबल से आत्मा को पावन बनाने का पुरुषार्थ करना है । तुम सब सीतायें हो, आग से पार होती हो। या तो योगबल से पार होना है या तो आग में जलना पड़ेगा। देह सहित देह के सब सम्बन्धों को त्याग एक मोस्ट बिलवेड बाप को याद करो तो तुम्हें सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज मिल जायेगी । उसमें पीस, प्योरिटी, प्रासपर्टी सब कुछ होगा ।
धारणा : बाप से आशीर्वाद या कृपा मांगनी नहीं है। उनकी राय और श्रीमत पर चलते रहना है ।
अपना समय खाने-पीने,झरमुई-झगमुई में व्यर्थ नहीं गँवाना है । चक्र के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज धारण कर चक्रवर्ती राजा बनना है । कौड़ी से हीरे जैसा बन, मनुष्य को बन्दर से मन्दिर लायक बनाना है । भारत में ही सम्पूर्ण निर्विकारी थे ।
सेवा : भारत गोरा था, अभी भारत काला है । श्रीमत पर भारत को दैवी डबल सिरताज राजस्थान बनाने की सेवा करो | अविनाशी ज्ञान रत्नों का खजाना जो मिला है उसे दान करना है । कौड़ी जैसे मनुष्यों को हीरे जैसा बनाने की सेवा करनी है । बाप का पूरा मददगार बन, सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज लेनी है |
एग्जीवीशन से बहुत सर्विस की वृद्धि होती है । 30” x 40” का झाड़ और त्रिमूर्ति के चित्रों घर पर रख मित्र-सम्बन्धी आदि को बहुत अच्छी रीति समझा ना है। विलायत में भी चित्र जायें तो नाम बाला होगा । विहंग मार्ग की सर्विस हो जाए ।
स्वमान : राजाओं का राजा... वारियर्स... ब्रह्माकुमार- कुमारियाँ... सीतायें ...निमित्त... एक्टर्स... अमूल्य... समर्थी सम्पन्न... बाप के प्यारे...
Video of Murli Essence
http://www.youtube.com/watch?v=d7MChYYfxVI
Song: Akhir vo din aya aaj: आखिर वह दिन आया आज.... At last the day for which we had been waiting has come.
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http://www.youtube.com/watch?v=NFequAGlNug&feature=youtu.be
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17-10-2013:
Essence: Sweet children, at the time of the early morning hours, remember Me, your Father, with your mind and intellect. Together with that, do the service of making Bharat into the divine land of kings (Rajasthan).
Question: On what basis do you receive the prize of the sun-dynasty kingdom?
Answer: In order to claim the prize of the sun-dynasty kingdom, become a complete helper of the Father. Continue to follow shrimat. Don't ask for blessings but make effort to make the soul pure with the power of yoga. Renounce your body and all bodily relations and remember the one most beloved Father and you will receive the prize of the sun-dynasty kingdom. There will be everything – peace, purity and prosperity in that.
Song: At last the day for which we had been waiting has come.
Essence for dharna:
1. Donate the treasures of the imperishable jewels of knowledge that you have received. Do not waste your time eating, drinking and gossiping.
2. Do the service of making human beings become like diamonds from shells. Don't ask the Father for blessings or mercy. Continue to follow His directions.
Blessing: May you become filled with power and receive the vision (drishti) of love and mercy through your awareness of the consciousness of “mine”.
The children who recognise the Father and say even once from their heart “My Baba”, BapDada, the Ocean of Mercy, in return, looks at those children with multimillion-fold spiritual love. The vision of mercy and love constantly enables them to move forward. This spiritual awareness of the consciousness of“mine” becomes blessings for those children to fill themselves with such power. BapDada does not need to give them blessings through words, but every child continues to be sustained with subtle thoughts of love.
Slogan: Children who are loved by and have love for the Father cannot have love for anyone or anything else.
17-10-2013:
मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - प्रभात के समय मन-बुद्धि से मुझ बाप को याद करो, साथ-साथ भारत को दैवी राजस्थान बनाने की सेवा करो''
प्रश्न:- सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज़ किस आधार पर मिलती है?
उत्तर:-सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज़ लेना है तो बाप का पूरा मददगार बनो, श्रीमत पर चलते रहो। आशीर्वाद नहीं मांगनी है लेकिन योगबल से आत्मा को पावन बनाने का पुरूषार्थ करना है। देह सहित देह के सब सम्बन्धों को त्याग एक मोस्ट बिलवेड बाप को याद करो तो तुम्हें सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज़ मिल जायेगी। उसमें पीस, प्योरिटी, प्रासपर्टी सब कुछ होगा।
गीत:-आखिर वह दिन आया आज........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अविनाशी ज्ञान रत्नों का खजाना जो मिला है उसे दान करना है। अपना समय खाने-पीने, झरमुई-झगमुई में व्यर्थ नहीं गँवाना है।
2) कौड़ी जैसे मनुष्यों को हीरे जैसा बनाने की सेवा करनी है। बाप से आशीर्वाद या कृपा मांगनी नहीं है। उनकी राय पर चलते रहना है।
वरदान:-मेरे-पन की स्मृति से स्नेह और रहम की दृष्टि प्राप्त करने वाले समर्थी सम्पन्न भव
जो बच्चे बाप को पहचान कर दिल से एक बार भी ``मेरा बाबा'' कहते हैं तो रहम के सागर बापदादा ऐसे बच्चों को रिटर्न में पदमगुणा उसी रूहानी प्यार से देखते हैं। रहम और स्नेह की दृष्टि उन्हें सदा आगे बढ़ाती रहती है। यही रूहानी मेरे पन की स्मृति ऐसे बच्चों के लिए समर्थी भरने की आशीर्वाद बन जाती है। बापदादा को मुख से आशीर्वाद देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है लेकिन सूक्ष्म स्नेह के संकल्प से हर बच्चे की पालना होती रहती है।
स्लोगन:-जो बाप के प्यारे हैं, उनका अन्य किसी व्यक्ति वा वैभव से प्यार हो नहीं सकता।
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