Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

Essence of Murli (H&E) : June 10, 2014:


Essence of Murli (H&E) : June 10, 2014:

 

Essence : Sweet children, always stay in the intoxication of your multimillion-fold  fortune of becoming children of the Purifier Father.  We receive an inheritance of unlimited happiness from Him.

 

Question: Why can you children not have any dislike or hatred for any religion?

 

Answer: Because you know the Seed and the tree.  You know that this is the unlimited tree of the human world.   Each one has his own part in i t.  Actors in  a play do not have hatred for one another. You know  that you have the hero and heroine  parts in this play.   No one else  can see  the happiness that you have seen.  You have the Iimitless happiness that you are the ones who will rule the whole world. 

 

Essence for dharna :
 

1. Study  directly  with  God  at  the confluence age, become  knowledgeable theists  and  also  make others  knowledgeable. Never  have any doubts  in the Father or the study.
 

2.  Become  as lovely as the Father.  Maintain  the happiness that God  is decorating you.    Do  not have dislike  or hatred for any actor.  Each one has an accurate part in this drama.

 

Blessing:   May you be a special  soul  who experiences and gives others  the experience of the property and personality of Brahmin life.

 

BapDada   reminds   all  Brahmin   children:  It  is  your   great   fortune   that   you   have   become Brahmins.  However, the inheritance and property of Brahmin  life is contentment and the personality of Brahmin life is happiness. Never remain  deprived  of this experience. You have a  right  to  it.   Since  the  Bestower and  the  Bestower of  Blessings is giving  you  all  of  these attainments with an open  heart, you have to experience them and also make others experienced in these and you will then be called special souls.

 

Slogan:   Instead  of thinking of the last (final) moments, think of the last (final)  stage.

 


 

सार:-  मीठे बच्चे सदा इसी नशे में रहो कि हमारा पदमापदम भाग्य है, जो पतित-पावन बाप के हम बच्चे बने हैं, उनसे हमें बेहद सुख का वर्सा मिलता है

                                             
प्रश्न:-    तुम बच्चों को किसी भी धर्म से घृणा वा नफ़रत नहीं हो सकती है - क्यों?


उत्तर:- क्योंकि तुम बीज और झाड़ को जानते हो | तुम्हें पता है यह मनुष्य सृष्टि रूपी बेहद का झाड़ है इसमें हर एक का अपना-अपना पार्ट है | नाटक में कभी भी एक्टर्स एक-दूसरे से घृणा नहीं करेंगे | तुम जानते हो हमने इस नाटक में हीरो-हीरोइन का पार्ट बजाया | हमने जो सुख देखे, वह और कोई देख नहीं सकता | तुम्हें अथाह ख़ुशी है कि सारे विश्व पर राज्य करने वाले हम हैं |

 

धारणा के लिए मुख्य सार:-
 

1.         संगमयुग पर डायरेक्ट भगवान् से पढ़ाई पढ़कर, ज्ञानवान आस्तिक बनना और बनाना है | कभी भी बाप वा पढ़ाई में संशय नहीं लाना है |
 

2.         बाप समान लवली बनना है | भगवान् हमारा श्रृंगार कर रहे हैं, इस ख़ुशी में रहना है | किसी भी एक्टर से घृणा वा नफ़रत नहीं करनी है | हरेक का इस ड्रामा में एक्यूरेट पार्ट है |

 

वरदान:-  ब्राह्मण जीवन की प्रॉपर्टी और पर्सनालिटी का अनुभव करने और कराने वाली विशेष आत्मा भव

 

बापदादा सभी ब्राह्मण बच्चों को स्मृति दिलाते हैं कि ब्राह्मण बनेअहो भाग्य! लेकिन ब्राह्मण जीवन का वर्सा, प्रॉपर्टी सन्तुष्टता है और ब्राह्मण जीवन की पर्सनालिटी प्रसन्नता है | इस अनुभव से कभी वंचित नहीं रहना | अधिकारी हो | जब दाता, वरदाता खुली दिल से प्राप्तियों का ख़ज़ाना दे रहे हैं तो उसे अनुभव में लाओ और औरों को भी अनुभवी बनाओ तब कहेंगे विशेष आत्मा |

 

स्लोगन:-  लास्ट समय का सोचने के बजाए लास्ट स्थिति का सोचो |  

 

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