Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

Essence of Murli (H&E): March 03, 2015



Essence of Murli (H&E): March 03, 2015:

सार:- “मीठे बच्चे - खिवैया आया है तुम्हारी नईया पार लगाने, तुम बाप से सच्चे होकर रहो तो नईया हिलेगी-डुलेगी लेकिन डूब नहीं सकती

प्रश्न:-   बाप की याद बच्चों को यथार्थ न रहने का मुख्य कारण क्या है?

उत्तर:- साकार में आते-आते भूल गये हैं कि हम आत्मा निराकार हैं और हमारा बाप भी निराकार है, साकार होने के कारण साकार की याद सहज आ जाती है। देही-अभिमानी बन अपने को बिन्दी समझ बाप को याद करना-इसी में ही मेहनत है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. ऐसा कोई कर्म नहीं करना है जो बाप द्वारा भक्त का टाइटिल मिले। पैगम्बर बन सबको बाप और वर्से को याद करने का पैगाम देना है।
2. इस पुरानी दुनिया में कोई चैन नहीं है, यह छी-छी दुनिया है इसे भूलते जाना है। घर की याद के साथ-साथ पावन बनने के लिए बाप को भी जरूर याद करना है।
वरदान:- डबल सेवा द्वारा अलौकिक शक्ति का साक्षात्कार कराने वाले विश्व सेवाधारी भव !

जैसे बाप का स्वरूप ही है विश्व सेवक, ऐसे आप भी बाप समान विश्व सेवाधारी हो। शरीर द्वारा स्थूल सेवा करते हुए मन्सा से विश्व परिवर्तन की सेवा पर तत्पर रहो। एक ही समय पर तन और मन से इकट्ठी सेवा हो। जो मन्सा और कर्मणा दोनों साथ-साथ सेवा करते हैं, उनसे देखने वालों को अनुभव व साक्षात्कार हो जाता कि यह कोई अलौकिक शक्ति है इसलिए इस अभ्यास को निरन्तर और नेचुरल बनाओ। मन्सा सेवा के लिए विशेष एकाग्रता का अभ्यास बढ़ाओ।

स्लोगन:-  सर्व प्रति गुणग्राहक बनो लेकिन फालो ब्रह्मा बाप को करो।


Essence: Sweet children, the Boatman has come to take your boat across. Remain true to the Father and although your boat may rock, it will not sink. 
  
Question:What is the main reason why children are not able to stay accurately in remembrance of the Father?

Answer:Because you are in a corporeal form, you have forgotten that you are an incorporeal soul and that your Father is also incorporeal. Because you are in a corporeal form, you are easily able to remember corporeal forms. You have to become soul conscious, consider yourself to be a point and remember the Father. Only in this is there effort.

Essence for Dharna:
1. You must not perform any such action through which you would receive the title of a devotee from the Father. Become a messenger and give everyone the message to remember the Father and the inheritance.
2. There is no rest or comfort in this old world; it is a dirty world. Therefore, forget it. As well as remembering the home, you have to remember the Father in order to become pure.

Blessing: May you be a world server who grants visions of the alokik shakti (power) by doing double service.   

Just as the Father’s form is of the World Server, similarly, you too are world servers, the same as the Father. While doing physical service through your bodies, remain engaged in doing the service of world transformation through your minds. Serve through the body and the mind at the same time. Those who observe the souls who serve through their thoughts and deeds at the same time experience or have visions of those souls being alokik Shaktis. Therefore, let this practice be constant and natural. In order to serve through the mind, specially increase the practice of concentration.

Slogan: Be one who picks up virtues from everyone and follows Father Brahma.  

Essence of Murli (H&E): March 02, 2015:



Essence of Murli (H&E): March 02, 2015:

Essence: Sweet children, you should have the intoxication that you are becoming the masters of heaven, the wonder of the world, which your parlokik Father is creating for you.   

Question: What attainments do we receive by keeping the company of the Father?

Answer: By keeping the company of the Father, we claim a right to liberation and liberation-in-life. The company of the Father takes us across. Baba makes us belong to Him and makes us into theists and trikaldarshi (knowers of the three aspects of time). We come to know the Creator and then the beginning, the middle and the end of creation.

Song: Have patience, o man! Your days of happiness are about to come

Essence for Dharna:
1. Do not have dislike or hatred for anyone. Become merciful and do the service of making unhappy souls happy. Become master oceans of love like the Father.
2. Stay in the intoxication and happiness that you are the children of God. Never go into the bad company of Maya. Become soul conscious and imbibe knowledge.

Blessing: May you be a constant embodiment of success who becomes powerful by experiencing all attainments. 
  
Those who experience being embodiments of all attainments are powerful. Only such powerful, experienced souls who are embodiments of all attainments can become embodiments of success because all souls will now look for the master bestowers of happiness and peace, wondering where they are. So, when you have a stock of all powers, you will be able to make everyone content. Abroad, you can get everything in one store. Similarly, you now have to become the same. It should not be that you have the power to tolerate but not the power to face. You need to have a stock of all the powers and you will then be able to become an embodiment of success.

Slogan: The codes of conduct are the steps of Brahmin life. To place your steps in His footsteps means to come close to your destination.



सार:-  मीठे बच्चे - तुम्हें नशा चाहिए कि हमारा पारलौकिक बाप वंडर ऑफ दी वर्ल्ड (स्वर्ग) बनाताजिसके हम मालिक बनते हैं   
प्रश्न:-   बाप के संग से तुम्हें क्या-क्या प्राप्तियां होती हैं?

उत्तर:- बाप के संग से हम मुक्तिजीवन-मुक्ति के अधिकारी बन जाते हैं । बाप का संग तार देता है (पार ले जाता है) । बाबा हमें अपना बनाकर आस्तिक और त्रिकालदर्शी बना देते हैं । हम रचता और रचना के आदि-मध्य- अन्त को जान जाते हैं ।

गीत:- धीरज धर मनुआ ..

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. किसी से भी घृणा वा नफरत नहीं करनी है । रहमदिल बन दुःखी आत्माओं को सुखी बनाने की सेवा करनी है । बाप समान मास्टर प्यार का सागर बनना है ।
2. “भगवान के हम बच्चे हैं” इसी नशे वा खुशी में रहना है । कभी माया के उल्टे संग में नहीं जाना है । देही- अभिमानी बनकर ज्ञान की धारणा करनी है ।

वरदान:- सर्व प्राप्तियों के अनुभव द्वारा पावरफुल बनने वाले सदा सफलतामूर्त भव !   

जो सर्व प्राप्तियों के अनुभवी मूर्त हैं वही पावरफुल हैंऐसी पावरफुल सर्व प्राप्तियों की अनुभवी आत्मायें ही सफलतामूर्त बन सकती हैं क्योंकि अभी सर्व आत्मायें ढूंढेगी कि सुख-शान्ति के मास्टर दाता कहाँ हैं । तो जब आपके पास सर्वशक्तियों का स्टॉक होगा तब तो सबको सन्तुष्ट कर सकेंगे । जैसे विदेश में एक ही स्टोर से सब चीजें मिल जाती हैं ऐसे आपको भी बनना है । ऐसे नहीं सहनशक्ति होसामना करने की नहीं । सर्वशक्तियों का स्टॉक चाहिए तब सफलतामूर्त बन सकेंगे ।

स्लोगन:- मर्यादायें ही ब्राह्मण जीवन के कदम हैंकदम पर कदम रखना माना मंजिल के समीप पहुँचना ।  

Vices to Virtues: 31: संस्कार परिवर्तन


Vices to Virtues: 31: संस्कार परिवर्तन





Bapdada has told us to cremate our old sanskars. (Sanskar ka sanskar karo) Not just to suppress them, but to completely burn them, so there is no trace or progeny left. Check and change now. Have volcanic yoga ( Jwala swaroop) Let us work on one each day. 

बापदादा ने कहा है के ज्वाला  मुखी  अग्नि  स्वरुप  योग  की  शक्ति  से  संस्कारों  का संस्कार करो ; सिर्फ मारना नहींलेकिन  जलाकर नाम रूप ख़त्म कर दो.... चेक और चेन्ज करना ... ज्वाला योग से अवगुण और पुराने संस्कार जला देना ...हररोज़ एक लेंगे और जला देंगे... 


पुराने वा अवगुणों का अग्नि संस्कार   : ३१ ........ बदला लेना .......... बदलकर   मैं आत्मा  बीती सो बीती समझनेवाली क्षमा मूर्त हूँ ...


Cremate our old sanskars 31......to take revenge........ replace them by considering the bygones to be bygone and becoming the embodiment of forgiveness....


Poorane va avguno ka agni sanskar...31.....badla lena...badalkar.... mai atma beeti so beeti samajhnewali, kshama moort hun......


पुराने वा अवगुणों का अग्नि संस्कार   : ३१ ........बदला लेना .......... बदलकर...   मैं आत्मा  बीती सो बीती समझनेवाली क्षमा मूर्त हूँ ...


मैं आत्मा परमधाम शान्तिधाम शिवालय में हूँ ....... शिवबाबा के साथ हूँ ..... समीप हूँ .... समान हूँ ..... सम्मुख हूँ .....  सेफ हूँ ..... बाप की छत्रछाया में हूँ .....अष्ट इष्ट महान सर्व श्रेष्ठ हूँ ...... मैं आत्मा मास्टर ज्ञानसूर्य हूँ .... मास्टर रचयिता हूँ ..... मास्टर महाकाल हूँ ..... मास्टर सर्व शक्तिवान हूँ ..... शिव शक्ति कमबाइनड  हूँ  ........ अकालतक्खनशीन  हूँ ....अकालमूर्त हूँ ..... अचल अडोल अंगद एकरस एकटिक एकाग्र स्थिरियम अथक और बीजरूप  हूँ ........ शक्तिमूर्त ..... संहारनीमूर्त ...... अलंकारीमूर्त ..... कल्याणीमूर्त हूँ ......शक्ति सेना हूँ ..... शक्तिदल हूँ ...... सर्वशक्तिमान हूँ ......  रुहे गुलाब .... जलतीज्वाला .... ज्वालामुखी ....  ज्वालास्वरूप .... ज्वालाअग्नि हूँ .... बदला लेना .................अवगुणों का आसुरी संस्कार का अग्नि संस्कार कर रही हूँ ........ जला रही हूँ ...... भस्म कर रही हूँ ......  मैं आत्मा महारथी महावीर ........ बदला लेना ......... के  मायावी संस्कार पर विजयी रूहानी सेनानी हूँ .......... मैं आत्मा बीती सो बीती समझनेवाली क्षमा मूर्त हूँ ........मैं देही -अभिमानी ..... आत्म-अभिमानी..... रूहानी अभिमानी .....परमात्म अभिमानी..... परमात्म ज्ञानी ..... परमात्म भाग्यवान..... सर्वगुण सम्पन्न  ..... सोला  कला सम्पूर्ण ..... सम्पूर्ण निर्विकारी .....मर्यादा पुरुषोत्तम  ...... डबल अहिंसक  हूँ ..... डबल ताजधारी ..... विष्व  का मालिक हूँ ..... मैं आत्मा ताजधारी ..... तख़्तधारी ..... तिलकधारी ..... दिलतक्खनशीन  ..... डबललाइट ..... सूर्यवंशी शूरवीर ....... महाबली महाबलवान ..... बाहुबलि पहलवान ....... अष्ट भुजाधारी अष्ट शक्तिधारी   अस्त्र शस्त्रधारी शिवमई शक्ति हूँ .....  


Cremate our old sanskars 31......to take revenge........ replace them by considering the bygones to be bygone and becoming the embodiment of forgiveness....

I am a soul...I reside in the Incorporeal world...the land of peace...Shivalaya...I am with the Father...I am close to the Father...I am equal to the Father...I am sitting personally in front of the Father...safe...in the canopy of protection of the Father...I am the eight armed deity...a  special deity...I am great and elevated...I, the soul am the master sun of knowledge...a master creator...master lord of death...master almighty authority... Shivshakti combined...immortal image...seated on an immortal throne...immovable, unshakable Angad, stable in one stage, in a constant stage, with full concentration....steady, tireless and a seed...the embodiment of power...the image of a destroyer...an embodiment of ornaments...the image of a bestower...the Shakti Army...the Shakti  troop...an almighty authority...the spiritual rose...a blaze...a volcano...an embodiment of a blaze...a fiery blaze...I am cremating the sanskar of  taking revenge ......I am burning them...I am turning them into ashes...I, the soul am a maharathi...a mahavir...I am the victorious spiritual soldier that is conquering the vice of ... taking revenge......... considering the bygones to be bygone and becoming the embodiment of forgiveness..........I , the soul, am soul conscious, conscious of the soul, spiritually conscious, conscious of the Supreme Soul, have knowledge of the Supreme Soul, am fortunate for knowing the Supreme Soul.....I am full of all virtues, 16 celestial degrees full, completely vice less, the most elevated human being following the code of conduct, doubly non-violent, with double crown...I am the master of the world, seated on a throne, anointed with a tilak, seated on Baba’s heart throne, double light, belonging to the sun dynasty, a valiant warrior, an  extremely powerful and  an extremely strong wrestler with very strong arms...eight arms, eight powers, weapons and armaments, I am the Shakti merged in Shiv...


Poorane va avguno ka agni sanskar...31.....badla lena...badalkar.... mai atma beeti so beeti samajhnewali, kshama moort hun......

mai atma paramdham shantidham, shivalay men hun...shivbaba ke saath hun...sameep hun...samaan hun...sammukh hun...safe hun...baap ki chhatra chaaya men hun...asht, isht, mahaan sarv shreshth hun...mai atma master gyan surya hun...master rachyita hun...master mahakaal hun...master sarv shakti vaan hun...shiv shakti combined hun...akaal takht nasheen hun...akaal moort hun...achal adol angad ekras ektik ekagr sthiriom athak aur beej roop hun...shaktimoort hun...sanharinimoort hun...alankarimoort hun...kalyani moort hun...shakti sena hun...shakti dal hun...sarvshaktimaan hun...roohe gulab...jalti jwala...jwala mukhi...jwala swaroop...jwala agni hun... badla lena...avguno ka asuri sanskar kar rahi hun...jala rahi hun..bhasm kar rahi hun...mai atma, maharathi mahavir badla lena........ke mayavi sanskar par vijayi ruhani senani hun...mai atma beeti so beeti samajhnewali, kshama moort hun....mai dehi abhimaani...atm abhimaani...ruhani abhimaani...Parmatm abhimaani...parmatm gyaani...parmatm bhagyvaan...sarvagunn sampann...sola kala sampoorn...sampoorn nirvikari...maryada purushottam...double ahinsak hun...double tajdhaari vishv ka malik hun...mai atma taj dhaari...takht dhaari...tilak dhaari...diltakhtnasheen...double light...soorya vanshi shoorvir...mahabali mahabalwaan...bahubali pahalwaan...asht bhujaadhaari...asht shakti dhaari...astr shastr dhaari shivmai shakti hun...


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