Points to Churn from the Murli of October 31, 2012
Swamaan / Sankalp / Slogan:
Swaroop Bano
Points are in 3 languages: Hindi, English
and Hinglish (Hindi written in English Script) Please scroll down to the language
of your choice.
Om Shanti Divine Angels!!!
Points to Churn from the Murli of October 31, 2012
Praise of Baba:
The Ocean of Knowledge, the Incorporeal Purifier, the Supreme Father, and the Supreme Soul Shiv Baba is.... My Baba...Sweet Baba...Loving Baba...Kind-hearted Baba...Compassionate Baba...the True Father...the True Teacher...the Unlimited Father...the Master of Brahmand...the Almighty Authority Father...the Master of the Unlimited...the Spiritual Guide...Gopi Vallabh (Father of the gopis)...
Points of Self-Respect and Soul Study:
We are the brave, valiant and fearless incarnations of Shakti making our stage very strong...
We are the Brahmins who become deities, maintain the intoxication of being the masters of Brahmand as well as the masters of the world...
Service: Religion is might...we, the souls, are the masters of the world who receive might from the Almighty Authority Father and establish the deity religion...
We are the hero actors who come up with new ideas to make the poor Bharat wealthy and prosperous...
With the strength of knowledge and yoga, we, the Brahmins of the confluence age, go to the temples and explain the biography of Laxmi and Narayan and strike the arrow...
ॐ शान्ति दिव्य फरिश्ते !!!
विचार सागर मंथन: अक्तूबर 31, 2012
बाबा की महिमा:
ज्ञान के सागर पतित पावन निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा...प्यारा बाबा...मीठा बाबा...दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु... बेहद का बाप...ब्रह्माण्ड का मालिक...सर्वशक्तिमान बाप...बेहद का मालिक...रूहानी गाइड...गोपी वल्लभ...
स्वमान और आत्मा अभ्यास :
ज्ञान : हम आत्माएँ, बाप से गीता का ज्ञान सुनकर, सृष्टि के आदि-मध्य-अंत का ज्ञान पाकर अंत तक ज्ञान अमृत पीनेवाले, अविनाशी ज्ञान रत्नों का ऊँच धंधा कर सदगति पानेनेवाले, संगम युग में गॉड्ली ज्ञान की डांस कर सतयुग में प्रिन्स प्रिन्सेज के साथ डांस करनेवाले गोप गोपियाँ हैं...
बेहद के मालिक से बेहद में क्लास कर, भारत का प्राचीन राज योग और सहज ज्ञान सीखकर जबरजस्ट कमाई करनेवाले, ज्ञान-ज्ञानेश्वरी सो परिस्तान की राज-राजेश्वरी हैं...
योग: बाप कहते हैं मनमनाभव ! मेरे को याद करने से तुम मेरे पास आ जाएँगे...अब बाप को याद करो तो अंत मति सो गति बन जाएँगी...
हम आत्माएँ, बाप पर पूरा पूरा बलि चढ़नेवाले, खुशनसीब ब्रह्मा मुख वंशी ब्राह्मण कुल भूषण स्वर्ग के मालिक हैं...
धारणा: हम आत्माएँ, ज्ञान रत्नों को बुद्धि में धारण कर सर्व गुण संपन्न, सोलह कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी मर्यादा पुरुषोत्तम, डबल अहिंसक हैं...
ब्रह्माण्ड के मालिक और विश्व के मालिक बननेके नशे में रहनेवाले,ब्राह्मण सो देवता हैं...
सेवा: रिलीज़न इस माइट... हम आत्माएँ, सर्वशक्तिमान बाप से माइट पाकर देवी देवता धर्म की स्थापना करनेवाले, सृष्टि के मालिक हैं...
नये आइडिया निकालकर ग़रीब भारत को साहूकार और मालामाल बनानेवाले, हीरो पार्टधारी हैं...
मंदिरों में जाकर सब को लक्ष्मी नारायण की बायोग्राफ़ी ज्ञान और योग की ताक़त से समझाकर तीर निशाने पर लगानेवाले, संगम युगी ब्राह्मण हैं...
वरदान: हम विशेष पार्ट बजानेवाली महान आत्माएँ, विशेष काम, विशेष गुण, वेशेष पोज़ीशन वा स्टेटस और हर संकल्प से विशेष सम्बंध सम्पर्क द्वारा अनेकों को विशेष प्राप्ति कराकर महान बनानेवाले, साधारण कर्म और संकल्प की समाप्ति कर विशेषता के संस्कार को नेचर बनाकर विशेषता में जीनेवाले, मरजीवा हैं...
स्लोगन : हम आत्माएँ, त्रिकालदर्शीपन की स्थिति के आसन पर बैठकर जैसा समय वैसी विधि अपनानेवाले, बचत की विधि, जमा करनेकी विधि को अपनाकर व्यर्थ का खाता समाप्त कर, विधि से वृद्धि पाकर सिद्धि पानेवाले, समर्थ हैं....
Om Shanti divya farishte !!!
Baba ki Mahima:
Gyan ke Sagar Patit Paavan Niraakaar Parampita Paramatma Shiv Baba hain...Mera Baba...Pyaara Baba...Meetha Baba...Dayalu Baba...Kripalu Baba... Sat Baap...Sat Tichar...Sat Guru... Behad ka Baap...Brahmaand ka Maalik...Sarv Shakti maan baap...behad ka Maalik...Ruhaani Gaaid...Gopi Vallabh...
31-10-2012:
Slogan: A powerful soul is one who finishes all waste with one method or another.
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सदा इस नशे में रहना है कि हम ब्रह्माण्ड और विश्व के मालिक बन रहे हैं। हम ब्राह्मण ही फिर देवता बनेंगे।
2) अपनी अवस्था मजबूत बनानी है। मौत से भी डरना नहीं है। बाप की याद में रहना है। धारणा कर औरों की सर्विस करनी है।
वरदान: विशेषता के संस्कारों को अपनी नेचर बनाए साधारणता को समाप्त करने वाले मरजीवा भव
जैसे किसी की कोई भी नेचर होती है तो वह स्वत: ही अपना काम करती है। सोचना वा करना नहीं पड़ता। ऐसे विशेषता के संस्कार भी नेचर बन जाएं और हर एक के मुख से, मन से यही निकले कि इस विशेष आत्मा की नेचर ही विशेषता की है। साधारण कर्म की समाप्ति हो जाए तब कहेंगे मरजीवा। साधारणता से मर गये, विशेषता में जी रहे हैं। संकल्प में भी साधारणता न हो।
स्लोगन: समर्थ आत्मा वह है जो किसी न किसी विधि से व्यर्थ को समाप्त कर दे।
October 31, 2012:
हम ज्ञान-ज्ञानेश्वरी आत्माएँ, परिस्तान की राज-राजेश्वरी हैं..
We, the souls, the gods and goddesses of
knowledge, are the princes and princesses of Paristan...
Hum gyan-gyaaneshwari atmayen, paristaan ki
raj-raajeshwari hain...
Om Shanti Divine Angels!!!
Points to Churn from the Murli of October 31, 2012
Praise of Baba:
The Ocean of Knowledge, the Incorporeal Purifier, the Supreme Father, and the Supreme Soul Shiv Baba is.... My Baba...Sweet Baba...Loving Baba...Kind-hearted Baba...Compassionate Baba...the True Father...the True Teacher...the Unlimited Father...the Master of Brahmand...the Almighty Authority Father...the Master of the Unlimited...the Spiritual Guide...Gopi Vallabh (Father of the gopis)...
Points of Self-Respect and Soul Study:
Knowledge : By
listening to the knowledge of the Gita from the Father, by receiving the
knowledge of the beginning, the middle and the end of the cycle, by drinking
the nectar of knowledge till the very end, and by doing the business of the imperishable jewels of knowledge, we, the
souls, attain salvation... by performing
the Godly dance of knowledge at the confluence age, we, the gopes and gopis,
dance with the princes and princesses of the golden age...
By studying in an unlimited class and learning the
ancient Raj Yoga and the easy knowledge from the Master of the unlimited, we
earn a huge income, become the gods and goddesses of knowledge, and so the
princes and princesses of Paristan...
Yoga: The
Father says; Manmanabhav! By remembering Me, you will come to Me! You have to
remember the Father so your final thoughts take you to your destination...
We, the souls, are the mouth-born creations of Brahma,
the fortunate decorations of the Brahmin clan, the masters of heaven, who
surrender completely to the Father...
Dharna: By imbibing the jewels of
knowledge in our intellects, we, the souls, become full of all divine virtues,
sixteen celestial degrees full, completely vice less, the most elevated human
beings following the code of conduct, doubly non-violent...
We are the brave, valiant and fearless incarnations of Shakti making our stage very strong...
We are the Brahmins who become deities, maintain the intoxication of being the masters of Brahmand as well as the masters of the world...
Service: Religion is might...we, the souls, are the masters of the world who receive might from the Almighty Authority Father and establish the deity religion...
We are the hero actors who come up with new ideas to make the poor Bharat wealthy and prosperous...
With the strength of knowledge and yoga, we, the Brahmins of the confluence age, go to the temples and explain the biography of Laxmi and Narayan and strike the arrow...
Blessing: We, the great souls, playing special parts, performing
special tasks, have special virtues, special positions or status, and, with
every thought enable others in
connection and relationship to have special attainments to make them
great... by finishing ordinary thoughts and actions we die alive and by making the sanskars of our specialties
our nature, we live an extraordinary life...
Slogan: By sitting on the seat of the
trikaldarshi stage, by using the right
method according to the time, by adopting the method of saving and
accumulating, we, the souls, finish the account of waste... we have growth by
using the right methods, attain success, and become powerful...
ॐ शान्ति दिव्य फरिश्ते !!!
विचार सागर मंथन: अक्तूबर 31, 2012
बाबा की महिमा:
ज्ञान के सागर पतित पावन निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा...प्यारा बाबा...मीठा बाबा...दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु... बेहद का बाप...ब्रह्माण्ड का मालिक...सर्वशक्तिमान बाप...बेहद का मालिक...रूहानी गाइड...गोपी वल्लभ...
स्वमान और आत्मा अभ्यास :
ज्ञान : हम आत्माएँ, बाप से गीता का ज्ञान सुनकर, सृष्टि के आदि-मध्य-अंत का ज्ञान पाकर अंत तक ज्ञान अमृत पीनेवाले, अविनाशी ज्ञान रत्नों का ऊँच धंधा कर सदगति पानेनेवाले, संगम युग में गॉड्ली ज्ञान की डांस कर सतयुग में प्रिन्स प्रिन्सेज के साथ डांस करनेवाले गोप गोपियाँ हैं...
बेहद के मालिक से बेहद में क्लास कर, भारत का प्राचीन राज योग और सहज ज्ञान सीखकर जबरजस्ट कमाई करनेवाले, ज्ञान-ज्ञानेश्वरी सो परिस्तान की राज-राजेश्वरी हैं...
योग: बाप कहते हैं मनमनाभव ! मेरे को याद करने से तुम मेरे पास आ जाएँगे...अब बाप को याद करो तो अंत मति सो गति बन जाएँगी...
हम आत्माएँ, बाप पर पूरा पूरा बलि चढ़नेवाले, खुशनसीब ब्रह्मा मुख वंशी ब्राह्मण कुल भूषण स्वर्ग के मालिक हैं...
धारणा: हम आत्माएँ, ज्ञान रत्नों को बुद्धि में धारण कर सर्व गुण संपन्न, सोलह कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी मर्यादा पुरुषोत्तम, डबल अहिंसक हैं...
अपनी अवस्था मजबूत बनानेवाले, बहादुर, निडर, और निर्भय शक्ति अवतार हैं ...
ब्रह्माण्ड के मालिक और विश्व के मालिक बननेके नशे में रहनेवाले,ब्राह्मण सो देवता हैं...
सेवा: रिलीज़न इस माइट... हम आत्माएँ, सर्वशक्तिमान बाप से माइट पाकर देवी देवता धर्म की स्थापना करनेवाले, सृष्टि के मालिक हैं...
नये आइडिया निकालकर ग़रीब भारत को साहूकार और मालामाल बनानेवाले, हीरो पार्टधारी हैं...
मंदिरों में जाकर सब को लक्ष्मी नारायण की बायोग्राफ़ी ज्ञान और योग की ताक़त से समझाकर तीर निशाने पर लगानेवाले, संगम युगी ब्राह्मण हैं...
वरदान: हम विशेष पार्ट बजानेवाली महान आत्माएँ, विशेष काम, विशेष गुण, वेशेष पोज़ीशन वा स्टेटस और हर संकल्प से विशेष सम्बंध सम्पर्क द्वारा अनेकों को विशेष प्राप्ति कराकर महान बनानेवाले, साधारण कर्म और संकल्प की समाप्ति कर विशेषता के संस्कार को नेचर बनाकर विशेषता में जीनेवाले, मरजीवा हैं...
स्लोगन : हम आत्माएँ, त्रिकालदर्शीपन की स्थिति के आसन पर बैठकर जैसा समय वैसी विधि अपनानेवाले, बचत की विधि, जमा करनेकी विधि को अपनाकर व्यर्थ का खाता समाप्त कर, विधि से वृद्धि पाकर सिद्धि पानेवाले, समर्थ हैं....
Om Shanti divya farishte !!!
Vichaar Sagar Manthan: Aktoobar 31, 2012
Gyan ke Sagar Patit Paavan Niraakaar Parampita Paramatma Shiv Baba hain...Mera Baba...Pyaara Baba...Meetha Baba...Dayalu Baba...Kripalu Baba... Sat Baap...Sat Tichar...Sat Guru... Behad ka Baap...Brahmaand ka Maalik...Sarv Shakti maan baap...behad ka Maalik...Ruhaani Gaaid...Gopi Vallabh...
Swamaan aur Atma Abhyas :
Gyan : Hum atmaayen, baap
se geeta ka gyan sunkar, srishti ke adi-madhy-ant ka gyan paaker ant tak gyan
amrit peenewale, avinaashi gyan ratnon ka oonch dhandhaa kar sadgati
paanenewale, sangam yug men godly gyan ki dans kar satyug men prins
prinsej ke saath dans karnewale gop gopiyaan hain...
Behad ke maalik se behad men klaas kar, Bharat ka prachin raj yog aur sahaj
gyan seekhkar jabarjast kamaai karnewale, gyan-gyaaneshwari so
paristaan ki raj-raajeshwari hain...
|
Yog: Baap kahte hain Man mana
bhav ! mere ko yaad karne se tum mere paas aa jaayenge...ab baap ko yaad karo
to ant mati so gati ban jaayengi...
Hum atmaayen, baap par poora poora bali chadhnewale,
khushnaseeb Brahma mukh vanshi Brahman kul bhooshan swarg ke maalik hain...
Dhaarna: Hum atmaayen, gyan ratnon ko
buddhi men dhaaran kar sarv gun sampann, solah kala sampoorn, sampoorn
nirvikaari maryaada purushottam, dbl ahinsak hain...
apni avastha
majboot banaanewale, bahadur, nidar, aur nirbhay shakti avatar hain ...
brahmaand ke maalik aur vishv ke maalik ban ne ke nashe
men rahnewale,Brahman so devta hain...
Seva: rilijan is maait... Hum atmaayen, sarv shakti maan baap se maait paakar devi devta
dharm ki sthaapna karnewale, srishti ke maalik hain...
naye aaidiya nikaalkar gareeb bharat ko
sahokaar aur malaa maal banaanewale, hiro paart dhaari hain...
mandiron men jaakar sab ko laxmi narayan ki
baayograafy gyan aur yog ki taakat se samjhaakar teer nishaane par lagaanewale,
sangam
yugi Brahman hain...
Vardaan: Hum
vishesh paart bajaanewali mahaan atmaayen, vishesh kaam, vishesh gu n, veshesh
pojishan va statas, aur har sankalp se vishesh sambandh sampark dwara anekon ko
vishesh praapti karaakar mahaan banaanewale,
saadhaaran sankalp ki samaapti kar visheshta ke sanskaar ko
nechar banaakar visheshta men jeenewale, marjeeva hain...
Slogan: Hum atmaayen, trikaal darshi pan ki sthiti
ke aasan par baithkar jaisa samay vaisi vidhi apnaanewale, bachat ki vidhi, jama
karneki vidhi ko apnaakar vyarth ka khaata samaapt kar,
vidhi se vriddhi paakar, siddhi paanewale samarth hain....
|
Dear BK Family.... Since March 1, 2012, we have started special
Mansa service country wise, in alphabetical order. There are more than 200
countries in the world and each day we can serve one country right from
Amritvela until Night ... (this may also give us knowledge of a bit of history
and geography) Please join us, it is an open invitation to all...
With Bapdada’s and the Advance
Party's blessings, let us continue
the World Service Tour: October
31, 2012: ☆ Caribbean Netherlands ☆
Official language(s) Dutch
Recognized regional languages : English (Saba, St. Eustatius),
Recognized regional languages : English (Saba, St. Eustatius),
Papiamentu (Bonaire)
Area - Total 328 km2 ;127 sq mi
Population - end-2010 census 21,133
- Density 64/km2 , 165.8/sq mi
Area - Total 328 km2 ;127 sq mi
Population - end-2010 census 21,133
- Density 64/km2 , 165.8/sq mi
Essence: Sweet children,
Bharat that was very wealthy has now become poor. Only the Father makes this
poor Bharat wealthy once again.
Question: Who are the most fortunate of you gopes and gopis and how?
Answer: The most fortunate are those who perform the Godly dance of knowledge. They are the ones who will go to the golden age and dance with the princes and princesses. Such fortunate children surrender themselves to the Father completely at this time and say: Baba, I belong to You. Nothing is mine. You make me into a master of heaven and so why would I not surrender myself to You?
Essence for dharna:
1. Always maintain the intoxication that you are becoming the masters of Brahmand and of the world. You Brahmins will then become deities.
2. Make your stage strong. Don't even be afraid of death. Stay in remembrance of the Father. Imbibe this knowledge and serve others.
Blessing: May you die alive and finish being ordinary by making the sanskars of uniqueness your own nature.
Question: Who are the most fortunate of you gopes and gopis and how?
Answer: The most fortunate are those who perform the Godly dance of knowledge. They are the ones who will go to the golden age and dance with the princes and princesses. Such fortunate children surrender themselves to the Father completely at this time and say: Baba, I belong to You. Nothing is mine. You make me into a master of heaven and so why would I not surrender myself to You?
Essence for dharna:
1. Always maintain the intoxication that you are becoming the masters of Brahmand and of the world. You Brahmins will then become deities.
2. Make your stage strong. Don't even be afraid of death. Stay in remembrance of the Father. Imbibe this knowledge and serve others.
Blessing: May you die alive and finish being ordinary by making the sanskars of uniqueness your own nature.
When someone has a particular nature, it
automatically works by itself. That person does not then need to think or do
anything. Let the sanskars of uniqueness become your nature and let it emerge
from everyone’s mouth and mind that the nature of this special soul is unique.
When you finish performing ordinary actions, you would then be said to have
died alive, that you have died from being ordinary and are living an
extraordinarily life. Let there be nothing ordinary even in your thoughts.
Slogan: A powerful soul is one who finishes all waste with one method or another.
31-10-2012:
''मुरली सार:- मीठे बच्चे - भारत जो साहूकार था वही अब गरीब बना है, बाप ही इस गरीब भारत को फिर से साहूकार बनाते हैं''
प्रश्न: तुम गोप-गोपियों में सबसे खुशनसीब कौन और कैसे?
उत्तर: सबसे खुशनसीब वह हैं जो गॉडली ज्ञान डांस करते हैं, वही फिर सतयुग में जाकर प्रिन्स-प्रिन्सेज के साथ डांस करेंगे। ऐसे खुशनसीब बच्चे अभी बाप पर पूरा-पूरा बलि चढ़ते हैं, कहते हैं बाबा मैं तेरा, मेरा कुछ भी नहीं। आप हमको स्वर्ग का मालिक बनाते हो तो मैं क्यों नहीं बलिहार जाऊं।
प्रश्न: तुम गोप-गोपियों में सबसे खुशनसीब कौन और कैसे?
उत्तर: सबसे खुशनसीब वह हैं जो गॉडली ज्ञान डांस करते हैं, वही फिर सतयुग में जाकर प्रिन्स-प्रिन्सेज के साथ डांस करेंगे। ऐसे खुशनसीब बच्चे अभी बाप पर पूरा-पूरा बलि चढ़ते हैं, कहते हैं बाबा मैं तेरा, मेरा कुछ भी नहीं। आप हमको स्वर्ग का मालिक बनाते हो तो मैं क्यों नहीं बलिहार जाऊं।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सदा इस नशे में रहना है कि हम ब्रह्माण्ड और विश्व के मालिक बन रहे हैं। हम ब्राह्मण ही फिर देवता बनेंगे।
2) अपनी अवस्था मजबूत बनानी है। मौत से भी डरना नहीं है। बाप की याद में रहना है। धारणा कर औरों की सर्विस करनी है।
वरदान: विशेषता के संस्कारों को अपनी नेचर बनाए साधारणता को समाप्त करने वाले मरजीवा भव
जैसे किसी की कोई भी नेचर होती है तो वह स्वत: ही अपना काम करती है। सोचना वा करना नहीं पड़ता। ऐसे विशेषता के संस्कार भी नेचर बन जाएं और हर एक के मुख से, मन से यही निकले कि इस विशेष आत्मा की नेचर ही विशेषता की है। साधारण कर्म की समाप्ति हो जाए तब कहेंगे मरजीवा। साधारणता से मर गये, विशेषता में जी रहे हैं। संकल्प में भी साधारणता न हो।
स्लोगन: समर्थ आत्मा वह है जो किसी न किसी विधि से व्यर्थ को समाप्त कर दे।
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