Swamaan / Sankalp / Slogan:
Swaroop Bano
Points to Churn from the Murli of November 6, 2012
Praise of Baba:
The Ocean of Knowledge, the Incorporeal Purifier, the Supreme Father, and the Supreme Soul Shiv Baba is.... My Baba...Sweet Baba...Loving Baba...Kind-hearted Baba...Compassionate Baba...the True Father...the True Teacher...the Unlimited Father...the Unlimited Businessman...the Most Beloved Father...Knowledge-full...Blissful...
Points of Self-Respect and Soul Study:
I belong to One Shiv Baba and none other...with this final mantra, the mantra that disciplines the mind, we are victorious over Ravan...by systematically sacrificing the vices, we become yogyukt... by remembering the somersault of 84 births, by becoming the spinners of the discus of self realization, we remain in limitless happiness on the pilgrimage of remembrance...we have loving intellects for the Father and are ever-healthy...
By waking up early in the morning, we have sweet heart-to-heart conversations with the Father...while eating and doing our work we bubble up in remembrance...by practicing to be in the bodiless stage, we benefit ourselves, and by reaching the karmateet stage we attain a high status, and become the masters of heaven...
Dharna: We, the souls, receive the sovereignty of the unlimited world from the Unlimited Father...we repeatedly continue to look at the badge and continue to say “Baba Baba!”...by following God’s shrimat we become elevated and accurate, like Laxmi-Narayan... by imbibing courage and checking ourselves, we make effort day and night in our stage of retirement, make our individual fortune and become the deities of the land of immortality...
By becoming soul conscious, we transform our vision, that is, we have a vision of brotherhood and make the vision of being brothers and sisters firm...we are the Brahmakumars and Brahmakumaris who become worthy, and sing “Wah my fortune, wah!” with great intoxication and become yogis radiant with joy...
By having full victory over vices and full victory over sinful thoughts, and having thoughts only of God, we go beyond any thoughts of happiness and sorrow...by settling our karmic accounts, we are beyond actions and neutral actions, in a stage of being free of actions and free from thoughts...
we save our time by doing the service of making the world land of happiness from a land of sorrow, pure from impure, and beautiful from ugly, by surrounding the whole globe...we are the instruments of making the whole world pure, and remain in happiness and tireless by receiving God’s help...
With a stage filled with knowledge and yoga, and by being pure, free from anger, free from attachment, and free from greed, we do very good service...we fulfill our responsibilities by having pure thoughts, and serving our friends and relatives with alokik and spiritual vision...by being vice-proof, we make others equal to us...
ॐ शान्ति दिव्य फरिश्ते !!!
विचार सागर मंथन: नवंबर 6, 2012
बाबा की महिमा:
ज्ञान के सागर पतित पावन निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा...प्यारा बाबा...मीठा बाबा...दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु... बेहद का बाप...बेहद के व्यापारी...मोस्ट बिल्व्ड बाप...नॉलेजफुल...ब्लीसफ़ुल...
स्वमान और आत्मा अभ्यास :
ज्ञान : हम आत्माएँ, विचार सागर मंथन कर रमणिकता अनुभव करनेवाले, टीचर से प्यार भरी शिक्षा लेकर सुधरनेवाले, अपने से बाप को कभी ना छोड़ने का पक्का प्रण कर स्कालरशिप लेनेवाले, एवर-वेल्दी हैं...
बाप से संकल्प, विकल्प निःसंकल्प अथवा कर्म, अकर्म और विकर्म का ज्ञान बाप से संगम पर पढ़कर विकर्मों से छूटनेवाले, गॉड्ली स्टूडेंट हैं...
योग: हम आत्माएँ, शिव बाबा और वर्से को बहुत प्यार से याद कर कलियुगी दुनिया से वैराग और सतयुगी दुनिया से प्यार करनेवाले, ईश्वरीय रेस में रहकर नई दुनिया के नज़ारे देखनेवाले, अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलनेवाले गोप-गोपियाँ हैं...
मेरा तो एक शिव बाबा दूसरा ना कोई...यही अंतिम मंत्र, वशीकरण मंत्र से रावण पर जीत पानेवाले, कायदे सिर सभी विकारों की आहुति देनेवाले योग युक्त हैं... 84 जन्मों की बाजोली याद रख, स्वदर्शनचक्रधारी बन याद की यात्रा पर सदैव अथाह खुशी में रहनेवाले, बाप से प्रीत बुद्धि रखनेवाले, एवर-हेल्दी हैं...
सवेरे-सवेरे उठकर बाप को याद कर, बाबा से मीठी मीठी रूहरीहान करनेवाले, भोजन खाते, कामकाज करते बाबा की याद में रहकर गदगद होनेवाले, अशरीरी बननेका अभ्यास कर अपना कल्याण करनेवाले, कर्मातीत अवस्था पाकर ऊँच पद पानेवाले, स्वर्ग के मालिक हैं...
धारणा: हम आत्माएँ, बेहद के बाप से बेहद विश्व की बादशाही पानेवाले, बैज को घड़ी-घड़ी देखते-देखते बाबा-बाबा करनेवाले, भगवान की श्रीमत पर चल श्रेष्ठ और एक्युरेट बननेवाले लक्ष्मी-नारायण हैं ...वानप्रस्थ अवस्था में साहस धारण कर, अपनी चेकिंग कर रात-दिन पुरुषार्थ कर अपनी इंडिविजयुअल तकदीर बनानेवाले, अमरलोक के देवता हैं...
देही-अभिमानी बन दृष्टि परिवर्तित करनेवाले, भाई-भाई और भाई-बहन की दृष्टि पक्की करनेवाले, निश्चय बुद्धि ब्रह्माकुमार, ब्रह्माकुमारी हैं...लायक बन, वाह तकदीर वाह के गीत गाकर मस्ताने होनेवाले, मस्त योगी हैं...
विकारों पर पूर्ण जीत पानेवाले, विकल्प पर पूर्ण जीत पानेवाले, ईश्वर अर्थ संकल्प रखनेवाले, दुख सुख से न्यारे, हिसाब-किताब चुकतू कर कर्म अकर्म से परे, अकर्मी अवस्था वाले, निःसंकल्प हैं...
सेवा: हम आत्माएँ, विशाल बुद्धि बन, स्वीट बन, सारा दिन सर्विस के ख्यालात में रहनेवाले, सर्विस बिगैर चैन न पानेवाले, औरों को पढ़ाकर ऊँच टीचर बननेवाले, बाप समान हैं...
सारी दुनिया पर घेराव डालकर विश्व को दुखधाम से सुखधाम, पतित से पावन, क़ाला से गोरा बनानेकी सेवा कर अपना टाइम सेफ करनेवाले, ईश्वर की मदद से अथक बन खुशी में रहनेवाले, सारी दुनिया को शुद्ध बनाना के निमित्त हैं...
ज्ञान विज्ञान मे अवस्था वाले, पवित्र रहकर निरक्रोधी, निरमोहि, निरलोभी बन अच्छी सर्विस करनेवाले, शुद्ध संकल्प की सेवा करनेवाले, मित्र-सम्बन्धियों की सर्विस अलौकिक ईश्वरीय दृष्टि से कर, फ़र्ज़ अदा करनेवाले, औरों को आप समान बनानेवाले, विकार-प्रूफ हैं...
वरदान: दिल से कहो मेरा बाबा, प्यार से कहो मेरा बाबा ...
हम आत्माएँ, अनेक मेरे को “मेरा बाबा” में परिवर्तित करनेकी पुरुषार्थ की यथार्थ विधि से शक्तिशालि योग की अनुभूति कर आगे बढ़नेवाले, सिद्धि स्वरूप हैं...
स्लोगन : हम आत्माएँ, ज्ञानयुक्त, योगयुक्त धारणायुक्त बन मनजीत, मायजीत, सो जगतजीत हैं...
Om Shanti divya farishte !!!
Gyan ke Sagar Patit Paavan Niraakaar Parampita Paramatma Shiv Baba hain...Mera Baba...Pyaara Baba...Meetha Baba...Dayalu Baba...Kripalu Baba... Sat Baap...Sat Tichar...Sat Guru... Behad ka Baap...Behad ke Vyaapaari...Most Bilved Baap...Nolejful...Blis ful...
Hum
atmaayen, Anek mere ko “mera baba” men parivartit karneki purushaarth ki
yathaarth vidi se shakti shaali yog ki
anubhooti kar aage badhnewale, siddhi swaroop hain...
Question: Who is healthy and who is unhealthy on the path of knowledge?
Answer: Those who churn the ocean of knowledge and experience a form of entertainment in their lives are healthy. Those who cannot churn the ocean of knowledge are unhealthy. When a cow eats grass, she chews it all day; her mouth continues to work. If the mouth is not working, it would be understood that the cow is ill. It is the same here.
Essence for dharna:
1) Wake up at amrit vela and have a sweet conversation with Baba. Then, while eating and doing your work, stay in remembrance of Baba. Forget the relations of the body, consider yourself to be a soul and make the vision of brotherhood firm.
2) Attain victory over your sinful thoughts and remain in the detached stage of being beyond any thoughts of happiness or sorrow. Systematically make a sacrifice of the vices and become yogyukt.
Blessing: May you be an embodiment of total success and move constantly forward with the accurate method of making effort.
The accurate method of making effort is to transform the many forms of “mine” into “My Baba”. Maintain this awareness; you may forget everything else, but never forget “My Baba”. You do not have to make effort to remember the one who is yours, as you automatically remember that one. When you say “My Baba” from your heart, your yoga becomes powerful. Move constantly forward with this easy method and become an embodiment of success.
Slogan: In order to become a conqueror of Maya, as well as love, also make the foundation of knowledge strong.
प्रश्न: इस ज्ञान मार्ग में हेल्दी कौन हैं और अनहेल्दी कौन है?
उत्तर: हेल्दी वह है जो विचार सागर मंथन करते जीवन में रमणीकता का अनुभव करता है और अनहेल्दी वह है जिसका विचार सागर मंथन नहीं चलता। जैसे गऊ भोजन खाती है तो सारा दिन उगारती रहती है, मुख चलता रहता है। मुख न चले तो समझा जाता है बीमार है, यह भी ऐसे है।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) अमृतवेले उठ बाबा से मीठी-मीठी रूहरिहान करनी है, फिर भोजन खाते, कामकाज करते बाबा की याद में रहना है, देह के संबंधों को भूल आत्मा भाई-भाई हूँ, यह दृष्टि पक्की करनी है।
2) विकल्पों पर जीत प्राप्त कर दु:ख सुख से न्यारी निरसंकल्प अवस्था में रहना है। कायदेसिर सभी विकारों की आहुति दे योगयुक्त बनना है।
वरदान: पुरूषार्थ की यथार्थ विधि द्वारा सदा आगे बढ़ने वाले सर्व सिद्धि स्वरूप भव
पुरूषार्थ की यथार्थ विधि है-अनेक मेरे को परिवर्तन कर एक ''मेरा बाबा''-इस स्मृति में रहना और कुछ भी भूल जाए लेकिन यह बात कभी नहीं भूले कि ''मेरा बाबा''। मेरे को याद नहीं करना पड़ता, उसकी याद स्वत: आती है। ''मेरा बाबा'' दिल से कहते हो तो योग शक्तिशाली हो जाता है। तो इस सहज विधि से सदा आगे बढ़ते हुए सिद्धि स्वरूप बनो।
स्लोगन: मायाजीत बनना है तो स्नेह के साथ-साथ ज्ञान का भी फाउण्डेशन मजबूत करो।
November 6, 2012:
दिल
से कहो मेरा बाबा, प्यार
से कहो मेरा बाबा...
Say “My Baba” from the heart and with love...
Dil se kaho Mera Baba, pyar se kaho Mera Baba...
Points are in 3 languages: Hindi, English and Hinglish (Hindi
written in English Script) Please scroll down to the language of your choice.
Om Shanti Divine Angels!!!
Points to Churn from the Murli of November 6, 2012
Praise of Baba:
The Ocean of Knowledge, the Incorporeal Purifier, the Supreme Father, and the Supreme Soul Shiv Baba is.... My Baba...Sweet Baba...Loving Baba...Kind-hearted Baba...Compassionate Baba...the True Father...the True Teacher...the Unlimited Father...the Unlimited Businessman...the Most Beloved Father...Knowledge-full...Blissful...
Points of Self-Respect and Soul Study:
Knowledge : By churning the ocean of knowledge, we, the souls,
experience a form of entertainment (ramnik)...we reform with the lessons taught
by the Teacher with love...we make a promise never to leave the Father, attain
scholarship and become ever-wealthy...
We
are the Godly students who get the knowledge of thoughts, sinful thoughts and
being free from thoughts, that is, about action, neutral action and sinful
action from the Father at the confluence age and become free from sins...
Yoga: We,
the souls, remember Shiv Baba and the inheritance with a lot of love...we have
disinterest in the iron-aged world, and love for the golden-aged world...by
being in the Godly race, we see the scenes of the new world...we are the gopes
and gopis swinging on the swing of super sensuous joy...
I belong to One Shiv Baba and none other...with this final mantra, the mantra that disciplines the mind, we are victorious over Ravan...by systematically sacrificing the vices, we become yogyukt... by remembering the somersault of 84 births, by becoming the spinners of the discus of self realization, we remain in limitless happiness on the pilgrimage of remembrance...we have loving intellects for the Father and are ever-healthy...
By waking up early in the morning, we have sweet heart-to-heart conversations with the Father...while eating and doing our work we bubble up in remembrance...by practicing to be in the bodiless stage, we benefit ourselves, and by reaching the karmateet stage we attain a high status, and become the masters of heaven...
Dharna: We, the souls, receive the sovereignty of the unlimited world from the Unlimited Father...we repeatedly continue to look at the badge and continue to say “Baba Baba!”...by following God’s shrimat we become elevated and accurate, like Laxmi-Narayan... by imbibing courage and checking ourselves, we make effort day and night in our stage of retirement, make our individual fortune and become the deities of the land of immortality...
By becoming soul conscious, we transform our vision, that is, we have a vision of brotherhood and make the vision of being brothers and sisters firm...we are the Brahmakumars and Brahmakumaris who become worthy, and sing “Wah my fortune, wah!” with great intoxication and become yogis radiant with joy...
By having full victory over vices and full victory over sinful thoughts, and having thoughts only of God, we go beyond any thoughts of happiness and sorrow...by settling our karmic accounts, we are beyond actions and neutral actions, in a stage of being free of actions and free from thoughts...
Service:
By
having thoughts of doing service all day, we, the souls, feel restless without
doing service... With broad and unlimited intellects, and by being very sweet, we
teach others like the Father and become elevated teachers...
we save our time by doing the service of making the world land of happiness from a land of sorrow, pure from impure, and beautiful from ugly, by surrounding the whole globe...we are the instruments of making the whole world pure, and remain in happiness and tireless by receiving God’s help...
With a stage filled with knowledge and yoga, and by being pure, free from anger, free from attachment, and free from greed, we do very good service...we fulfill our responsibilities by having pure thoughts, and serving our friends and relatives with alokik and spiritual vision...by being vice-proof, we make others equal to us...
Blessing: Say “My Baba” from
the heart and with love...
We,
the souls, are the embodiments of success...we make the effort with the
accurate method to transform the many forms of “mine” into “My Baba”,
experience powerful yoga and constantly move forward easily...
Slogan: By having accurate knowledge, accurate yoga
and accurate dharna, we, the souls, become the conquerors of the mind, the
conquerors of maya and so the conquerors of the world...
ॐ शान्ति दिव्य फरिश्ते !!!
विचार सागर मंथन: नवंबर 6, 2012
बाबा की महिमा:
ज्ञान के सागर पतित पावन निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा...प्यारा बाबा...मीठा बाबा...दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु... बेहद का बाप...बेहद के व्यापारी...मोस्ट बिल्व्ड बाप...नॉलेजफुल...ब्लीसफ़ुल...
स्वमान और आत्मा अभ्यास :
ज्ञान : हम आत्माएँ, विचार सागर मंथन कर रमणिकता अनुभव करनेवाले, टीचर से प्यार भरी शिक्षा लेकर सुधरनेवाले, अपने से बाप को कभी ना छोड़ने का पक्का प्रण कर स्कालरशिप लेनेवाले, एवर-वेल्दी हैं...
बाप से संकल्प, विकल्प निःसंकल्प अथवा कर्म, अकर्म और विकर्म का ज्ञान बाप से संगम पर पढ़कर विकर्मों से छूटनेवाले, गॉड्ली स्टूडेंट हैं...
योग: हम आत्माएँ, शिव बाबा और वर्से को बहुत प्यार से याद कर कलियुगी दुनिया से वैराग और सतयुगी दुनिया से प्यार करनेवाले, ईश्वरीय रेस में रहकर नई दुनिया के नज़ारे देखनेवाले, अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलनेवाले गोप-गोपियाँ हैं...
मेरा तो एक शिव बाबा दूसरा ना कोई...यही अंतिम मंत्र, वशीकरण मंत्र से रावण पर जीत पानेवाले, कायदे सिर सभी विकारों की आहुति देनेवाले योग युक्त हैं... 84 जन्मों की बाजोली याद रख, स्वदर्शनचक्रधारी बन याद की यात्रा पर सदैव अथाह खुशी में रहनेवाले, बाप से प्रीत बुद्धि रखनेवाले, एवर-हेल्दी हैं...
सवेरे-सवेरे उठकर बाप को याद कर, बाबा से मीठी मीठी रूहरीहान करनेवाले, भोजन खाते, कामकाज करते बाबा की याद में रहकर गदगद होनेवाले, अशरीरी बननेका अभ्यास कर अपना कल्याण करनेवाले, कर्मातीत अवस्था पाकर ऊँच पद पानेवाले, स्वर्ग के मालिक हैं...
धारणा: हम आत्माएँ, बेहद के बाप से बेहद विश्व की बादशाही पानेवाले, बैज को घड़ी-घड़ी देखते-देखते बाबा-बाबा करनेवाले, भगवान की श्रीमत पर चल श्रेष्ठ और एक्युरेट बननेवाले लक्ष्मी-नारायण हैं ...वानप्रस्थ अवस्था में साहस धारण कर, अपनी चेकिंग कर रात-दिन पुरुषार्थ कर अपनी इंडिविजयुअल तकदीर बनानेवाले, अमरलोक के देवता हैं...
देही-अभिमानी बन दृष्टि परिवर्तित करनेवाले, भाई-भाई और भाई-बहन की दृष्टि पक्की करनेवाले, निश्चय बुद्धि ब्रह्माकुमार, ब्रह्माकुमारी हैं...लायक बन, वाह तकदीर वाह के गीत गाकर मस्ताने होनेवाले, मस्त योगी हैं...
विकारों पर पूर्ण जीत पानेवाले, विकल्प पर पूर्ण जीत पानेवाले, ईश्वर अर्थ संकल्प रखनेवाले, दुख सुख से न्यारे, हिसाब-किताब चुकतू कर कर्म अकर्म से परे, अकर्मी अवस्था वाले, निःसंकल्प हैं...
सेवा: हम आत्माएँ, विशाल बुद्धि बन, स्वीट बन, सारा दिन सर्विस के ख्यालात में रहनेवाले, सर्विस बिगैर चैन न पानेवाले, औरों को पढ़ाकर ऊँच टीचर बननेवाले, बाप समान हैं...
सारी दुनिया पर घेराव डालकर विश्व को दुखधाम से सुखधाम, पतित से पावन, क़ाला से गोरा बनानेकी सेवा कर अपना टाइम सेफ करनेवाले, ईश्वर की मदद से अथक बन खुशी में रहनेवाले, सारी दुनिया को शुद्ध बनाना के निमित्त हैं...
ज्ञान विज्ञान मे अवस्था वाले, पवित्र रहकर निरक्रोधी, निरमोहि, निरलोभी बन अच्छी सर्विस करनेवाले, शुद्ध संकल्प की सेवा करनेवाले, मित्र-सम्बन्धियों की सर्विस अलौकिक ईश्वरीय दृष्टि से कर, फ़र्ज़ अदा करनेवाले, औरों को आप समान बनानेवाले, विकार-प्रूफ हैं...
वरदान: दिल से कहो मेरा बाबा, प्यार से कहो मेरा बाबा ...
हम आत्माएँ, अनेक मेरे को “मेरा बाबा” में परिवर्तित करनेकी पुरुषार्थ की यथार्थ विधि से शक्तिशालि योग की अनुभूति कर आगे बढ़नेवाले, सिद्धि स्वरूप हैं...
स्लोगन : हम आत्माएँ, ज्ञानयुक्त, योगयुक्त धारणायुक्त बन मनजीत, मायजीत, सो जगतजीत हैं...
Om Shanti divya farishte !!!
Vichaar Sagar Manthan: Navambar 6, 2012
Baba ki Mahima:
Gyan ke Sagar Patit Paavan Niraakaar Parampita Paramatma Shiv Baba hain...Mera Baba...Pyaara Baba...Meetha Baba...Dayalu Baba...Kripalu Baba... Sat Baap...Sat Tichar...Sat Guru... Behad ka Baap...Behad ke Vyaapaari...Most Bilved Baap...Nolejful...Blis ful...
Swamaan aur Atma Abhyas :
Gyan : Hum atmaayen,
vichaar sagar manthan kar ramnikta anubhav karnewale, tichar se pyar bhari
shiksha lekar sudharnewale, apne se baap ko kabhi na chhodne ka pakka pran
kar skaalarship lenewale, evar-weldy hain...
Baap
se sankalp, vikalp nihsankalp athva karm, akarm aur vikarm ka gyan baap se
sangam par padhkar vikarmon se chhootnewale, godly stoodent hain...
|
Yog:
Hum atmaayen, shiv baba aur varse ko bahut
pyar se yaad kar kaliyugi duniya se vairaag aur satyugi duniya se pyaar
karnewale, ishwariy res men rahkar nai duniya ke nazaare dekhnewale, atindriy
sukh ke jhoole men jhoolnewale gop-gopiyaan hain...
Mera
to ek Shiv Baba doosra na koi...yahi antim mantr, vashikaran mantr se ravan par
jeet paanewale, kaayde sir sabhi
vikaaron ki aahuti denewale yog yukt
hain... 84 janmon ki baajoli yaad rakh, sw darshan chakr dhaari ban yaad ki
yaatra par sadaiv athaah khushi men rahnewale, baap se preet buddhi rakhnewale,
evar-haldy hain...
Savere-savere
oothkar baap ko yaad kar, baba se meethi meethi ruhrihaan karnewale, bhojan
khate, kaam kaaj karte baba ki yaad men rahkar gadgad honewale, ashareeree ban neka abhyaas kar apna kalyaan karnewale, karmateet
avastha paakar oonch pad paanewale, swarg ke maalik hain...
Dhaarna: Hum atmaayen, Behad ke baap se behad vishv ki badshaahi paanewale,
baaij ko ghadi-ghadi dehte-dekte baba-baba karnewale, bhagwaan ki
shrimat par chal shreshth aur ekyuret ban laxmi-narayan ban newale hain ...vaan prasth
avastha men saahas dhaaran kar, apni cheking kar raat-din purushaarth kar
apni indivijyual takdeer banaanewale, amarlok ke devta hain...
Dehi-abhimaani
ban drishti parivartit karnewale, bhai-bhai aur bhai-bahan ki drishti pakki
karnewale, nishchay buddhi brahma kumar, brahma kumaari hain...layak ban, wah
takdeer wah ke geet gaakar mastaane honewale, mast yogi hain...
Vikaaron
par poorn jeet paanewale, vikalp par poorn jeet paanewale, ishwar arth
sankalp rakhnewale, dukh sukh se nyaare, hisaab-kitaab chuktoo kar karm akarm
se pare, akarmi avastha wale, nirsankalp hain...
|
Seva: Hum atmaayen, vishaal buddhi ban, sweet
ban, sara din sarvis ke khyaalaat men rahnewale, sarvis bigair chain n
paanewale, auron ko padhaakar oonch tichar ban newale, baap samaan hain...
sari
duniya par gheraav daal kar vishv ko dukhdhaam se sukhdhaam, patit se paavan,
kala se gora banaaneki seva kar apna taaim sef karnewale,
ishwar ki madad se athak ban khushi men
rahnewale, sari duniya ko shuddh banana ke nimitt hain....
gyan
vigyan may avastha wale, pavitr rahkar nir krodhi, nir mohi, nir lobhi ban
achchi sarvis karnewale, shuddh sankalp ki seva karnewale, mitr-sambandhaniyon
ki sarvis alaukik ishwariy drishti se karnewale, farz ada karnewale, auron ko
aap samaan banaanewale, vikaar-proof hain...
Vardaan: Dil se kaho Mera Baba, pyar se kaho Mera Baba
...
Slogan: Hum atmaayen, gyan yukt, yog yukt dhaarna
yukt ban man jeet, mayajeet, so jagat
jeet hain...
|
Dear BK Family.... Since March 1, 2012, we have started special
Mansa service country wise, in alphabetical order. There are more than 200
countries in the world and each day we can serve one country right from
Amritvela until Night ... (this may also give us knowledge of a bit of history
and geography) Please join us, it is an open invitation to all...
With Bapdada’s and the Advance Party's
blessings, let us continue
the
World Service Tour: November 6, 2012:
6-11-12:
Essence: Sweet children, have broad intellects and
do the service of making the whole world into the land of happiness from the
land of sorrow and pure from impure. Save your time; do not waste it.
Question: Who is healthy and who is unhealthy on the path of knowledge?
Answer: Those who churn the ocean of knowledge and experience a form of entertainment in their lives are healthy. Those who cannot churn the ocean of knowledge are unhealthy. When a cow eats grass, she chews it all day; her mouth continues to work. If the mouth is not working, it would be understood that the cow is ill. It is the same here.
Essence for dharna:
1) Wake up at amrit vela and have a sweet conversation with Baba. Then, while eating and doing your work, stay in remembrance of Baba. Forget the relations of the body, consider yourself to be a soul and make the vision of brotherhood firm.
2) Attain victory over your sinful thoughts and remain in the detached stage of being beyond any thoughts of happiness or sorrow. Systematically make a sacrifice of the vices and become yogyukt.
Blessing: May you be an embodiment of total success and move constantly forward with the accurate method of making effort.
The accurate method of making effort is to transform the many forms of “mine” into “My Baba”. Maintain this awareness; you may forget everything else, but never forget “My Baba”. You do not have to make effort to remember the one who is yours, as you automatically remember that one. When you say “My Baba” from your heart, your yoga becomes powerful. Move constantly forward with this easy method and become an embodiment of success.
Slogan: In order to become a conqueror of Maya, as well as love, also make the foundation of knowledge strong.
6-11-12:
मुरली
सार:- ''मीठे बच्चे विशाल बुद्धि बन पूरे विश्व को दु:खधाम से सुखधाम, पतित से पावन बनाने की सेवा करनी है, अपना टाइम सेफ करना है, व्यर्थ नहीं गंवाना है''
प्रश्न: इस ज्ञान मार्ग में हेल्दी कौन हैं और अनहेल्दी कौन है?
उत्तर: हेल्दी वह है जो विचार सागर मंथन करते जीवन में रमणीकता का अनुभव करता है और अनहेल्दी वह है जिसका विचार सागर मंथन नहीं चलता। जैसे गऊ भोजन खाती है तो सारा दिन उगारती रहती है, मुख चलता रहता है। मुख न चले तो समझा जाता है बीमार है, यह भी ऐसे है।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) अमृतवेले उठ बाबा से मीठी-मीठी रूहरिहान करनी है, फिर भोजन खाते, कामकाज करते बाबा की याद में रहना है, देह के संबंधों को भूल आत्मा भाई-भाई हूँ, यह दृष्टि पक्की करनी है।
2) विकल्पों पर जीत प्राप्त कर दु:ख सुख से न्यारी निरसंकल्प अवस्था में रहना है। कायदेसिर सभी विकारों की आहुति दे योगयुक्त बनना है।
वरदान: पुरूषार्थ की यथार्थ विधि द्वारा सदा आगे बढ़ने वाले सर्व सिद्धि स्वरूप भव
पुरूषार्थ की यथार्थ विधि है-अनेक मेरे को परिवर्तन कर एक ''मेरा बाबा''-इस स्मृति में रहना और कुछ भी भूल जाए लेकिन यह बात कभी नहीं भूले कि ''मेरा बाबा''। मेरे को याद नहीं करना पड़ता, उसकी याद स्वत: आती है। ''मेरा बाबा'' दिल से कहते हो तो योग शक्तिशाली हो जाता है। तो इस सहज विधि से सदा आगे बढ़ते हुए सिद्धि स्वरूप बनो।
स्लोगन: मायाजीत बनना है तो स्नेह के साथ-साथ ज्ञान का भी फाउण्डेशन मजबूत करो।
No comments:
Post a Comment