Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

Points to Churn:विचार सागर मंथन: January 17, 2014 (H&E)

Points to Churn: विचार सागर मंथन: January 17, 2014 (H&E)
Om Shanti Divine Angels!!!
Points to Churn: January 17, 2014
Praise of the Father: The Supreme Father the Supreme Soul...Shiv Baba, the Immortal Image is Incorporeal... The incorporeal One is the Truth, theLord of Immortality...the Ocean of Knowledge...the Purifier... the Bestower of Salvation...
Points of Self Respect: We, the incorporeal...immortal images...spiritual children...the spiritual army ...with spiritual weapons... mahavirs ... the gopes and gopis experiencing supersensuous joy...become the masters of the world by learning Raj Yoga...
Knowledge: Firstly, you have to understand the soul. A soul is an immortal image. Death never comes to a soul. Souls have received parts. Therefore, they have to play their part and so, how could death come to a soul?Death can come to the body. The rosaryis created of those who are mahavirs(great warriors). Everyonereceives salvation when the tree becomes full, when everyonehas come down.
Yoga: TheFather now says: Remember Me alone and do not do anythingelse. Become soul consciousand all your negative thoughtswill end. You will not fear anything. You will become free from worry. Yourboat goes acrossif you remember the Father and the inheritance. You will go across the oceanof poison. Remember the Father and your sins will be absolved. The alloy in your soul will be removed. Your final thoughts will lead you to your destination.
Dharna: Renounce your body and all bodily religions and consider yourself to be a soul. Imbibe the virtue of humility. You should not have the slightest arrogance. You should become such mahavirs that Maya cannot shake you.
Service: Remain free from obstacles and make others the same; this is the proof of real service. Praise the Father a lot. Give the introduction of the two Fathers.
The means of the power of silence are pure thoughts, pure feelings and the language of the eyes. On the basis of the power of silence, through the language of the eyes, give an experience of the Father. The power of silence is very much greater than any physical means of service. This is the special weapon of the spiritual army and you can make the peaceless world peaceful with this weapon.

शान्ति दिव्य फरिश्ते!!!
विचार सागर मंथन:January 17, 2014
बाबा की महिमा : परमपिता परमात्मा... शिवबाबा अकालमूर्त,निराकार हैं ... रूहानी बाप ...एकोअंकार सत नाम, अकाल मूर्त... ज्ञान का सागर... पतित-पावन... सद्गति दाता हैं...
स्वमान : हम निराकार ... अकालमूर्त... रूहानी बच्चे... रूहानी शस्त्रधारी ... रूहानी सेना ... महावीर... अतीन्द्रिय सुख वाले गोप गोपियाँ... राजयोग से विश्व के मालिक बन रहे हैं...
ज्ञान: पहले-पहले आत्मा को समझना है | अकालमूर्त आत्मा है | उनको कभी काल खा सके | आत्मा को तो पार्ट मिला हुआ है, सो तो पार्ट बजाना ही है | उनको काल खायेगा कैसे | शरीर को खा सकता है | माला महावीरों की बनती है | सद्गति सबकी तब होती है जब झाड़ पूरा होता है, सब जाते हैं |
योग : अब बाप कहते मामेकम् यादकरो और कुछ भी नहीं करनाहै | देही-अभिमानी बनोतो विकल्प समाप्त हो जायेंगे, किसी भी बातसे डर नहीं लगेगा,तुम फिकरसे फ़ारिगहो जायेंगे | बाप और वर्से की याद रहेतो बेड़ापार हो जाए | विषय सागर से पार हो जायेंगे | बापको याद करो तो पाप भस्म हो जायेंगे | आत्माकी कट उतर जायेगी|अन्त मती सो गति हो जायेगी|
धारणा : देह सहितदेह के सब धर्मोंको छोड़अपने को आत्मा समझो| निर्माणता का गुण धारणकरना है| ज़रा भी अहंकार मेंनहीं आनाहै | ऐसामहावीर बननाहै जो माया हिला सके|
सेवा :निर्विघ्न रहनाऔर निर्विघ्न बनानायहीसच्ची सेवाका सबूतहै | सभी को मनमनाभव का वशीकरण मन्त्रसुनाना है| बहुत प्यारऔर धीरजसे सबकोज्ञान की बातें सुनानीहै | बापका पैगामसब धर्मवालों को देना है| बाप की तुम खूबमहिमा करो| दो बापका भी परिचय देनाहै |
शान्ति की शक्ति का साधन है शुभ संकल्प,शुभ भावनाऔर नयनोंकी भाषाहै | शान्तिकी शक्तिके आधारपर नयनोंकी भाषासे बापका अनुभवकरा ना है | स्थूलसेवा के साधनों से ज़्यादा साइलेन्स की शक्तिअति श्रेष्ठ है | रूहानीसेना का यही विशेषशस्त्र हैइस शस्त्रद्वारा अशान्तविश्व को शान्त बनासकते हो|

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17-01-2014:
Essence: Sweetchildren, become soul conscious and all your negative thoughtswill end. You will not fear anything. You will become free from worry.
Question: In what way does the new tree grow and how?
Answer: The new tree grows very slowly, at the speed of a louse. This drama moves like a louse. Inthe same way, according to the drama, this tree grows slowly because you have to face great opposition from Maya.It takeseffort for you children to become soul conscious. You wouldexperience great happiness if you becamesoul conscious and there would also be expansion in service. Your boat goes acrossif you remember the Father and the inheritance.
Essence for Dharna:
1. Imbibe the virtue of humility. You should not have the slightest arrogance. You should become such mahavirs that Maya cannotshake you.
2. Give everyone the mantraof manmanabhav that disciplines the mind. Relate knowledge to everyone with a lot of love and patience. Givethe Father's messageto those of all religions.
Blessing: May you be one with spiritual weaponsand make the world peacefulby using the means of the powerof silence.
The means of the power of silence are pure thoughts, pure feelings and the language of the eyes. Just as you give the introduction to the Father and His creation throughthe language of words, in the same way, on the basis of the power of silence, throughthe language of the eyes, you can give an experience of the Father. The power of silenceis very much greater than any physical means of service. This is the specialweapon of the spiritual army and you can make the peaceless world peacefulwith this weapon.
Slogan: To remain free from obstacles and make others the same is the proof of real service.
17-01-2014:
सार:- मीठे बच्चे देही-अभिमानी बनो तो विकल्प समाप्त हो जायेंगे, किसी भी बात से डर नहीं लगेगा, तुम फिकर से फ़ारिग हो जायेंगे |”

प्रश्न:- नए झाड़ की वृद्धि किस तरह से होती है और क्यों?

उत्तर:- नए झाड़ की वृद्धि बहुत धीरे-धीरे और जूँ मिसल होती है | जैसे ड्रामा जूँ मिसल चल रहा है, ऐसे ड्रामा अनुसार यह झाड़ भी धीरे-धीरे वृद्धि को पता है क्योंकि इसमें माया का मुकाबला भी बहुत करना पड़ता है | बच्चों को देही-अभिमानी बनने में मेहनत लगती है | देही-अभिमानी बनें तो बहुत ख़ुशी रहे | सर्विस में भी वृद्धि हो | बाप और वर्से की याद रहे तो बेड़ा पार हो जाए |
धारणाके लिएमुख्य सार:-
1. निर्माणता का गुण धारण करना है | ज़रा भी अहंकार में नहीं आना है | ऐसा महावीर बनना है जो माया हिला सके |
2. सभी को मनमनाभव का वशीकरण मन्त्र सुनाना है | बहुत प्यार और धीरज से सबको ज्ञान की बातें सुनानी है | बाप का पैगाम सब धर्म वालों को देना है |
वरदान:- शान्ति की शक्ति के साधनों द्वारा विश्व को शान्त बनाने वाले रूहानी शस्त्रधारी भव
शान्ति की शक्ति का साधन है शुभ संकल्प, शुभ भावना और नयनों की भाषा है | जैसे मुख की भाषा द्वारा बाप का वा रचना का परिचय देते हो, ऐसे शान्ति की शक्ति के आधार पर नयनों की भाषा से नयनों बाप का अनुभव करा सकते हो | स्थूल सेवा के साधनों से ज़्यादा साइलेन्स की शक्ति अति श्रेष्ठ है | रूहानी सेना का यही विशेष शस्त्र हैइस शस्त्र द्वारा अशान्त विश्व को शान्त बना सकते हो |

स्लोगन:- निर्विघ्न रहना और निर्विघ्न बनानायही सच्ची सेवा का सबूत है |

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