01.7.15
``मीठे बच्चे - सभी
को यह खुशखबरी सुनाओ कि अब फिर से विश्व में शान्ति स्थापन हो रही है, बाप आये हैं एक आदि सनातन देवी-देवता धर्म स्थापन करने''
प्रश्न : तुम बच्चों को बार-बार याद में
रहने का इशारा क्यों दिया जाता है?
उत्तर:- क्योंकि एवर
हेल्दी और सदा पावन बनने के लिए है ही याद इसलिए जब भी टाइम मिले याद में रहो।
सवेरे-सवेरे स्नान आदि कर फिर एकान्त में चक्र लगाओ या बैठ जाओ। यहाँ तो कमाई ही
कमाई है। याद से ही विश्व के मालिक बन जायेंगे।
ओम् शान्ति। मीठे बच्चे
जानते हैं कि इस समय सभी विश्व में शान्ति चाहते हैं। यह आवा॰ज सुनते रहते हैं कि
विश्व में शान्ति कैसे हो? परन्तु विश्व में शान्ति कब थी जो
फिर अब चाहते हैं-यह कोई नहीं जानते। तुम बच्चे ही जानते हो विश्व में शान्ति थी
जब इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य था। अभी तक भी लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर बनाते रहते
हैं। तुम कोई को भी यह बता सकते हो विश्व में शान्ति 5 ह॰जार
वर्ष पहले थी, अब फिर से स्थापन हो रही है। कौन स्थापन करते
हैं? यह मनुष्य नहीं जानते। तुम बच्चों को बाप ने समझाया है,
तुम किसको भी समझा सकते हो। तुम लिख सकते हो। परन्तु अभी तक कोई को
हिम्मत नहीं है जो किसको लिखे। अखबार में आवा॰ज सुनते तो हैं-सब कहते हैं विश्व
में शान्ति हो। लड़ाई आदि होगी तो मनुष्य विश्व में शान्ति के लिए यज्ञ रचेंगे।
कौन-सा यज्ञ? रूद्र यज्ञ रचेंगे। अभी बच्चे जानते हैं इस समय
बाप जिसको रूद्र शिव भी कहा जाता है, उसने ज्ञान यज्ञ रचा
है। विश्व में शान्ति अब स्थापन हो रही है। सतयुग नई दुनिया में जहाँ शान्ति थी
जरूर राज्य करने वाले भी होंगे। निराकारी दुनिया के लिए तो नहीं कहेंगे कि विश्व
में शान्ति हो। वहाँ तो है ही शान्ति। विश्व मनुष्यों की होती है। निराकारी दुनिया
को विश्व नहीं कहेंगे। वह है शान्तिधाम। बाबा बार-बार समझाते रहते हैं फिर भी कोई
भूल जाते हैं, कोई-कोई की बुद्धि में है वह समझा सकते हैं।
विश्व में शान्ति कैसे थी, अब फिर कैसे स्थापन हो रही है-यह
किसको समझाना बहुत सहज है। भारत में जब आदि सनातन देवी-देवता धर्म का राज्य था तो
एक ही धर्म था। विश्व में शान्ति थी, यह बड़ी सहज समझाने की
और लिखने की बात है। बड़े-बड़े मन्दिर बनाने वालों को भी तुम लिख सकते हो-विश्व में
शान्ति आज से 5 ह॰जार वर्ष पहले थी, जब
इनका राज्य था, जिनके ही तुम मन्दिर बनाते हो। भारत में ही
इन्हों का राज्य था और कोई धर्म नहीं था। यह तो सहज है और सयानप की बात है। ड्रामा
अनुसार आगे चल सब समझ जायेंगे। तुम यह खुशखबरी सबको सुना सकते हो, छपा भी सकते हो, ब्युटीफुल कार्ड पर। विश्व में
शान्ति आज से 5 ह॰जार वर्ष पहले थी, जब
नई दुनिया नया भारत था। लक्ष्मी-नारायण का राज्य था। अब फिर से विश्व में शान्ति
स्थापन हो रही है। यह बातें सिमरण करने से भी तुम बच्चों को बड़ी खुशी होनी चाहिए।
तुम जानते हो बाप को याद करने से ही हम विश्व के मालिक बनने वाले हैं। सारा मदार
तुम बच्चों के पुरूषार्थ पर है। बाबा ने समझाया है जो भी टाइम मिले बाबा की याद
में रहो। सवेरे में स्नान कर फिर एकान्त में चक्र लगाओ या बैठ जाओ। यहाँ तो कमाई
ही कमाई करनी है। एवर हेल्दी और सदा पावन बनने के लिए ही याद है। यहाँ भल सन्यासी
पवित्र हैं, तो भी बीमार जरूर होते हैं। यह है ही रोगी
दुनिया। वह है निरोगी दुनिया। यह भी तुम जानते हो। दुनिया में किसको क्या पता कि
स्वर्ग में सब निरोगी होते हैं। स्वर्ग किसको कहा जाता है, कोई
को पता नहीं। तुम अभी जानते हो। बाबा कहते हैं-कोई भी मिले तुम समझा सकते हो। समझो
कोई राजा-रानी अपने को कहलाते हैं। अब राजा-रानी तो कोई हैं नहीं। बोलो तुम अभी
राजा-रानी तो हो नहीं। यह बुद्धि से भी निकालना पड़े। महाराजा-महारानी श्री
लक्ष्मी-नारायण की राजधानी तो अब स्थापन हो रही है। तो जरूर यहाँ कोई भी राजा-रानी
नहीं होने चाहिए। हम राजा-रानी हैं यह भी भूल जाओ। ऑर्डनरी मनुष्यों के मुआि॰फक
चलो। इन्हों के पास भी पैसे सोना आदि रहता तो है ना। अभी कायदे पास हो रहे हैं,
यह सब ले लेंगे। फिर कॉमन मनुष्यों के मुआि॰फक हो जायेंगे। यह भी
युक्तियां रच रहे हैं। गायन भी है ना, किसकी दबी रहे धूल में,
किसकी राजा खाए. . . . अब राजा कोई की खाते नहीं हैं। राजायें तो
हैं नहीं। प्रजा ही प्रजा का खा रही है। आजकल का राज्य बड़ा वन्डरफुल है। जब
बिल्कुल राजाओं का नाम निकल जाता है तो फिर राजधानी स्थापन होती है। अभी तुम जानते
हो-हम वहाँ जा रहे हैं जहाँ विश्व में शान्ति होती है। है ही सुखधाम, सतोप्रधान दुनिया। हम वहाँ जाने के लिए पुरूषार्थ कर रहे हैं। बच्चियां
भभके से बैठकर समझायें, बाहर का सिर्फ आर्टाफिशल भभका नहीं
चाहिए। आजकल तो आर्टाफिशल भी बहुत निकले हैं ना। यहाँ तो पक्के
ब्रह्माकुमार-कुमारियां चाहिए।
तुम ब्राह्मण ब्रह्मा बाप
के साथ विश्व में शान्ति की स्थापना का कार्य कर रहे हो। ऐसे शान्ति स्थापन करने
वाले बच्चे बहुत शान्तचित और बहुत मीठे चाहिए क्योंकि जानते हैं-हम निमित्त बने
हैं विश्व में शान्ति स्थापन करने। तो पहले हमारे में बहुत शान्ति चाहिए। बातचीत
भी बहुत आहिस्ते-आहिस्ते बड़ी रॉयल्टी से करनी है। तुम बिल्कुल गुप्त हो। तुम्हारी
बुद्धि में अविनाशी ज्ञान रत्नों का खजाना भरा हुआ है। बाप के तुम वारिस हो ना।
जितना बाप के पास खजाना है, तुमको भी पूरा भरना चाहिए। सारी
मिलकियत आपकी है, परन्तु वह हिम्मत नहीं है तो ले नहीं सकते।
लेने वाले ही ऊंच पद पायेंगे। कोई को समझाने का बड़ा शौक चाहिए। हमको भारत को फिर
से स्वर्ग बनाना है। धंधा आदि करते साथ में यह भी सार्विस करनी है इसलिए बाबा
जल्दी-जल्दी करते हैं। फिर भी होता तो ड्रामा अनुसार ही है। हर एक अपने टाइम पर चल
रहा है, बच्चों को भी पुरूषार्थ करा रहे हैं। बच्चों को
निश्चय है कि अभी बाकी थोड़ा समय है। यह हमारा अन्तिम जन्म है फिर हम स्वर्ग में
होंगे। यह दु:खधाम है फिर सुखधाम हो जायेगा। बनने में टाइम तो लगता है ना। यह विनाश
छोटा थोड़ेही है। जैसे नया घर बनता है तो फिर नये घर की ही याद आती है। वह है हद की
बात, उसमें कोई सम्बन्ध आदि थोड़ेही बदल जाते हैं। यह तो
पुरानी दुनिया ही बदलनी है फिर जो अच्छी रीति पढ़ेंगे वह राजाई कुल में आयेंगे।
नहीं तो प्रजा में चले जायेंगे। बच्चों को बड़ी खुशी होनी चाहिए। बाबा ने समझाया है
50-60 जन्म तुम सुख पाते हो। द्वापर में भी तुम्हारे पास
बहुत धन रहता है। दु:ख तो बाद में होता है। राजायें जब आपस में लड़ते हैं, फूट पड़ती है तब दु:ख शुरू होता है। पहले तो अनाज आदि भी बहुत सस्ते होते
हैं। फैमन आदि भी बाद में पड़ती है। तुम्हारे पास बहुत धन रहता है। सतोप्रधान से
तमोप्रधान में धीरे-धीरे आते हो। तो तुम बच्चों को अन्दर में बहुत खुशी रहनी
चाहिए। खुद को ही खुशी नहीं होगी, शान्ति नहीं होगी तो वह
विश्व में शान्ति क्या स्थापन करेंगे! बहुतों की बुद्धि में अशान्ति रहती है। बाप
आते ही हैं शान्ति का वरदान देने। कहते हैं मुझे याद करो तो तमोप्रधान बनने कारण
जो आत्मा अशान्त हो पड़ी है वह याद से सतोप्रधान शान्त बन जायेगी। परन्तु बच्चों से
याद की मेहनत पहुँचती ही नहीं है, याद में न रहने के कारण ही
फिर माया के तूफान आते हैं। याद में रहकर पूरा पावन नहीं बनेंगे तो स॰जा खानी
पड़ेगी। पद भी भ्रष्ट होगा। ऐसे नहीं समझना चाहिए स्वर्ग में तो जायेंगे ना। अरे,
मार खाकर पाई पैसे का सुख पाना यह कोई अच्छा है क्या। मनुष्य ऊंच पद
पाने के लिए कितना पुरूषार्थ करते हैं। ऐसे नहीं कि जो मिला सो अच्छा है। ऐसा कोई
नहीं होगा जो पुरूषार्थ नहीं करेगा। भीख मांगने वाले फकीर लोग भी अपने पास पैसे इकùे
करते हैं। पैसे के तो सभी भूखे होते हैं। पैसे से हर बात का सुख होता है। तुम
बच्चे जानते हो हम बाबा से अथाह धन लेते हैं। पुरूषार्थ कम करेंगे तो धन भी कम
मिलेगा। बाप धन देते हैं ना। कहते भी हैं-धन है तो अमेरिका आदि का चक्र लगाओ। तुम
जितना बाप को याद करेंगे और सार्विस करेंगे उतना सुख पायेंगे। बाप हर बात में
पुरूषार्थ कराते, ऊंच बनाते हैं। समझते हैं बच्चे
नाम बाला करेंगे हमारे कुल का। तुम बच्चों को भी ईश्वरीय कुल का, बाप का नाम बाला करना है। यह सत बाप, सत टीचर,
सतगुरू ठहरा। ऊंच ते ऊंच बाप ऊंच ते ऊंच सच्चा सतगुरू भी ठहरा। यह
भी समझाया है कि गुरू एक ही होता है, दूसरा न कोई। सर्व का
सद््गति दाता एक। यह भी तुम जानते हो। अभी तुम पारसबुद्धि बन रहे हो। पारसपुरी के
पारसनाथ राजा-रानी बनते हो। कितनी सहज बात है। भारत गोल्डन एजड था, विश्व में शान्ति कैसे थी-यह तुम इस लक्ष्मी-नारायण के चित्र पर समझा सकते
हो। हेविन में शान्ति थी। अभी है हेल। इनमें अशान्ति है। हेविन में यह
लक्ष्मी-नारायण रहते हैं ना। कृष्ण को लॉर्ड कृष्णा भी कहते हैं। कृष्ण भगवान भी
कहते हैं। अब लॉर्ड तो बहुत हैं, जिसके पास लैण्ड (जमीन)
जास्ती होती है उनको भी कहते हैं-लैण्डलार्ड। कृष्ण तो विश्व का प्रिन्स था,
जिस विश्व में शान्ति थी। यह भी किसको पता नहीं राधे-कृष्ण ही
लक्ष्मी-नारायण बनते हैं।
तुम्हारे लिए लोग कितनी
बातें बनाते हैं, हंगामा मचाते हैं, कहते हैं यह तो भाई-बहन बनाते हैं। समझाया जाता है प्रजापिता ब्रह्मा के
मुख वंशावली ब्राह्मण, जिसके लिए ही गाते हैं ब्राह्मण
देवी-देवताए नम:। ब्राह्मण भी उन्हों को नमस्ते करते हैं क्योंकि वह सच्चे भाई-बहन
हैं। पवित्र रहते हैं। तो पवित्र की क्यों नहीं इज्॰जत करेंगे। कन्या पवित्र है तो
उनके भी पांव पड़ते हैं। बाहर का विजीटर आयेगा, वह भी कन्या
को नमन करेगा। इस समय कन्या का इतना मान क्यों हुआ है? क्योंकि
तुम ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ हो ना। मैजारिटी तुम कन्याओं की है। शिवशक्ति पाण्डव
सेना गाई हुई है। इनमें मेल भी हैं, मैजारटी माताओं की है
इसलिए गाया जाता है। तो जो अच्छी रीति पढ़ते हैं वह ऊंच बनते हैं। अभी तुम सारे
वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी जान गये हो। चक्र पर भी समझाना बहुत सहज है। भारत
पारसपुरी था, अभी है पत्थरपुरी। तो सभी पत्थरनाथ ठहरे ना।
तुम बच्चे इस 84 के चक्र को भी जानते हो। अभी जाना है घर तो
बाप को भी याद करना है, जिससे पाप कटते हैं। परन्तु बच्चों
से याद की मेहनत पहुँचती नहीं है क्योंकि अलबेलापन है। सवेरे उठते नहीं हैं। अगर
उठते हैं तो मजा नहीं आता। नींद आने लगती है तो फिर सो जाते हैं। होपलेस हो जाते
हैं। बाबा कहते हैं-बच्चे, य्ाह युद्ध का मैदान है ना। इसमें
होपलेस नहीं होना चाहिए। याद के बल से ही माया पर जीत पानी है। इसमें मेहनत करनी
चाहिए। बहुत अच्छे-अच्छे बच्चे जो यथार्थ रीति याद नहीं करते, चार्ट रखने से घाटे-फायदे का पता पड़ जाता है। कहते हैं चार्ट ने तो मेरी
अवस्था में कमाल कर दी है। ऐसे विरला कोई चार्ट रखता है। यह भी बड़ी मेहनत है। बहुत
सेन्टर्स में झूठे भी जाकर बैठते हैं, विकर्म करते रहते हैं।
बाप के डायरेक्शन पर अमल न करने से बहुत नुकसान कर देते हैं। बच्चों को पता थोड़ेही
पड़ता है-निराकार कहते हैं वा साकार? बच्चों को बार-बार
समझाया जाता है-हमेशा समझो शिवबाबा डायरेक्शन देते हैं। तो तुम्हारी बुद्धि वहाँ
लगी रहेगी।
आजकल सगाई होती है तो
चित्र दिखाते हैं, अखबार में भी डालते हैं कि इनके
लिए ऐसे-ऐसे अच्छे घर की चाहिए। दुनिया का क्या हाल हो गया है, क्या होने का है! तुम बच्चे जानते हो अनेक प्रकार की मतें हैं। तुम
ब्राह्मणों की है एक मत। विश्व में शान्ति स्थापन करने की मत। तुम श्रीमत से विश्व
में शान्ति स्थापन करते हो तो बच्चों को भी शान्ति में रहना पड़े। जो करेगा सो
पायेगा। नहीं तो बहुत घाटा है। जन्म-जन्मान्तर का घाटा है। बच्चों को कहते हैं
अपना घाटा और फायदा देखो। चार्ट देखो हमने किसको दु:ख तो नहीं दिया? बाप कहते हैं तुम्हारा यह समय एक-एक सेकण्ड मोस्ट वैल्युबुल है, मोचरा खाकर मानी टुक्कड़ खाना वह क्या बड़ी बात है। तुम तो बहुत धनवान बनने
चाहते हो ना। पहले- पहले जो पूज्य हैं उनको ही पुजारी बनना है। इतना धन होगा,
सोमनाथ का मन्दिर बनायें तब तो पूजा करें। यह भी हिसाब है। बच्चों
को फिर भी समझाते है चार्ट रखो तो बहुत फायदा होगा। नोट करना चाहिए। सबको पैगाम
देते जाओ, चुप करके नहीं बैठो। ट्रेन में भी तुम समझाकर
लिटरेचर दे दो। बोलो, यह करोड़ों की मिलकियत है।
लक्ष्मी-नारायण का भारत में जब राज्य था तो विश्व में शान्ति थी। अब बाप फिर से वह
राजधानी स्थापन करने आये हैं, तुम बाप को याद करो तो विकर्म
विनाश हों और विश्व में शान्ति हो। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों
प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉा\नग। रूहानी
बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के
लिए मुख्य सार:-
1) हम विश्व में शान्ति स्थापन करने के निमित्त ब्राह्मण
हैं, हमें बहुत-बहुत शान्तचित रहना है, बातचीत बहुत आहिस्ते वा रॉयल्टी से करनी है।
2) अलबेलापन छोड़ याद की मेहनत करनी है। कभी भी होपलेस
नहीं बनना है।
वरदान:- अमृतवेले का
महत्व जानकर खुले
भण्डार से अपनी
झोली भरपूर करने
वाले तकदीरवान भव
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