Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

16-6-2012 MURLI


[16-06-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम ब्राह्मण कुल श्रेष्ठ, विष्णुकुल का बनने वाले हो, इसलिए तुम्हें पक्का वैष्णव बनना है, कोई भी बेकायदे चीज़ें प्याज़ आदि भी नहीं खाना है'' 
प्रश्न: तुम बच्चों को किस परीक्षा से डरना व मूँझना नहीं है? 
उत्तर: अगर चलते-चलते इस पुरानी जुत्ती (शरीर) को कोई तकलीफ होती है, बीमारी आदि आती है तो इससे डरना व मूंझना नहीं है और ही खुश होना है, क्योंकि तुम जानते हो - यह कर्म भोग है। पुराना हिसाब-किताब चुक्तू हो रहा है। हम योगबल से हिसाब-किताब नहीं चुक्तू कर सके तो कर्म भोग से चुक्तू हो रहा है। यह जल्दी खत्म हो तो अच्छा है। 
गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) ऊंच पद पाने के लिए शिवबाबा की हट्टी (दुकान) का अच्छा सेल्समैन बनना है। हर एक की नब्ज देखकर फिर उसे ज्ञान देना है। 
2) क्रोध के वश हो मुख से दु:खदाई बोल नहीं बोलने हैं। बाप का मददगार बनने की गैरन्टी कर कोई भी डिस-सर्विस का काम नहीं करना है। 
वरदान: बुद्धि को बिजी रखने की विधि द्वारा व्यर्थ को समाप्त करने वाले सदा समर्थ भव 
सदा समर्थ अर्थात् शक्तिशाली वही बनता है जो बुद्धि को बिजी रखने की विधि को अपनाता है। व्यर्थ को समाप्त कर समर्थ बनने का सहज साधन ही है-सदा बिजी रहना इसलिए रोज़ सवेरे जैसे स्थूल दिनचर्या बनाते हो ऐसे अपनी बुद्धि को बिजी रखने का टाइम-टेबल बनाओ कि इस समय बुद्धि में इस समर्थ संकल्प से व्यर्थ को खत्म करेंगे। बिजी रहेंगे तो माया दूर से ही वापस चली जायेगी। 
स्लोगन: दु:खों की दुनिया को भूलना है तो परमात्म प्यार में सदा खोये रहो। 

[16-06-2012]

Essence: Sweet children, you will go from the Brahmin clan into the elevated clan of Vishnu, so you must become true Vaishnavs. Do not eat anything impure such as onions etc. 
Question: Which examination should you children not be afraid of or confused about? 
Answer: If, while moving along, something happens to that old shoe (body), if there is any difficulty or you become ill, you must not be afraid or confused but, instead, you should be even happier, because you understand that it is the suffering of karma, that your old karmic accounts are being settled. If we are not able to settle them through the power of yoga, then they are settled through suffering of karma. It is good if they are settled quickly. 
Song: Our pilgrimage is unique. 

Essence for dharna: 
1. In order to claim a high status, be a good salesman in Shiv Baba’s shop. Feel the pulse of each one before giving knowledge. 
2. Do not speak sorrowful words under the influence of anger. Having given a guarantee that you will become a helper of the Father, do not perform any action that might cause disservice. 

Blessing: May you finish all waste with the method of keeping your intellect busy and be constantly powerful. 
Only those who adopt the method of keeping their intellects busy are able to remain constantly powerful. The easy method to finish all waste and to become powerful is to remain constantly busy. Therefore, every morning, just as you make your physical timetable, in the same way, make a timetable to keep your intellect busy: At this time, I will finish all waste by keeping this powerful thought in my intellect. If you remain busy, Maya will run away from a distance. 
Slogan: In order to forget the world of sorrow, remain constantly lost in love of God. 

मौन भट्टी में दादी जानकी जी की क्लास्सेस के मुख्य बिंदु



15-6-2012 MURLI


[15-06-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - विकर्मों से बचने के लिए घड़ी-घड़ी अशरीरी बनने की प्रैक्टिस करो, यह प्रैक्टिस ही माया जीत बनायेगी, स्थाई योग जुटा रहेगा'' 
प्रश्न: कौन सा निश्चय यदि पक्का हो तो योग टूट नहीं सकता? 
उत्तर: सतयुग त्रेता में हम पावन थे, द्वापर कलियुग में पतित बने, अब फिर हमें पावन बनना है, यह निश्चय पक्का हो तो योग टूट नहीं सकता। माया हार खिला नहीं सकती। 
गीत:- जो पिया के साथ है... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) कोई भी असत्य कर्म नहीं करना है, मौत सामने खड़ा है, कयामत का समय है इसलिए सबको कब्र से जगाना है। पावन बनने और बनाने की सेवा करनी है। 
2) इस छी-छी दुनिया में कोई भी कामनायें नहीं रखनी है। सबके डूबे हुए बेड़े को सैलवेज करने में बाप का पूरा मददगार बनना है। 
वरदान: मन-बुद्धि की स्वच्छता द्वारा यथार्थ निर्णय करने वाले सफलता सम्पन्न भव 
किसी भी कार्य में सफलता तब प्राप्त होती है जब समय पर बुद्धि यथार्थ निर्णय देती है। लेकिन निर्णय शक्ति काम तब करती है जब मन-बुद्धि स्वच्छ हो, कोई भी किचड़ा न हो इसलिए योग अग्नि द्वारा किचड़े को खत्म कर बुद्धि को स्वच्छ बनाओ। किसी भी प्रकार की कमजोरी-यह गन्दगी है। जरा सा व्यर्थ संकल्प भी किचड़ा है, जब यह किचड़ा समाप्त हो तब बेफिक्र रहेंगे और स्वच्छ बुद्धि होने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी। 
स्लोगन: सदा श्रेष्ठ और शुद्ध संकल्प इमर्ज रहें तो व्यर्थ स्वत: मर्ज हो जायेंगे। 

[15-06-2012]

Essence: Sweet children, in order to be saved from sinful actions, practise being bodiless again and again. It is this practice that will make you into conquerors of Maya and it will make your yoga remain constantly connected. 
Question: Which aspect of faith should be so firm that your yoga does not break? 
Answer: We were pure in the golden and silver ages, and we became impure during the copper and iron ages. We now have to become pure, once again. If this faith is firm, your yoga will not break. Maya will not defeat you. 
Song: The rain of knowledge is for those who are with the Beloved. 

Essence for dharna: 
1. Do not perform any false actions. Death is just ahead. It is the time of settlement and you must therefore awaken everyone from the grave. Do the service of becoming pure and making others pure. 
2. Do not have any desires in this dirty world. Become the Father’s complete helpers in salvaging everyone’s sunken boat. 

Blessing: May you make the right decisions with cleanliness in your mind and intellect and become full of success. 
In any task, you only attain success when your intellect makes the right decision at the right time. However, the power of decision-making only works when your mind and intellect are clean and there is no rubbish in them. This is why you have to burn all the rubbish in the fire of yoga and make your intellect clean. Any type of weakness is rubbish. The slightest waste thought is also rubbish. When you finish this rubbish, you will remain carefree and, because of having a clean intellect, you will attain success in every task. 
Slogan: Always keep elevated and pure thoughts emerged and waste thoughts will automatically be merged. 

14-6-2012 MURLI



[14-06-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - रात-दिन इसी चिन्तन में रहो कि सबको बाप का परिचय कैसे दें, फादर शोज़ सन, सन शोज़ फादर, इसी में बुद्धि लगानी है'' 
प्रश्न: ज्ञान जरा भी व्यर्थ न जाये उसके लिए किस बात का ध्यान रखना है? 
उत्तर: ज्ञान धन देने के लिए पहले देखो कि यह हमारे ब्राह्मण कुल का है! जो शिवबाबा के वा देवताओं के भक्त हैं, कोशिश कर उनको ज्ञान धन दो। यह ज्ञान सब नहीं समझेंगे। समझ में उन्हें ही आयेगा जो शूद्र से ब्राह्मण बनने वाले हैं। तुम कोशिश कर एक बात तो सबको सुनाओ कि सर्व का सद्गति दाता एक बाप ही है, वह कहता है कि तुम अशरीरी बन मुझे याद करो तो तुम्हारा बेड़ा पार हो जायेगा। 
गीत:- ओम् नमो शिवाए.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अशरीरी बन बाप को याद करना है। स्वधर्म में स्थित होने का अभ्यास करना है। ज्ञान की डांस करनी और करानी है। 
2) माया के तूफानों से हिलना नहीं है। डरना नहीं है। पक्का बनकर माया के प्रेशर को खत्म करना है। 
वरदान: सूक्ष्म पापों से मुक्त बन सम्पूर्ण स्थिति को प्राप्त करने वाले सिद्धि स्वरूप भव 
कई बच्चे वर्तमान समय कर्मो की गति के ज्ञान में बहुत इजी हो गये हैं इसलिए छोटे-छोंटे पाप होते रहते हैं। कर्म फिलासाफी का सिद्धान्त है-यदि आप किसी की ग्लानी करते हो, किसी की गलती (बुराई) को फैलाते हो या किसी के साथ हाँ में हाँ भी मिलाते हो तो यह भी पाप के भागी बनते हो। आज आप किसी की ग्लानी करते हो तो कल वह आपकी दुगुनी ग्लानी करेगा। यह छोटे-छोटे पाप सम्पूर्ण स्थिति को प्राप्त करने में विघ्न रूप बनते हैं इसलिए कर्मो की गति को जानकर पापों से मुक्त बन सिद्धि स्वरूप बनो। 
स्लोगन: आदि पिता के समान बनने के लिए शक्ति, शान्ति और सर्वगुणों के स्तम्भ बनो। 

[14-06-2012]

Essence: Sweet children, day and night, just have the concern about how you can give the Father’s introduction to everyone. Father shows son and son shows Father; use your intellect for only this. 
Question: What should you pay attention to so that knowledge is not even slightly wasted? 
Answer: Feel the pulse before giving the wealth of knowledge: Does this one belong to our Brahmin clan? Try to give the wealth of knowledge to those who are either devotees of Shiv Baba or of the deities. Not everyone will understand this knowledge. Only those who are going to change from shudras into Brahmins will understand. You must try to tell everyone at least one thing: The Father alone is the Bestower of Salvation for All. He says: Become bodiless and remember Me and your boat will go across. 
Song: Salutations to Shiva. 

Essence for dharna: 
1. Become bodiless and remember the Father. Practise being stable in the original religion of the self. Dance the dance of knowledge and make others dance. 
2. Do not be shaken by the storms of Maya; do not be afraid. Become firm and finish the pressure of Maya. 

Blessing: May you become free from subtle sins and attain your stage of perfection and there by become an embodiment of success. 
At present, some children have become very easy (slack) in the knowledge of the philosophy of karma and they therefore continue to commit small sins. The principle of the philosophy of karma is: If you defame anyone, if you talk about anyone’s mistakes or if you agree with someone in whatever wrong things they say, you also become a partner in that sin. Today, you may defame someone and tomorrow they will defame you twice as much. These small sins become an obstacle in your attaining your stage of perfection. Therefore, understand the philosophy of karma, become free from the sins and become an embodiment of success. 
Slogan: In order to become like Adi Pita (first father), become a tower of power, peace and all virtues. 

पाप और पुण्य की गहन गति



Murli 13-06-2012



 [13-06-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - ज्ञान का फाउन्डेशन है निश्चय, निश्चयबुद्धि बन पुरुषार्थ करो तो मंजिल तक पहुँच जायेंगे'' 
प्रश्न: कौन सी एक बात बहुत ही समझने और निश्चय करने की है? 
उत्तर: अब सभी आत्माओं का हिसाब-किताब चुक्तू होने वाला है। सभी मच्छरों सदृश्य जायेंगे अपने स्वीट होम, फिर नई दुनिया में थोड़ी सी आत्मायें आयेंगी। यह बात बहुत ही समझने और निश्चय करने की है। 
प्रश्न:- बाप किन बच्चों को देख खुश होते हैं? 
उत्तर:- जो बच्चे बाप पर पूरा बलि चढ़ते हैं, जो माया से हिलते नहीं अर्थात् हनूमान की तरह अचल अडोल रहते हैं। ऐसे बच्चों को देख बाप भी खुश होते हैं। 
गीत:- धीरज धर मनुआ... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) उठते-बैठते चलते अपने को एक्टर समझना है, दिल में रहे हमने 84 जन्मों का पार्ट पूरा किया, अब घर जाना है। देही-अभिमानी हो रहना है। 
2) निश्चयबुद्धि हो कांटों से फूल बनने का पुरुषार्थ करना है। माया से युद्ध कर विजयी बन कर्मातीत बनना है। जितना हो सके अपने घर को याद करना है। 
वरदान: साइलेन्स की शक्ति से बुराई को अच्छाई में बदलने वाले शुभ भावना सम्पन्न भव 
जैसे साइन्स के साधन से खराब माल को भी परिवर्तन कर अच्छी चीज़ बना देते हैं। ऐसे आप साइलेन्स की शक्ति से बुरी बात वा बुरे संबंध को बुराई से अच्छाई में परिवर्तन कर दो। ऐसे शुभ भावना सम्पन्न बन जाओ जो आपके श्रेष्ठ संकल्प से अन्य आत्मायें भी बुराई को बदल अच्छाई धारण कर लें। नॉलेजफुल के हिसाब से राइट रांग को जानना अलग बात है लेकिन स्वयं में बुराई को बुराई के रूप में धारण करना गलत है, इसलिए बुराई को देखते, जानते भी उसे अच्छाई में बदल दो। 
स्लोगन: सहनशीलता का गुण धारण करो तो कठोर संस्कार भी शीतल हो जायेंगे। 
[13-06-2012]

Essence: Sweet children, the foundation of knowledge is faith. Make effort with faith in your intellect and you will reach the destination. 
Question: What one aspect should you understand deeply and have faith? 
Answer: The karmic accounts of all souls are about to be settled and everyone will return to the sweet home like a swarm of mosquitoes. After that, only a few souls will go to the new world. This aspect should be understood deeply and you must have faith in it. 
Question: Which children is the Father pleased to see? 
Answer: The children who completely sacrifice themselves to the Father, those who are not shaken by Maya, that is, who are as unshakeable and immovable as Hanuman. The Father is pleased to see such children. 
Song: Have patience, o mind! Your days of happiness are about to come. 
Essence for dharna: 
1. While sitting or moving, consider yourself to be an actor. Remember in your heart that you have now completed your 84 births and have to return home. Be soul conscious. 
2. Have faith in the intellect and make effort to change from thorns into flowers. Battle with Maya, be victorious and become karmateet. Remember your home as much as possible. 

Blessing: May you be full of good wishes and transform bad things into good qualities with your power of silence. 
With the facilities of science you are able to transform a bad thing into something good. In the same way, with the power of silence, transform any bad situations and bad relationships into something good. Become full of good wishes in such a way that, through your elevated thoughts, other souls also change whatever bad things they have in themselves and imbibe goodness. To know what is right and what is wrong in terms of being knowledge-full is a different matter, but to imbibe bad things in oneself in that form is wrong. Therefore, while seeing and knowing something is bad, transform it into something good. 
Slogan: Imbibe the virtue of tolerance and harsh sanskars will become cool and serene.

12-6-2012 MURLI



[12-06-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम जगत अम्बा कामधेनु के बच्चे और बच्चियाँ हो, तुम्हें सबकी मनोकामनाएं पूरी करनी हैं, अपने बहन-भाइयों को सच्चा रास्ता बताना है'' 
प्रश्न: तुम बच्चों को बाप द्वारा कौन सी रेसपान्सिबिल्टी मिली हुई है? 
उत्तर: बच्चे, बेहद का बाप बेहद का सुख देने आया है, तो तुम्हारा फर्ज है घर-घर में यह पैगाम दो। बाप का मददगार बन घर-घर को स्वर्ग बनाओ। कांटों को फूल बनाने की सेवा करो। बाप समान निरहंकारी, निराकारी बन सबकी खिदमत करो। सारी दुनिया को रावण दुश्मन के चम्बे से छुड़ाना - यह सबसे बड़ी रेसपान्सिबिल्टी तुम बच्चों की है। 
गीत:- माता ओ माता..... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) श्रीमत पर बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है, परमत वा मनमत पर नहीं चलना है। नष्टोमोहा बन, हिम्मत रख सर्विस में लगना है। 
2) अभी हम पियरघर में हैं, यहाँ किसी भी प्रकार का फैशन नहीं करना है। स्वयं को ज्ञान रत्नों से श्रृंगारना है। पवित्र रहना है। 
वरदान: क्या, क्यों, ऐसे और वैसे के सभी प्रश्नों से पार रहने वाले सदा प्रसन्नचित्त भव 
जो प्रसन्नचित आत्मायें हैं वे स्व के संबंध में वा सर्व के संबंध में, प्रकृति के संबंध में, किसी भी समय, किसी भी बात में संकल्प-मात्र भी क्वेश्चन नहीं उठायेंगी। यह ऐसा क्यों वा यह क्या हो रहा है, ऐसा भी होता है क्या? प्रसन्नचित आत्मा के संकल्प में हर कर्म को करते, देखते, सुनते, सोचते यही रहता है कि जो हो रहा है वह मेरे लिए अच्छा है और सदा अच्छा ही होना है। वे कभी क्या, क्यों, ऐसा-वैसा इन प्रश्नों की उलझन में नहीं जाते। 
स्लोगन: स्वयं को मेहमान समझकर हर कर्म करो तो महान और महिमा योग्य बन जायेंगे। 

[12-06-2012]

Essence: Sweet children, you are the sons and daughters of Kamdhenu (the cow that fulfils all desires), Jagadamba. You have to fulfil everyone’s desires and show the true path to your brothers and sisters. 
Question: What responsibility have you children been given by the Father? 
Answer: Children, the unlimited Father has come to give unlimited happiness, and so your duty is to give this message to everyone. Become the Father’s helpers and make each home into heaven. Do the service of changing thorns into flowers. Become egoless and incorporeal like the Father and help everyone. The greatest responsibility of you children is to liberate the entire world from the claws of the enemy Ravan. 
Song: Mother, o mother, you are the fortune maker for all. 

Essence for dharna: 
1. According to shrimat, you have to become the Father’s true helpers. Do not follow the dictates of your own mind or those of others. Become free from attachment, have courage and engage yourself in service. 
2. At present, we are in the home of the parents, and so we cannot follow any kind of fashion here. Decorate yourself with the jewels of knowledge. Remain pure. 

Blessing: May you be constantly happy hearted by remaining beyond all questions such as, “Why? What? Like this or like that?” 
Souls who are happy hearted will never raise any questions at any time, in any situation, in terms of the self, in terms of relationships with anyone or in terms of matter such as, “Why is this like this?” Or, “What is happening? Does this also happen?” While performing actions, while seeing, hearing and thinking, happy-hearted souls always have in their thoughts: Whatever is happening is good for them and it will always be the best for them. They never get caught up in the confusion of Why? What? Like this or like that? etc. 
Slogan: Perform every action while considering yourself to be a guest and you will become great and praiseworthy. 

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