Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

14-6-2012 MURLI



[14-06-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - रात-दिन इसी चिन्तन में रहो कि सबको बाप का परिचय कैसे दें, फादर शोज़ सन, सन शोज़ फादर, इसी में बुद्धि लगानी है'' 
प्रश्न: ज्ञान जरा भी व्यर्थ न जाये उसके लिए किस बात का ध्यान रखना है? 
उत्तर: ज्ञान धन देने के लिए पहले देखो कि यह हमारे ब्राह्मण कुल का है! जो शिवबाबा के वा देवताओं के भक्त हैं, कोशिश कर उनको ज्ञान धन दो। यह ज्ञान सब नहीं समझेंगे। समझ में उन्हें ही आयेगा जो शूद्र से ब्राह्मण बनने वाले हैं। तुम कोशिश कर एक बात तो सबको सुनाओ कि सर्व का सद्गति दाता एक बाप ही है, वह कहता है कि तुम अशरीरी बन मुझे याद करो तो तुम्हारा बेड़ा पार हो जायेगा। 
गीत:- ओम् नमो शिवाए.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अशरीरी बन बाप को याद करना है। स्वधर्म में स्थित होने का अभ्यास करना है। ज्ञान की डांस करनी और करानी है। 
2) माया के तूफानों से हिलना नहीं है। डरना नहीं है। पक्का बनकर माया के प्रेशर को खत्म करना है। 
वरदान: सूक्ष्म पापों से मुक्त बन सम्पूर्ण स्थिति को प्राप्त करने वाले सिद्धि स्वरूप भव 
कई बच्चे वर्तमान समय कर्मो की गति के ज्ञान में बहुत इजी हो गये हैं इसलिए छोटे-छोंटे पाप होते रहते हैं। कर्म फिलासाफी का सिद्धान्त है-यदि आप किसी की ग्लानी करते हो, किसी की गलती (बुराई) को फैलाते हो या किसी के साथ हाँ में हाँ भी मिलाते हो तो यह भी पाप के भागी बनते हो। आज आप किसी की ग्लानी करते हो तो कल वह आपकी दुगुनी ग्लानी करेगा। यह छोटे-छोटे पाप सम्पूर्ण स्थिति को प्राप्त करने में विघ्न रूप बनते हैं इसलिए कर्मो की गति को जानकर पापों से मुक्त बन सिद्धि स्वरूप बनो। 
स्लोगन: आदि पिता के समान बनने के लिए शक्ति, शान्ति और सर्वगुणों के स्तम्भ बनो। 

[14-06-2012]

Essence: Sweet children, day and night, just have the concern about how you can give the Father’s introduction to everyone. Father shows son and son shows Father; use your intellect for only this. 
Question: What should you pay attention to so that knowledge is not even slightly wasted? 
Answer: Feel the pulse before giving the wealth of knowledge: Does this one belong to our Brahmin clan? Try to give the wealth of knowledge to those who are either devotees of Shiv Baba or of the deities. Not everyone will understand this knowledge. Only those who are going to change from shudras into Brahmins will understand. You must try to tell everyone at least one thing: The Father alone is the Bestower of Salvation for All. He says: Become bodiless and remember Me and your boat will go across. 
Song: Salutations to Shiva. 

Essence for dharna: 
1. Become bodiless and remember the Father. Practise being stable in the original religion of the self. Dance the dance of knowledge and make others dance. 
2. Do not be shaken by the storms of Maya; do not be afraid. Become firm and finish the pressure of Maya. 

Blessing: May you become free from subtle sins and attain your stage of perfection and there by become an embodiment of success. 
At present, some children have become very easy (slack) in the knowledge of the philosophy of karma and they therefore continue to commit small sins. The principle of the philosophy of karma is: If you defame anyone, if you talk about anyone’s mistakes or if you agree with someone in whatever wrong things they say, you also become a partner in that sin. Today, you may defame someone and tomorrow they will defame you twice as much. These small sins become an obstacle in your attaining your stage of perfection. Therefore, understand the philosophy of karma, become free from the sins and become an embodiment of success. 
Slogan: In order to become like Adi Pita (first father), become a tower of power, peace and all virtues. 

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