Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

12-6-2012 MURLI



[12-06-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम जगत अम्बा कामधेनु के बच्चे और बच्चियाँ हो, तुम्हें सबकी मनोकामनाएं पूरी करनी हैं, अपने बहन-भाइयों को सच्चा रास्ता बताना है'' 
प्रश्न: तुम बच्चों को बाप द्वारा कौन सी रेसपान्सिबिल्टी मिली हुई है? 
उत्तर: बच्चे, बेहद का बाप बेहद का सुख देने आया है, तो तुम्हारा फर्ज है घर-घर में यह पैगाम दो। बाप का मददगार बन घर-घर को स्वर्ग बनाओ। कांटों को फूल बनाने की सेवा करो। बाप समान निरहंकारी, निराकारी बन सबकी खिदमत करो। सारी दुनिया को रावण दुश्मन के चम्बे से छुड़ाना - यह सबसे बड़ी रेसपान्सिबिल्टी तुम बच्चों की है। 
गीत:- माता ओ माता..... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) श्रीमत पर बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है, परमत वा मनमत पर नहीं चलना है। नष्टोमोहा बन, हिम्मत रख सर्विस में लगना है। 
2) अभी हम पियरघर में हैं, यहाँ किसी भी प्रकार का फैशन नहीं करना है। स्वयं को ज्ञान रत्नों से श्रृंगारना है। पवित्र रहना है। 
वरदान: क्या, क्यों, ऐसे और वैसे के सभी प्रश्नों से पार रहने वाले सदा प्रसन्नचित्त भव 
जो प्रसन्नचित आत्मायें हैं वे स्व के संबंध में वा सर्व के संबंध में, प्रकृति के संबंध में, किसी भी समय, किसी भी बात में संकल्प-मात्र भी क्वेश्चन नहीं उठायेंगी। यह ऐसा क्यों वा यह क्या हो रहा है, ऐसा भी होता है क्या? प्रसन्नचित आत्मा के संकल्प में हर कर्म को करते, देखते, सुनते, सोचते यही रहता है कि जो हो रहा है वह मेरे लिए अच्छा है और सदा अच्छा ही होना है। वे कभी क्या, क्यों, ऐसा-वैसा इन प्रश्नों की उलझन में नहीं जाते। 
स्लोगन: स्वयं को मेहमान समझकर हर कर्म करो तो महान और महिमा योग्य बन जायेंगे। 

[12-06-2012]

Essence: Sweet children, you are the sons and daughters of Kamdhenu (the cow that fulfils all desires), Jagadamba. You have to fulfil everyone’s desires and show the true path to your brothers and sisters. 
Question: What responsibility have you children been given by the Father? 
Answer: Children, the unlimited Father has come to give unlimited happiness, and so your duty is to give this message to everyone. Become the Father’s helpers and make each home into heaven. Do the service of changing thorns into flowers. Become egoless and incorporeal like the Father and help everyone. The greatest responsibility of you children is to liberate the entire world from the claws of the enemy Ravan. 
Song: Mother, o mother, you are the fortune maker for all. 

Essence for dharna: 
1. According to shrimat, you have to become the Father’s true helpers. Do not follow the dictates of your own mind or those of others. Become free from attachment, have courage and engage yourself in service. 
2. At present, we are in the home of the parents, and so we cannot follow any kind of fashion here. Decorate yourself with the jewels of knowledge. Remain pure. 

Blessing: May you be constantly happy hearted by remaining beyond all questions such as, “Why? What? Like this or like that?” 
Souls who are happy hearted will never raise any questions at any time, in any situation, in terms of the self, in terms of relationships with anyone or in terms of matter such as, “Why is this like this?” Or, “What is happening? Does this also happen?” While performing actions, while seeing, hearing and thinking, happy-hearted souls always have in their thoughts: Whatever is happening is good for them and it will always be the best for them. They never get caught up in the confusion of Why? What? Like this or like that? etc. 
Slogan: Perform every action while considering yourself to be a guest and you will become great and praiseworthy. 

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