Swamaan / Sankalp / Slogan: Swaroop Bano
August 27, 2013
जो मैं संकल्प करूँगी, जैसे मेरी वृत्ति होगी, वैसे वायुमंडल में अन्य आत्माओं में वायबरेशन फैलेन्गे...
Whatever thoughts I have, whatever attitude I have, the same vibrations will spread into the atmosphere and into numerous souls...
Jo main sankalp karungi, jaise meri vritti hogi, vaise vaayumandal men any atmaaon men vaaybreshan failenge...
Om Shanti Divine Angels!!!
Points to Churn: August 27, 2013
Points of Self Respect:
Slogan: Those who uplift others become instruments to bring about world transformation through self-transformation.
Whatever thoughts I have, whatever attitude I have, the same vibrations will spread into the atmosphere and into numerous souls... We, the souls, finish waste and the burden of sins though the power of yoga, and find solutions for reasons and excuses... we are the world transformers, and the world benefactors who, with pure thinking, pure words, pure actions, pure thoughts, pure feelings and pure wishes for all, and with a powerful attitude spread pure vibrations in the atmosphere and the environment and bring about transformation...
We are active, alert and attentive...we are the highest among human beings, igniting the flames of destruction and transforming the elements... instead of waiting, we become conscious and make preparations with full force...
We are world transformers with feelings of mercy, feelings of world benefit, and good wishes and pure feelings in our hearts to liberate all souls from their sorrow...
We are light in our relationships, connection and stage... we fly and enable others to fly on the wings of zeal, enthusiasm and courage... by being a child sometimes and a master sometimes, we finish our burdens...by leaving our burdens and becoming a point we become light... by converting “mine” to “Yours”, by going up and down the ladder of being a child and a master we become double light... By transforming negative to positive, we become world transformers....
With imperishable and elevated fortunes, we are the direct children of the Father who changes the lines of fortune, follow the Father in every thought word and deed...our every thought is filled with service for world benefit, our every word is constructive, filled with humility and greatness... in our awareness, we have intoxication of being the unlimited masters of the world on one hand, and on the other hand we are world servers...on one hand we have intoxication of all rights, and on the other hand, we are respectful to all, and like the Father, bestowers and bestowers of blessings...we are the most elevated fortunate world benefactors who, by having the characteristics of a constant yogi, with good wishes, make others move ahead of ourselves...
विचार सागर मंथन:August 27, 2013
बाबा की महिमा : ज्ञान सूर्य... आलमाईटी अथॉरिटी... ज्ञान का सागर, सुख का सागर... परम आत्मा, सुप्रीम, निराकार... दुःख हर्ता, सुख कर्ता...
ज्ञान : सच्ची-सच्ची पूर्णमासी यह है जबकि रात से दिन होता है तुम 16 कलासम्पूर्ण बनते हो l ज्ञान सूर्य को कभी ग्रहण नहीं लग सकता l ज्ञानसूर्य तो है ही सबको रोशनी देने वाला l
बाप कहते हैं – मैं तुम बच्चों के ही सम्मुख आता हूँ, पाप आत्माओं को आकर पुण्य आत्मा बनता हूँ, मन्दिर में रहने लायक बनता हूँ l वह है पावन दुनिया शिवालय l शिव ने स्वर्ग की रचना की, उसमें कौन रहते हैं? देवी-देवतायें, जिन्हों के चित्र मन्दिरों में रखते हैं l देवी-देवताओं का राज्य आलमाईटी अथॉरिटी ने ही स्थापन किया था l
बाप खुद कहते हैं कि मैं कल्प-कल्प आता हूँ, आकर इस भारत को स्वर्ग बनता हूँ l फिर आधाकल्प बाद तुम वह राज्य भाग्य गवांते हो, माया से हार खा लेते हो l
इस झाड़ का बीजरूप परमात्मा ऊपर में है l पहले-पहले सतयुग की रचना होती है l फिर सतयुग से त्रेता बनता है l सारी सृष्टि पुरानी तमोप्रधान बननी ही है |
बाप ही आकर ज्ञान के दिव्य चक्षु तीसरानेत्र खोलते हैं l हम हैं, हम सो देवता बने थे, हम सो क्षत्रिय बने, अभी हम सो फिर ब्राह्मण बने हैं l शिवबाबा हमको स्वदर्शन चक्रधारी बनाते हैं l हम सम्पूर्ण अन्त में बनेंगे, इसलिए अलंकार देवताओं को दे दिये हैं | गीतापाठशाला माना भगवान् की पाठशाला l
मक्खी यहाँ से पास हुई फिर कल्प बाद रिपीट होगा l ड्रामा को समझना है l बाबा वर्ल्ड आलमाईटी अथॉरिटी हैं l कहते हैं मैं भी ड्रामा के बंधन में बांधा हुआ हूँ l मैं खुद आकर पतित को पावन बनता हूँ l
योग : धूलमें मिलने वाली दुनिया से अपना बुद्धियोग निकल दो... वाणी से परे रह वानप्रस्थ अवस्था में जाना है l माया दुश्मन पर जीत पाने के लिए सर्वशक्तिमान बाप से शक्ति लेनी है l हम स्वदर्शन चक्रधारी बनते हैं और बनाते रहते हैं l सम्पूर्ण तो अन्त में ही बनेंगे...
धारणा : भारत
में
शान्ति
तब
थी
जबकि
पवित्रता
थी
l पवित्र
प्रवृत्ति
मार्ग
में
ही
मनुष्य
बहुत-बहुत
सुखी
थे
l तुम्हारी नज़र
ऊपर
में
है
l हम
शिवबाबा
से
सुनते
हैं
l किसी
देहधारी
तरफ
दृष्टि
नहीं
है
l बेहद
ड्रामा
के
राज़
को
बुद्धि
में
रख
नथिंगन्यू
का
पाठ
पक्का
करना
है
l
सेवा : ज्ञान नयन हीन आत्माओं को ज्ञान नेत्र देना है l मुक्ति-जीवन्मुक्ति की राहदिखाओ...
स्वमान : मीठे-मीठे सिकीलधे लाडले बच्चे... ऑलराउंडर एक्टर्स... स्वदर्शन चक्रधारी... रूहानी गुलाब...
स्लोगन:-परोपकारी वह है जो स्व-परिवर्तन से विश्व परिवर्तन करने के निमित्त बनते हैं।
जो मैं संकल्प करूँगी, जैसे मेरी वृत्ति होगी, वैसे वायुमंडल में अन्य आत्माओं में वायबरेशन फैलेन्गे...हम आत्माएँ, व्यर्थ और पापों के बोझ को योगबल से समाप्त करनेवाले,कारण का निवारण करनेवाले, शुभ सोचनेवाले, शुभ बोलनेवाले, शुभ करनेवाले, शुभ संकल्प शुभ भावना और शुभ कामना सर्व के लिए रखनेवाले,अपनी शक्ति शालि वृत्ति से शुभ वायबरेशन फैलाकर , वातावरण और वायुमंडल में परिवर्तन करनेवाले, विश्व परिवर्तक सो विश्व कल्याणकारी हैं...
हम आत्माएँ, विनाशज्वाला प्रज्वलित करने वाले, प्रकृति का परिवर्तनकरने में पुरुषोमें पुरुषोत्तम, इन्तज़ार बजाय जोश और होश से इन्तज़ाम करने में अेक्टिव, अलर्ट, अटेन्टिवहैं...
हम आत्माएँ, रहमकी भावना, कल्याण की भावना, सर्वआत्माओं को दुःखसे छूड़ाने की शुभभावना और शुभकामनाएँ उत्पन्न करनेवाले, विश्वपरिवर्तक हैं...
अपने सम्बन्ध सम्पर्क और स्थिति में लाइट रहकर, उडती कला में उमंग उत्साह और हिम्मत के पंखों पर उड़ने और उड़ानेवाले, कभी मालिक और कभी बालक बनकर सभी बोझ उतरनेवाले, बोझ को छोड़ बिंदू बन कर्म कर लाइट रहनेवाले, बालक सो मालिक, मालिक सो बालक की सीधी चढने और उतरनेवाले मेरे को तेरे में बदल कर डबल लाइट हैं... निगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन करनेवाले विश्व परिवर्तक हैं...
हम आत्माएँ, हर संकल्प में, हर बोल में, हर कर्म में फॉलो फ़ादर करनेवाले, श्रेष्ठ और अविनाशी तकदीर वाले, तकदीर की रेखा परिवर्तन करनेवाले बाप के डायरेक्ट बच्चे हैं... हर संकल्प में विश्व कल्याण की सेवा अर्थवाले, हर बोल में नम्रता, निर्मानता और महानता वाले, स्मृति स्वरूप में एक तरफ बेहद का मालिकपन, दूसरी तरफ विश्व के सेवाधारी, एक तरफ अधिकारीपन का नशा, दूसरी तरफ सर्व के प्रति सत्कारि, हर आत्मा के प्रति बाप समान दाता और वरदाता हैं...हर आत्मा को अपने से भी आगे बढ़ाने की शुभ भावना रखनेवाले, निरन्तर योगी पन के लक्षण वाले, श्रेष्ठ तकदीरवान विश्व कल्याणकारी हैं...
Vichaar Sagar Manthan: August 27, 2013
Swamaan aur Atma Abhyas
Slogan: Paropkari vah hai jo sw-parivartan se vishv parivartan karneke nimitt bante hain.
Jo main sankalp karungi, jaise meri vritti hogi, vaise vaayumandal men any atmaaon men vaaybreshan failenge...Hum atmaayen, vyarth aur paapon ke bojh ko yogbal se samaapt karnewale, kaaran ka nivaaran karnewale, shubh sochnewale, shubh bolnewale, shubh karnewale, shubh sankalp shubh bhaavna aur shubh kaamna sarv ke liye rakhnewale, apni shakti shaali vritti se shubh vaaibreshan failaakar, vaataavaran aur vaayumandal men parivartan karnewale, vishv parivartak so vishv kalyaankaari hain...
Vinaash jwaala prajwalit karnewale, prakriti ka parivartan karne men purusho men purushottam, intazaar bajaay josh aur hosh se intazaam karne men hum aktiv, alart, atentiv hain...
raham ki bhavna, kalyaan ki bhavna, sarv atmaaon ko duhkh se choodaane ki shubh bhavna aur shubh kaamnaayen utpann karnewale, vishv parivartak hain...
apne sambandh sampark aur sthiti men laait rahkar, oodti kala men umang utsaah aur himmat ke pankhon par oodne aur oodaanewale, kabhi maalik aur kabhi baalak bankar sabhi bojh utaarnewale, bojh ko chod bindoo ban karm kar laait rahnewale, baalak so maalik, maalik so baalak ki sidhi chadne aur utarnewale mere ko tere men badal kar dbl laait hain... nigetiv ko pojitiv men parivartan karnewale vishv parivartak hain...
har sankalp men, har bol men, har karm men folo fadar karnewale, shreshth aur avinaashi takdeer wale, takdeeer ki rekha parivartan karnewale baap ke daay rekt bachche hain... har sankalp men vishv kalyaan ki seva arth wale, har bol men namrata, nirmaanta aur mahaanta wale, smriti swaroop men ek taraf behad ka maalikpan, doosri taraf vishv ke sevadhaari, ek taraf adhikaaripan ka nasha, doosri taraf sarv ke prati satkaari, har atma ke prati baap samaan data aur vardata hain...har atma ko apne se bhi aage badhaane ki shubh bhavna rakhnewale, nirantar yogi pan ke lakshan wale, shreshth takderwaan vishv kalyaankaari hain...
Video of Murli Essence:
http://www.youtube.com/watch?v=UHBnZxkQB08&feature=c4-overview-vl&list=PLC8D39A5E37238516
Song: is paap ki duniya se: इस पापकी दुनियासे .....Take us away from this world of sin to a world of rest and comfort...
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http://www.youtube.com/watch?v=cpR6NesZyyU
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27-08-2013:
Essence: Sweet children, this old world is to turn to dust and become completely useless. Therefore, remove your intellect’s yoga from the world that is going to turn to dust.
Question: What desire do people have that only the one Father can fulfil?
Answer: People desire peace, but they don’t know who made them peaceless. You tell them that the five vices have made them peaceless. When there was purity in Bharat, there was peace. The Father is now once again establishing the pure family household path where there will be peace, happiness, everything. No one except the Father can show the path to liberation and liberation-in-life.
Song: Take us away from this world of sin to a place of rest and comfort.
Essence for dharna:
1. Keep the secret of the unlimited drama in your intellect and make the lesson of ‘nothing new’ firm. Stay beyond sound and go into the stage of retirement.
2. In order to conquer Maya, the enemy, take power from the Almighty Authority Father. Give the eye of knowledge to souls who don’t have the eye of knowledge.
Blessing: May you become a spiritual rose and as an image of attraction spread the fragrance of spirituality.
Always have the awareness that you are the spiritual roses of God’s garden. A spiritual rose means one who never distances the self from spirituality. Just as flowers are filled with fragrance, in the same way, all of you should be filled with the fragrance of spirituality such that it automatically continues to spread everywhere and attracts everyone towards you. You now become so fragrant and such images of attraction that people spread the fragrance of incense in temples as your memorial.
Slogan: Those who uplift others become instruments to bring about world transformation through self-transformation.
27-08-2013:
मुरली सार:-``मीठे बच्चे - यह पुरानी दुनिया अब मिट्टी में मिल धूलछाई हो जायेगी, इसलिए इस धूल में मिलने वाली दुनिया से अपना बुद्धियोग निकाल दो''
प्रश्न:- मनुष्यों की कौन-सी चाहना एक बाप ही पूरी कर सकते हैं?
उत्तर:-मनुष्य चाहते हैं शान्ति हो। लेकिन अशान्त किसने बनाया है, यह नहीं जानते हैं। तुम उन्हें बतलाते हो कि 5 विकारों ने ही तुम्हें अशान्त किया है। भारत में जब पवित्रता थी तो शान्ति थी। अब बाप फिर से पवित्र प्रवृत्ति मार्ग स्थापन करते हैं, जहाँ सुख-शान्ति सब होगी। मुक्ति-जीवनमुक्ति की राह बाप के सिवाए कोई बतला नहीं सकता।
गीत:-इस पाप की दुनिया से........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बेहद ड्रामा के राज को बुद्धि में रख नाथिंगन्यु का पाठ पक्का करना है। वाणी से परे रह वानप्रस्थ अवस्था में जाना है।
2) माया दुश्मन पर जीत पाने के लिए सर्वशक्तिमान बाप से शक्ति लेनी है। ज्ञान नयन हीन आत्माओं को ज्ञान नेत्र देना है।
वरदान:-रूहानी गुलाब बन चारों ओर रूहानियत की खुशबू फैलाने वाले आकषर्ण मूर्त भव
सदा स्मृति रहे कि हम भगवान के बगीचे के रूहानी गुलाब हैं। रूहानी गुलाब अर्थात् कभी भी रूहानियत से दूर होने वाले नहीं। जैसे फूलों में खुशबू समाई हुई होती है, ऐसे आप सबमें रूहानियत की खुशबू ऐसी समाई हुई हो जो ऑटोमेटिक चारों ओर फैलती रहे और सबको अपनी ओर आकार्षित करती रहे। अभी आप ऐसे खुशबूदार वा आकर्षण मूर्त बनते हो तब आपके यादगार मन्दिर में भी अगरबत्ती आदि से खुशबू करते हैं।
स्लोगन:-परोपकारी वह है जो स्व-परिवर्तन से विश्व परिवर्तन करने के निमित्त बनते हैं।
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