Happy Shri Krishna Janmashthami
श्री कृष्ण जन्माष्टमी -- Shri Krishna Janmashtmi
http://www.youtube.com/watch?v=EPiGfy8i_lg
Swamaan / Sankalp / Slogan: Swaroop Bano
August 28, 2013
हम त्रिकालदर्शी आत्माएँ, श्री कृष्ण और परमात्मा शिव के महान अन्तर को स्पष्ट कर अज्ञानता का घोर अन्धियारा निकालनेवाले, मास्टर नॉलेजफुल हैं...
We, the trikaldarshi and master knowledge-full souls, remove the immense darkness of ignorance by clarifing the great difference between Shri Krishna and God Shiva...
Hum trikaal darshi atmaayen, Shri Krishn aur Parmaatma Shiv ke mahaan antar ko spasht kar agyaan ka ghor andhiyaara nikaalnewale, mastar nolej ful hain...
Om Shanti Divine Angels!!!
Points to Churn: August 28, 2013
Points of Self Respect:
August 28, 2013
Slogan: Those who constantly eat the nourishment of happiness are constantly healthy and remain happy and cheerful.
We, the souls, are the Brahmins of the confluence age who give ourselves a pill of happiness or an injection of happiness and cure our own illness, and with the light and might of knowledge, bring about change...
At the confluence age, we wake up from the sleep of Kumbhkarna and become alert... by having the soil of determined inculcation fertile, by paying full attention, by having a big heart in whatever tasks we perform and in making others co-operative, by sacrificing the consciousness of “I”, we make our weak companions powerful, make the impossible possible, receive multimillion-fold return, and also receive the flavourful instant and visible fruits of happiness from the seeds of our thoughts, and thus become powerful and healthy...
We attain three blessings from the Father, the Bestower of Blessings; of being healthy, wealthy and happy...by not being influenced by Maya, we are ever-healthy, by being full of all powers we are ever-wealthy, and by not being attracted to Maya or to matter, we are ever-happy...
Before putting thoughts in a practical form, we stabilize in the incorporeal and the corporeal form , become an embodiment of power, and experience health, wealth and happiness at every moment...we are detached observers who take the nourishing medicine of happiness by being happy due to being free from the suffering of karma for birth after birth in the future...we are carefree emperors of the land free from sorrow who, like the Father, are the removers of sorrow and the bestowers of happiness for all souls...
विचार सागर मंथन:August 28, 2013
बाबा की महिमा : ज्ञान का सागर... नॉलेजफुल... गाइड... सत परमपिता परमात्मा दलाल... बेहद का बाप... रचयिता...बीजरूप... त्रिकालदर्शी...
ज्ञान : शिवबाबा अपने सिकिलधे बच्चों को समझाते हैं कि गीता का भगवान् है ज्ञान का सागर निराकार l निराकार बाप ही आकर राजयोग सिखलाते हैं l पतितों को पावन, राजाओं का राजा बनाते हैं l
बाप आकर बच्चों को समझाते हैं – मैं ज्ञान का सागर हूँ, तुमको बूंद देता हूँ l मैं तुम्हारा बाप हूँ l समझो कि हम अपने शान्तिधाम-सुखधाम जाते हैं l ज्ञान सागर एक सेकेण्ड में जीवन्मुक्ति वैकुण्ठ में भेज देते हैं l घर बैठे ही दिव्य दृष्टि दे देते हैं l बाबा घर बैठे साक्षात्कार करा लेते हैं l
बाप कहते हैं मैं आता हूँ, मेरी कोई तिथि-तारीख नहीं l शिवका नाम बदलता नहीं l एक ही नाम है l पहले है शिवजयन्ती फिर गीता जयन्ती फिर कृष्ण जयन्ती l
बाप बैठ बच्चों को नर से नारायण बनने सच्ची कथा सुनाते हैं | सतयुगहै श्रीकृष्ण की राजधानी l यह है संगम जबकि ब्रह्मा की रात पूरी हो ब्रह्मा का दिन शुरू होता है l यह है बेहद की रात्रि, अज्ञान अन्धियारा l सतयुग में है सोझरा l
योग : बापइस शरीर में बैठ कहते हैं - तुममुझे याद करो... मामेकम् याद करो l मैं तुमको माया रावण से लिबरेट कर साथ ले जाऊँगा, तुमको फिर राजाई देकर मैं निर्वाणधाम में बैठ जाऊँगा |
धारणा : नर से नारायण - सर्वगुण संपन्न,मर्यादा पुरुषोत्तम, अहिंसा परमो धर्म....
बाबा एसे (निबंध) देते हैं फिर तुमको विचार सागर मंथन करना है l
त्रिकालदर्शी तुमको त्रिकालदर्शी बनाते हैं l
सेवा :
मास्टरनॉलेजफुल और त्रिकालदर्शी बन श्रीकृष्ण और परमात्मा शिव के महान् अन्तर को स्पष्ट कर घोर अन्धियारे से निकालने की सेवा करनी है l तुमको समझना है श्रीकृष्ण ने ज्ञान नहीं सुनाया |
विचारसागर मंथन कर, ख्यालकरना है – कैसे किसको समझायें l
स्वमान :
सिकिलधे बच्चों... राजाओं का राजा... दूरादेशी... विशालबुद्धि... खुशनुमः...
स्लोगन:- जोसदा ख़ुशी की खुराक खाते हैं वे सदा तन्दरुस्त और खुशनुमः रहते हैं l
हम आत्माएँ, स्वयं ही स्वयं को खुशी की गोली देकर वा खुशी का इंजेक्शन लगाकर, अपनी बीमारी की दवाई स्वयं ही करनेवाले, नॉलेज की लाइट और माइट से चेन्ज लानेवाले, संगम युगी ब्राह्मण हैं...
हम आत्माएँ, संगम युग पर कुंभकरण की नींद से जागकर एलर्ट बन, दृढ़ धारणा की धरणी पक्की कर पूरा अटेनशन रखनेवाले, स्वयं के कार्य के लिए और दूसरों को सहयोग देनेके लिए बड़ी दिल रखनेवाले, कमजोर साथियों को शक्तिशाली बनानेवाले, असंभव को संभव करनेवाले, “मैं-मैं” की बलि चढ़ाकर पदमगुणा प्राप्ति कर संकल्प रूपी बीज से खुशी का अच्छा प्रत्यक्ष फल खानेवाले, शक्तिशालि और तंदरुस्त हैं...
वरदाता बापसे हेल्दी वेल्दी औरहैपीनेस के तीनवरदान प्राप्त कर, मायासे परवाश एवर हेल्दीहैं, सर्व शक्ति सम्पन्न एवर-वेल्दी हैं, प्रकृति और माया की आकर्षणसे परे, एवर-हैप्पी हैं...
हर संकल्पको स्वरूप में लानेसे पहले निराकारी और साकारी स्थिति मेंस्थित होकर समर्थी स्वरूप बन हेल्थ, वेल्थऔर हैपीनेस का अनुभवहर समय करनेवाले, भविष्य जन्म-जन्मान्तर कर्म भोगसे मुक्त होने की खुशी में साक्षी होकर चुक्तू कर, खुशीकी दवाई का खुराक लेनेवाले, सभी आत्माओं के प्रति बाप समान दुःख-हर्ता सुख-कर्ता बननेवाले, बेगमपुर के बेफ़िक्र बादशाह हैं...
Vichaar Sagar Manthan: August 28, 2013
Swamaan aur Atma Abhyas
Slogan: Jo sada khushi ki khuraak khaate hain ve sada tandrust aur khushnumah rahte hain...
Hum atmaayen, swayam hi swayam ko khushi ki goli dekar va khushi ka injekshan lagaakar, apni bimaari ki dawaai swayam hi karnewale, nolej ki laait aur maait se chenj laanewale, sangam yugi Brahman hain...
sangam yug par kumbh karan ki neend se jaagkar e lart ban, dridh dharna ki dharni pakki kar poora atanshan rakhnewale, swayam ke kaary ke liye aur doosron ko sahyog deneke liye badi dil rakhnewale, kamjor saathiyon ko shaktishaali banaanewale, asambhav ko sambhav karnewale,“main-main” ki bali chadhaakar padam gu na praapti kar sankalp roopi beej se khushi ka achcha pratyaksh fal khanewale, shakti shaali aur tandurast hain...
vardata baap se heldy weldy aur haipines ke teen vardaan praapt kar, maya se parvash evar heldy hain, sarv shakti sampann evar-weldy hain, prakriti aur maya ki aakarshan se pare, evar-haippy hain...
har sankalp ko swaroop men laane se pahle niraakaari aur saakaari sthiti men sthith hokar samarthi swaroop ban helth, welth aur haipynes ka anubhav har samay karnewale, bhavishy janm-janmaantar karm bhog se mukt hone ki khushi men saakshi hokar chuktoo kar, khushi ki dawaai ka khuraak lenewale, sabhi atmaon ke prati baap samaan duhkh harta sukh karta ban newale, begam pur ke befikr badshah hain...
Video of Murli Essence:
http://www.youtube.com/watch?v=FWjgTAc5TdM
Song: Tu pyar ka sagar hai: You are the Ocean of Love, we thirst for one drop. http://www.youtube.com/watch?v=jmEyMCglRgY&playnext=1&list=PL5FBB5FD0965ED5E9
28-08-2013:
Essence: Sweet children, churn the ocean of knowledge and clarify the great difference between Krishna and the Supreme Father, the Supreme Soul, Shiva. (Related to Krishna Janamasthmi)
Question: What conversation does Brahma Baba have with himself and what is he amazed about?
Answer: Brahma Baba talks to himself and says: I don’t know what happens to me. I forget Shiv Baba again and again. It is not that I remember the Father when He enters and that I forget Him when He leaves. I am His child; how can I forget to remember Him? Is it only when I remember Baba that He comes? Brahma Baba continues to be amazed as he talks to himself in this way.
Song: You are the Ocean of Love; we thirst for one drop.
Essence for dharna:
1. Become master knowledge-full and trikaldarshi and clarify the great difference between Shri Krishna and God Shiva. Do the service of removing human beings from immense darkness.
2. Churn the topics that Baba gives you to write essays on and think about how you can explain to others.
Blessing: May you be far-sighted and make your mind“su-man” (positive/pure) instead of making it “aman” quiet or “daman”(suppressing it).
Devotees on the path of devotion make so much effort with pranayama (breathing exercises) and trying to make the mind quiet. All of you have simply focused your mind on the one Father; you have made your mind busy on Him and that is all. You have not suppressed your mind but made it pure. Your mind now has elevated thoughts and it is therefore, “su-man” and its wandering has stopped; it has found a destination. You now know all three aspects of time – the beginning, middle and end and so you have become far-sighted and have an unlimited intellect and so you have become free from labouring.
Slogan: Those who constantly eat the nourishment of happiness are constantly healthy and remain happy and cheerful.
28-08-2013:
मुरली सार:-``मीठे बच्चे-विचार सागर मंथन कर श्रीकृष्ण और परमात्मा शिव के महान् अन्तर को स्पष्ट करो''
(श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से सम्बन्धित)
प्रश्न:- ब्रह्मा बाबा अपने आपसे क्या बातें करते हैं? उन्हें वन्डर क्या लगता है?
उत्तर:-ब्रह्मा बाबा अपने आपसे बातें करते-पता नहीं क्या होता जो शिवबाबा घड़ी-घड़ी भूल जाता है। ऐसे तो नहीं, बाप जब प्रवेश करते हैं तब याद रहती है, बाबा चले जाते हैं तो याद भूल जाती है। परन्तु मैं तो उनका बच्चा हूँ, याद भूल क्यों जाती? क्या मेरी याद से ही बाबा आते हैं? ऐसे-ऐसे बाबा अपने आपसे बातें करके वन्डर खाते रहते हैं।
गीत:-तू प्यार का सागर है........
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) मास्टर नॉलेजफुल और त्रिकालदर्शी बन श्रीकृष्ण और परमात्मा शिव के महान् अन्तर को स्पष्ट कर घोर अन्धियारे से निकालने की सेवा करनी है।
2) बाबा जो एसे (निबन्ध) देते हैं उस पर विचार सागर मंथन करना है। ख्याल करना है-कैसे किसको समझायें।
वरदान:-मन को अमन वा दमन करने के बजाए सु-मन बनाने वाले दूरादेशी भव
भक्ति में भक्त लोग कितनी मेहनत करते हैं, प्राणायाम चढ़ाते हैं, मन को अमन करते हैं। आप सबने मन को सिर्फ एक बाप की तरफ लगा दिया, बिजी कर दिया, बस। मन को दमन नहीं किया, सु-मन बना दिया। अभी आपका मन श्रेष्ठ संकल्प करता है इसलिए सु-मन है, मन का भटकना बंद हो गया। ठिकाना मिल गया। आदि-मध्य-अन्त तीनों कालों को जान गये तो दूरादेशी, विशाल बुद्धि बन गये इसलिए मेहनत से छूट गये।
स्लोगन:-जो सदा खुशी की खुराक खाते हैं वे सदा तन्दरूस्त और खुशनुम: रहते हैं।
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