Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

25-05-15 प्रातः मुरली ओम् शान्ति बापदादा मधुबन



25-05-15 प्रातः मुरली ओम् शान्ति बापदादा मधुबन
 

मीठे बच्चे - श्रीमत ही तुमको श्रेष्ठ बनाने वाली हैइसलिए श्रीमत को भूलो मतअपनी मत को छोड़ एक बाप की मत पर चलो   
प्रश्न:- पुण्य आत्मा बनने की युक्ति क्या है?
उत्तर:-पुण्य आत्मा बनना है तो सच्ची दिल सेप्यार से एक बाप को याद करो। 2. कर्मेन्द्रियों से कोई भी विकर्म न करो। सबको रास्ता बताओ। अपनी दिल से पूछो - यह पुण्य हम कितना करते हैंअपनी चेकिंग करो - ऐसा कोई कर्म न हो जिसकी 100 गुणा सजा खानी पड़े। तो चेकिंग करने से पुण्य आत्मा बन जायेंगे।
ओम् शान्ति।
रूहानी बाप बैठ बच्चों को समझाते हैंयह तो बच्चों को मालूम है कि अभी हम शिवबाबा की मत पर चल रहे हैं। उनकी है ऊंच ते ऊंच मत। दुनिया यह नहीं जानती कि ऊंच ते ऊंच शिवबाबा कैसे बच्चों को श्रेष्ठ बनाने के लिए श्रेष्ठ मत देते हैं। इस रावण राज्य में कोई भी मनुष्य मात्रमनुष्य को श्रेष्ठ मत दे नहीं सकते। तुम अभी ईश्वरीय मत वाले बनते हो। इस समय तुम बच्चों को पतित से पावन बनने के लिए ईश्वरीय मत मिल रही है। अभी तुमको पता पड़ा है हम तो विश्व के मालिक थे। यह(ब्रह्माजो मालिक था उनको भी पता नहीं था। विश्व के मालिक फिर एकदम पतित बन जाते हैं। यह खेल बहुत अच्छी रीति बुद्धि से समझने का है। राइट-रांग क्या हैइसमें है बुद्धि की लड़ाई। सारी दुनिया है रांग। एक बाप ही है राइटसच बोलने वाला। वह तुमको सचखण्ड का मालिक बनाते हैं तो उनकी मत लेनी चाहिए। अपनी मत पर चलने से धोखा खायेंगे। परन्तु वह है गुप्त। है भी निराकार। बहुत बच्चे गफलत करते हैंसमझते हैं-यह तो दादा की मत है। माया श्रेष्ठ मत लेने नहीं देती है। श्रीमत पर चलना चाहिए ना। बाबा आप जो कहेंगे वह हम मानेंगे जरूर। परन्तु कई मानते नहीं हैं। नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार मत पर चलते हैं बाकी तो अपनी मत चला लेते हैं। बाबा आये हैं श्रेष्ठ मत देने। ऐसे बाप को घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं। माया मत लेने नहीं देती। श्रीमत तो बहुत सहज है ना। दुनिया में कोई को यह समझ नहीं कि हम तमोप्रधान हैं। मेरी मत तो मशहूर हैश्रीमत भगवत गीता। भगवान अभी कहते हैं मैं 5 ह॰जार वर्ष बाद आता हूँआकर भारत को श्रीमत दे श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनाता हूँ। बाप तो सावधान करते हैंबच्चे श्रीमत पर नहीं चलते। बाप रोजरोज समझाते रहते हैं-बच्चोंश्रीमत पर चलना भूलो मत। इन (ब्रह्माकी तो बात ही नहीं। उनकी बात समझो। वही इन द्वारा मत देते हैं। वही समझाते हैं। खान-पान खाते नहींकहते हैं मैं अभोक्ता हूँ। तुम बच्चों को श्रीमत देता हूँ। नम्बरवन मत देते हैं मुझे याद करो। कोई भी विकर्म नहीं करो। अपने दिल से पूछो कितना पाप किया हैयह तो जानते हो सबका पापों का घड़ा भरा हुआ है। इस समय सभी रांग रास्ते पर हैं। तुम्हें अभी बाप द्वारा राइट रास्ता मिला है। तुम्हारी बुद्धि में सारा ज्ञान है। गीता में जो ज्ञान होना चाहिए वह है नहीं। वह कोई बाप की बनाई हुई नहीं है। यह भी भक्ति मार्ग में नूँध है। कहते भी हैं भगवान आकर भक्ति का फल देंगे। बच्चों को समझाया है - ज्ञान से सद्गति। सद्गति भी सबकी होती हैदुर्गति भी सबकी होती है। यह तो दुनिया ही तमोप्रधान है। सतोप्रधान कोई है नहीं। पुनर्जन्म लेते-लेते अब पिछाड़ी आकर हुई है। अब मौत सबके सिर पर खड़ा है। भारत की ही बात है। गीता भी है देवी-देवता धर्म का शास्त्र। तो तुम्हें दूसरे कोई धर्म में जाने से क्या फायदा। हर एक अपनी-अपनी कुरानबाइबिल आदि ही पढ़ते हैं। अपने धर्म को जानते हैं। एक भारतवासी ही अन्य सब धर्मों में चले जाते हैं। और सब अपने-अपने धर्म में पक्के हैं। हर एक धर्म वाले की शक्ल आदि अलग है। बाप स्मृति दिलाते हैं-बच्चेतुम अपने देवी-देवता धर्म को भूल गये हो। तुम स्वर्ग के देवता थेहम सो का अर्थ भारतवासियों को बाप ने सुनाया है। बाकी हम आत्मा सो परमात्मा नहीं हैं। यह बातें तो भक्ति मार्ग के गुरू लोगों ने बनाई हैं। गुरू भी करोड़ों होंगे। स्त्री को पति के लिए कहते हैं कि यह तुम्हारा गुरू ईश्वर है। जबकि पति ही ईश्वर है फिर हे भगवानहे राम क्यों कहती हो। मनुष्यों की बुद्धि बिल्कुल ही पत्थर बन गई है। यह खुद भी कहते हम भी ऐसे थे। कहाँ बैकुण्ठ का मालिक श्रीकृष्णकहाँ फिर उनको गांव का छोरा कह दिया है। श्याम-सुन्दर कहते हैं। अर्थ थोड़ेही समझते। अभी बाप ने तुमको समझाया है जो नम्बरवन सुन्दर वही नम्बर लास्ट तमोप्रधान श्याम बना है। तुम समझते हो हम सुन्दर थे फिर श्याम बने हैं।84 का चक्र लगाए अभी श्याम से सुन्दर बनने के लिए बाप एक ही दवाई देते हैं कि मुझे याद करो। तुम्हारी आत्मा पतित से पावन बन जायेगी। तुम्हारे जन्म-जन्मान्तर के पाप नाश हो जायेंगे।
तुम जानते हो जब से रावण आया है तुम गिरते-गिरते पाप आत्मा बने हो। यह है ही पाप आत्माओं की दुनिया। एक भी सुन्दर नहीं। बाप बिगर सुन्दर कोई बना न सके। तुम आये हो स्वर्गवासी सुन्दर बनने। अभी नर्कवासी श्याम हैं क्योंकि काम चिता पर चढ़ काले बने हैं। बाप कहते हैं काम महाशत्रु है। इन पर जो जीत पायेंगे वही जगत जीत बनेंगे। नम्बरवन है काम। उनको ही पतित कहा जाता है। क्रोधी को पतित नहीं कहेंगे। बुलाते भी हैं वि्ा आकर पतित से पावन बनाओ। तो अब बाप आये हैं कहते हैं यह अन्तिम जन्म पावन बनो। जैसे रात के बाद दिनदिन के बाद रात होती हैवैसे संगमयुग के बाद फिर सतयुग आना है। चक्र फिरना है। बाकी और कोई आकाश में अथवा पाताल में दुनिया नहीं है। सृष्टि तो यही है। सतयुगत्रेता.... यहाँ ही है। झाड़ भी एक ही हैऔर कोई हो नहीं सकता। यह सब गपोड़े हैं जो कहते हैं अनेक दुनियायें हैं। बाप कहते हैं यह सब हैं भक्ति मार्ग की बातें। अब बाप सत्य बात सुनाते हैं। अब अपने अन्दर देखो - हम कहाँ तक श्रीमत पर चल सतोप्रधान अर्थात् पुण्य आत्मा बन रहे हैंसतोप्रधान को पुण्य आत्मातमोप्रधान को पाप आत्मा कहा जाता है। विकार में जाना पाप है। बाप कहते हैं अब पवित्र बनो। मेरे बने हो तो मेरी श्रीमत पर चलना है। मुख्य बात है कोई पाप नहीं करो। नम्बरवन पाप है विकार में जाना। फिर और भी पाप बहुत होते हैं। चोरी चकारीठगी आदि बहुत करते हैं। फिर बहुतों को गवर्मेन्ट पकड़ती भी है। अब बाप बच्चों को कहते हैं तुम अपने दिल से पूछो-हम कोई पाप तो नहीं करते हैंऐसे मत समझो-हमने चोरी की वा रिश्वत खाई तो यह बाबा तो जानी-जाननहार हैसब जानते हैं। नहींजानीजाननहार का अर्थ कोई यह नहीं है। अच्छाकोई ने चोरी कीबाप जानेंगे फिर क्याजो चोरी की उसका दण्ड सौ गुणा हो ही जायेगा। बहुत-बहुत सजा खायेंगे। पद भी भ्रष्ट हो जायेगा। बाप समझाते हैं ऐसे अगर काम करेंगे तो दण्ड भोगना पड़ेगा। कोई ईश्वर का बच्चा बनकर फिर चोरी करताशिवबाबा जिससे इतना वर्सा मिलता हैउनके भण्डारे से चोरी करतायह तो बहुत बड़ा पाप है। कोई-कोई में चोरी की आदत होती हैउनको जेल बर्ड कहा जाता है। यह है ईश्वर का घर। सब कुछ ईश्वर का है ना। ईश्वर के घर में आते हैं बाप से वर्सा लेने। परन्तु कोई-कोई की आदत हो जाती हैउसकी सजा सौगुणा बन जाती है। सजायें भी बहुत मिलेंगी और फिर जन्म बाई जन्म डर्टी घर में जाए जन्म लेंगेतो अपना ही नुकसान किया ना। ऐसे बहुत हैं जो याद में बिल्कुल नहीं रहतेसुनते कुछ नहीं। बुद्धि में चोरी आदि के ही ख्यालात चलते रहते हैं। ऐसे बहुत सतसंग में जाते हैं। चप्पल चोरी कर लेतेउनका धन्धा ही यह रहता है। जहाँ सतसंग होता वहाँ जाकर चप्पल चोरी कर आयेंगे। दुनिया बिल्कुल ही डर्टी है। यह है ईश्वर का घर। चोरी की आदत तो बहुत खराब है। कहा जाता है-कख का चोर सो लख का चोर। अपने अन्दर से पूछना चाहिए-हम कितना पुण्य आत्मा बने हैंकितना बाप को याद करते हैंकितना हम स्वदर्शन चक्रधारी बनते हैंकितना समय ईश्वरीय सर्विस में रहते हैंकितने पाप कटते जा रहे हैंअपना पोतामेल रोज देखो। कितना पुण्य कियाकितना योग में रहाकितने को रास्ता बतायाधंधा आदि तो भल करो। तुम कर्मयोगी हो। कर्म तो भल करो। बाबा यह बैजेज बनाते रहते हैं। अच्छे-अच्छे लोगों को इस पर समझाओ। इस महाभारत लड़ाई द्वारा ही स्वर्ग के गेट्स खुल रहे हैं। कृष्ण के चित्र में नीचे लिखत बड़ी फर्स्टक्लास है। परन्तु बच्चे अभी इतना विशाल बुद्धि नहीं हुए हैं। थोड़ा ही धन मिलता है तो नाचने लग पड़ते हैं। कोई को जास्ती धन होता है तो समझते हैं हमारे जैसा कोई नहीं होगा। जिन बच्चों को बाप की परवाह नहीं,उन्हें बाप जो इतना अविनाशी ज्ञान रत्नों का खजाना देते हैं उसकी भी कदर नहीं रहती है। बाबा एक बात कहेगावह दूसरी बात कर लेते। परवाह न होने के कारण बहुत पाप करते रहते हैं। श्रीमत पर चलते नहीं। फिर गिर पड़ते हैं। बाप कहेंगे यह भी ड्रामा। उनकी तकदीर में नहीं है। बाबा तो जानते हैं ना। बहुत पाप करते हैंअगर निश्चय हो कि बाप हमको पढ़ाते हैं तो खुशी रहनी चाहिए। तुम जानते हो हम भविष्य नई दुनिया में प्रिन्स-प्रिन्सेज बनेंगेतो कितनी खुशी रहनी चाहिए। परन्तु बच्चे तो अभी तक भी मुरझाते रहते हैं। वह अवस्था ठहरती नहीं है।
बाबा ने समझाया है - विनाश के लिए रिहर्सल भी होगी। कैलेमिटीज भी होंगी। भारत को कमजोर करते जायेंगे। बाप खुद कहते हैं-यह सब होना ही है। नहीं तो विनाश कैसे होगा। बर्फ की बरसात पड़ेगी फिर खेती आदि का क्या हाल होगा। लाखों मरते रहते हैंकोई बतलाते थोड़ेही हैं। तो बाप मुख्य बात समझाते हैं कि ऐसे अपने अन्दर जांच करोमैं कितना बाप को याद करता हूँ। बाबाआप तो बड़े मीठे होकमाल है आपकी। आपका फरमान है मुझे याद करो तो जन्म के लिए कभी रोगी नहीं बनेंगे। अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो मैं गैरन्टी करता हूँसम्मुख बाप तुमको कहते हैं तुम फिर औरों को सुनाते हो। बाप कहते हैं मुझ बाप को याद करोबहुत प्यार करो। तुमको कितना सहज रास्ता बताता हूँ-पतित से पावन होने का। कोई कहते हैं हम तो बहुत पाप आत्मा हैं। अच्छा फिर ऐसे पाप नहीं करोमुझे याद करते रहो तो जन्म-जन्मान्तर के जो पाप हैंवह इस याद से भस्म होते जायेंगे। याद की ही मुख्य बात है। इनको कहा जाता है सहज यादयोग अक्षर भी निकाल दो। सन्यासियों के हठयोग तो किस्म-किस्म के हैं। अनेक प्रकार से सिखलाते हैं। इस बाबा ने गुरू तो बहुत किये हैं ना। अभी बेहद का बाप कहते हैं-इन सबको छोड़ो। इन सबका भी मुझे उद्धार करना है। और कोई की ताकत नहीं जो ऐसे कह सके। बाप ने ही कहा है-मैं इन साधुओं का भी उद्धार करता हूँ। फिर यह गुरू कैसे बन सकते। तो मूल एक बात बाप समझाते हैं-अपनी दिल से पूछोहम कोई पाप तो नहीं करते हैं। किसको दु:ख तो नहीं देते हैंइसमें कोई तकलीफ नहीं है। अन्दर जांच करनी चाहिएसारे दिन में कितना पाप कियाकितना याद कियायाद से ही पाप भस्म होंगे। कोशिश करनी चाहिए। यह बहुत मेहनत का काम है। ज्ञान देने वाला एक ही बाप है। बाप ही मुक्ति-जीवनमुक्ति का रास्ता बतलाते हैं। अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) बाप जो अविनाशी ज्ञान रत्नों का खजाना देते हैं उसका कदर करना है। बेपरवाह बन पाप कर्म नहीं करने हैं। अगर निश्चय है भगवान हमको पढ़ाते हैं तो अपार खुशी में रहना है।
2) ईश्वर के घर में कभी चोरी आदि करने का ख्याल न आये। यह आदत बहुत गंदी है। कहा जाता कख का चोर सो लख का चोर। अपने अन्दर से पूछना है - हम कितना पुण्य आत्मा बने हैं?

वरदान:- जहान के नूर बन भक्तों को नजर से निहाल करने वाले दर्शनीय मूर्त भव!   
सारा विश्व आप जहान के आंखों की दृष्टि लेने के लिए इन्तजार में है। जब आप जहान के नूर अपनी सम्पूर्ण स्टेज तक पहुचेंगे अर्थात् सम्पूर्णता की आंख खोलेंगे तब सेकण्ड में विश्व परिवर्तन होगा। फिर आप दर्शनीय मूर्त आत्मायें अपनी नजर से भक्त आत्माओं को निहाल कर सकेंगी। नजर से निहाल होने वालों की लम्बी क्यू है इसलिए सम्पूर्णता की आंख खुली रहे। आंखों का मलना और संकल्पों का घुटका व झुटका खाना बन्द करो तब दर्शनीय मूर्त बन सकेंगे।
स्लोगन:-निर्मल स्वभाव निर्मानता की निशानी है। निर्मल बनो तो सफलता मिलेगी।  

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