याद की यात्रा
- अन्दर से यह गहरी अनुभूति होती रहे कि अब हम वापस लौट रहे हैं।
- यहाँ नहीं रहना है अब बस आगे बढ़ते जाना है
- सबकुछ समाप्त कर दो अब और कोई बोझ मत उठाओ।
- योग से शक्तियों को अपनेआप में भरते जाओ।
- अब समेटने और समाने की शक्ति को बढ़ाना है नहीं तो मेरे मन में कोई न कोई बात रह जायेगी जो रुकावट पैदा करती रहेगी।
- दूसरों की परवाह नहीं करो, हमारा आपस में एक दो से प्यार है क्योंकि हम एक साथ चल रहे हैं पर उसके अलावा हमारा और कोई सम्बन्ध नहीं है।
- जब बुद्धि याद की आकर्षण से खिंची चली जाती है तब यहाँ-वहाँ आकर्षित नहीं होती है।
- जब आप बाप के सिवाए और किसी को याद नहीं करते तो और भी कोई आपको याद नहीं करेगा।
योग की शक्ति
- विकारों की आकर्षण और पुराने कर्म के खाते को खत्म करती है।
- अपने पुराने स्वभाव संस्कार सहित बीती को बीती कर देती है।
- शुद्ध कर्म करने की शक्ति को जमा करती है।
- योग की शक्ति ग्रहण अच्छी बुद्धि की आवश्यकता है।
- कार्य अपनेआप होता रहता है जैसे कि मैं कुछ नहीं कर रहा हूँ, देखो बाबा कैसे कार्य कराता है और कहता है मैं तो निश्चिन्त हूँ।
- योग से निर्णय करने और परखने की शक्ति बढ़ती है।
- सामना करने की और सहयोग करने की शक्ति बढ़ती है
- योग से पवित्रता आती है।
- योग की शक्ति में बाबा की दुआयें छिपी हुई रहती हैं।
अच्छी धारणा
- जब आपकी धारणा अच्छी होती है तब स्वत: ही सेवा का उमंग-उत्साह बना रहता है। और आपकी धारणा तब अच्छी होती है जब आप योग से शक्तियों को प्राप्त करते हो। यह केवल ज्ञान सुनाने की बात नहीं है लेकिन ज्ञान स्वरूप होकर चलना है और सेवा की अन्दर से भावना रखनी है।
- दूसरों को क्या करना चाहिए यह कहना तो बहुत आसान है लेकिन हमें क्या करना चाहिए यह सुनना बहुत मुश्किल है।
- आत्म अभिमानी स्थिति से स्वयं को समझने की शक्ति मिलती रहती है। बाबा के साथ गहरे सम्बन्ध से अपने आपको परिवर्तन करने की शक्ति प्राप्त होती है। समय की स्मृति से अभी-अभी परिवर्तन करने की शक्ति प्राप्त होती है।
- जब आप अपने आपको अच्छी तरह से समझते हो तभी आप अन्दर से खुश रह सकते हो। जब आप अपने आपको अच्छी तरह से समझते हो तभी आप श्रीमत का एक्यूरेट पालन कर सकते हो। अगर तुम क्यूं और क्या करते रहते हो इसका मतलब ड्रामा को अच्छी तरह से समझा नहीं है।
- अपने मन में कोई बात आने न दो, क्योंकि बातें भय पैदा करती हैं। मेरे मन में मेरी आज्ञा की बिना कोई बात बात मन में आ न सके। दो पहरेदार सदा बनाये रखो - पवित्र और दृढ़ संकल्प।
- हर बात को शुभ भावना से स्वीकार करो, दूसरे जो कुछ भी कहना चाहते हैं, यह मेरे लिए एक मौका है मरने और झुकने का।
- ईमानदारी और स्नेह प्यार के अलावा कुछ भी हो नहीं सकता। अगर आपके पास पुरानी बीती हुई बातों को खत्म करने की क्षमता नहीं है तो भविष्य के लिए आपके पास शक्ति नहीं होगी।
- हमें प्यार से भरपूर करने के लिए बाबा ने यज्ञ में कुछ नियम और मर्यादाओं को बनाया है। गुरुवार को बाबा को भोग लगाना यह रिवाज बाबा ने शुरू किया हमें खिलाने के लिए। और इस बात से आश्वस्त होने के लिए कि हरेक को यज्ञ की सेवा का अवसर मिले। अगर अभी आप बाबा को भोग स्वीकार नही कराते हो तो अन्त में भोजन मिलेगा इसकी कोई गैरन्टी नहीं है। प्यार से और दिल से भोग बनाओ तथा बाबा को स्वीकार कराओ तो बाबा भी दिल से उसका रिटर्न देता रहेगा। बाबा नहीं चाहते कि हम चाहे बाबा से या किसी और से भी कुछ मांगे।
- समय की कदर करो, अगर आप समय की कदर नहीं करते तो कमाई नहीं कर पाओगे। हम सबके पास समय है। समय का सदउपयोग करो तो मूंझ नहीं होगी। फिर जिससे भी मदद की आवश्यकता है वो सामने आकर खड़े हो जायेंगे। जो हर दिन और हर क्षण की कीमत को जानते हैं ऐसे लोग महाराजा और महारानी कहलाते हैं और वो सदा बहुत-बहुत खुश रहते हैं।
- अहंकार हमारा बहुत ज्यादा समय बरबाद करता है। अपनी पहचान बनाने की इच्छा ही अभिमान है। `मैं भगवान का बच्चा हूँ '– अभिमान यह अहसास होने नहीं देता। अहंकार तो खुद के लिए होता है लेकिन दूसरों के लिए और परिस्थितियों के लिए शंका होती है।
- क्या मैं मरने के लिए तैयार हूँ? मुझे अपना यह शरीर सम्पूर्ण सतोप्रधान बनकर ही छोड़ना है जिसमें कि अंशमात्र भी रजो और तमो का प्रभाव न हो। नहीं तो हमारे साथ और क्या जायेगा केवल हमारी ईमानदारी और सच्चाई।
- मैंने भल अपने लौकिक के साथ के लगाव को समाप्त किया हो लेकिन उनका मेरे से लगाव समाप्त नहीं हुआ होगा इसलिए मुझे कभी-कभी उदासी आती है। अगर कोई मुझे दैहिक रूप से याद करता है तो मैं सेवा कर नहीं सकती हूँ। अगर अशंमात्र भी कहीं लगाव है तो ईश्वरीय प्यार का अनुभव नहीं होगा।
- ज्ञान की गहराई को समाने के लिए स्वच्छ बुद्धि की आवश्यकता है और इस ज्ञान को धारण करने से ही वह ज्ञान के रतन बन जाते हैं।
- बाबा को सभी इतना प्यार क्यों करते हैं, क्योंकि वह आत्माओं की बुद्धि को बदल देता है।
- सबकुछ अच्छा ही होगा यह है अन्दर से निकलने वाली विश्वास की आवाज। विश्वास, विजय का अनुभव कराता है।
- समर्पित होना माना अपने संकल्प, बोल और कर्म को सफल करना।
- शुद्ध और श्रेष्ठ विचार सभी का फायदा करते हैं और दूर बैठे भी कार्य सम्पन्न हो जाते हैं।
- अन्तर्मुखी बनना अर्थात् अपने आइने को सदा साफ रखना और उसमें सदा चेकिंग करते रहना।
- अपने आपको भगवान का बच्चा समझना और अटेन्शन रखना कि मन और बुद्धि सदा सही संस्कार धारण करें।
- ऊंच नीच के भाव से भय उत्पन्न होता है और अपनेपन का भाव समाप्त होता है।
- हिम्मत, विश्वास और शुद्ध भावना इन्हें सदा अपने साथ बनाये रखो, भले आपके पास एक पाई भी न हो।
- अन्दर से सच्चे रहो और व्यवहार में नम्रता रखो।
माँ का प्यार
- हमें अपना बनाता है।
- घर की भासना देता है।
- अनेकों के दिलों को पिघला देता है।
- किसी नई आत्मा को देखते ही उन्हें पालना देने की, उन्हें अच्छा संग देने की और उनको खुश करने की भावना उत्पन्न करता है।
मित्रवत प्रेम
- समानता को लाता है
- जब मित्रता नहीं है तो वहाँ ईर्ष्या है।
ईश्वरीय प्यार
- ईश्वरीय प्यार समानता लाता है। वरदान पाना ही प्यार है।
- जहाँ त्याग और तपस्या है – यही स्वयं के लिए प्यार है।
Jewels from Dadi Janki…
UK – August 2012
Pilgrimage of remembrance
- Have the deep feeling inside that we are leaving. We are not returning here. Just keep going.
- Finish everything and don't pick up burdens.
- Accumulate the power of yoga.
- I need the power to withdraw and pack-up otherwise if I have something on my mind I get stuck.
- Have no concern for other people. There is love for each other because we are on the path together but there is no other connection.
- When the intellect is pulled to remembrance it stops it from being pulled here and there.
- If you don't remember anyone but Baba, no one will remember you.
Power of yoga
- Destroys the attraction of the vices and past karmic accounts.
- Makes the past the past – including our old nature.
- Accumulates power to enable me to perform pure karma.
- Requires a good intellect.
- Means the work gets done but 'I am not doing anything'. See how Baba does things and says 'I am carefree'.
- Increases the power to judge and discern.
- Increases the power to face and give co-operation.
- Brings purity.
- Baba's blessings are merged in the power of yoga.
Good dharna
· Once your dharna is good there is naturally enthusiasm to do service, and your dharna will be good if you have absorbed the power of yoga. This is not just a matter of speaking knowledge but it is to do so with a deep inner feeling to serve.
· It is very easy to tell others what they have to do, but it is hard for us to hear what we have to do.
· Through soul consciousness you get the power to understand yourself. Through the connection with Baba you get the power to change yourself. Through the awareness of time you get the power to change now.
· You can only be deeply happy if you understand and recognise yourself. If you recognise yourself you will understand and follow shrimat accurately. If you ask 'why' and 'what' it means you have not understood drama.
· Let nothing enter your mind because it will cause fear. Nothing should come in without my permission. Keep two security guards: pure and determined thoughts.
· Take everything with good feeling. Whatever another wants to say, it is my chance to bow and to die.
· Nothing can happen without honesty and love.
· If you don't have the strength to finish what happened in the past, you won't have energy for the future.
· In order to fill us with love, Baba has created the principles and maryadas of the yagya. To offer bhog on Thursday is a way for Baba to feed us and make sure that everyone receives from the yagya. If you don't offer bhog then there is no guarantee that you will receive food to the end. Prepare and offer bhog with your heart and Baba will give the return from His heart. Baba does not want us to have to ask for anything from Him or beg for anything.
· Value time. If you don't you will not be able to earn an income. We do have time. Value time and you will not get confused. Then those who have to help will just appear in front of you. Those who know the importance of every day and every moment are the emperors and empresses so there will be a lot of happiness.
· Ego takes up a lot of extra time from us. Arrogance is the desire for recognition. It doesn't allow you to feel 'I am a child of God'. Ego is of the self and doubt is of others and situations.
· Am I ready to die? I have to leave my body having become satopradhan with not the slightest tinge of rajo or tamo. What will go with you then? Just your truthfulness and your honesty.
· I may have given up my attachment to my lokiks but they may not and this is why sometimes you feel low. If someone remembers me in a bodily way I won't be able to do service. If there is the slightest attachment, you won't experience Godly love.
· In order to absorb knowledge a clean intellect is needed and by inculcating this knowledge it turns into jewels.
· Why is Baba loved so much? He transforms the intellect of souls!
· The sound of faith from within is 'everything will be fine'. Faith gives the experience of victory.
· To surrender means to make your thoughts, words and actions profitable.
· Pure and elevated thinking benefits others and gets the work done from a distance.
· To be introverted means to keep your mirror clean and then to check yourself.
· By considering yourself to be children of God and keeping attention, the mind and intellect will create the right sanskars.
· With hierarchy comes fear and there isn't a feeling of belonging.
· Courage, trust and pure feelings (bhavna) – even if you don't have a penny, keep these with you.
· Internally keep truth and in interaction keep humility.
Motherly love
· Makes you belong.
· Makes this a home.
· Melts the hearts of many.
· Brings the feeling on seeing someone new: we should sustain this one, give them good company and make them happy.
Friendly love
· Brings equality.
· When there is no friendliness, there is jealousy.
Spiritual love
· Spiritual love brings equality. Love is receiving blessings.
· There is love for the self when there is renunciation and tapasya.
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