Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

Murli of Sep 13, 2012


[13-09-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - ज्ञान सागर बाप से तुम बच्चों को जो अविनाशी ज्ञान रत्न मिलते हैं, उन ज्ञान रत्नों का दान करने की रेस करनी है'' 

प्रश्न: माला में नम्बर आगे वा पीछे होने का मुख्य कारण क्या है? 


उत्तर: श्रीमत की पालना। जो श्रीमत को अच्छी तरह पालन करते वह नम्बर आगे आ जाते हैं और जो आज अच्छी पालना करते, कल देह-अभिमान वश श्रीमत में मनमत मिक्स कर देते वह नम्बर पीछे चले जाते। कायदे अनुसार श्रीमत पर चलने वाले बच्चे पीछे आते भी आगे नम्बर ले सकते हैं। 
गीत:- रात के राही..... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 

1) बाप से अन्दर बाहर साफ रहना है। कोई भी भूल हो जाए तो फौरन क्षमा मांगना है। रूहानी जिस्मानी दोनों प्रकार की सेवा करनी है। 

2) कभी भी ईष्या के कारण एक दो का परचिंतन नहीं करना है। कोई किसी के प्रति उल्टी सुल्टी बातें सुनायें तो सुनी अनसुनी कर देनी है। वर्णन करके किसी की दिल खराब नहीं करनी है। 

वरदान: बहानेबाज़ी के खेल को समाप्त करने वाले मास्टर दातापन के स्वमानधारी भव 

जिन बच्चों को बहानेबाजी का खेल आता है वह कहेंगे-ऐसे नहीं होता तो वैसा नहीं होता। इसने ऐसे किया, सरकमस्टांश वा बात ही ऐसी थी....अब इस बहानेबाजी की भाषा को समाप्त कर दृढ़ प्रतिज्ञा करो कि ऐसा हो या वैसा लेकिन मुझे तो बाप जैसा बनना है। दूसरा सहयोग दे तो मैं सम्पन्न बनूं, नहीं। इस लेने के बजाए मास्टर दाता बन सहयोग, स्नेह, सहानुभूति देना ही लेना है। इस भावना से मास्टर दातापन के स्वमानधारी बन जायेंगे। 

स्लोगन: जब मैं और मेरे पन के भावों से वैराग्य हो तब कहेंगे बेहद के वैरागी। 

[13-09-2012]

Essence: Sweet children, race in donating the imperishable jewels of knowledge you receive from the Father, the Ocean of Knowledge. 

Question: What is the main reason for going ahead or staying behind in the rosary? 

Answer: Following shrimat. Those who follow shrimat very well claim a number ahead, whereas those who follow shrimat well today but who, tomorrow, mix the dictates of their own mind with shrimat, because of the influence of body consciousness, claim a number towards the end. Even though they may have come last, those who follow shrimat accurately can claim a number ahead. 

Song: O traveller of the night, do not become weary! The destination of dawn is not far off. 


Essence for dharna: 

1. Remain clean and honest with the Father inside and out. If you make a mistake instantly ask for forgiveness. Do both types of service: physical and spiritual. 

2. Don’t engage yourself in thinking about others because of jealousy. If anyone tells you wrong things about others, then hear but don’t hear. Don’t speak about such things and spoil the hearts of others. 

Blessing: May you be one who has the self-respect of being a master bestower and finish the games of making excuses. 

Those children who know the game of making excuses will say: “If it weren’t for this, it would not happen like this! This one did this, the circumstances or the situation was like that…” Now finish this language of making excuses and make a determined promise: “Whether something is like this or that, I have to become the same as the Father.” Not that I will become complete when others give their co-operation. Instead of taking in this way, become a master bestower and give co-operation, love and sympathy for that is to receive. With this feeling of faith, you will become one who has the self-respect of being a master bestower. 
Slogan: When there is disinterest in the feelings of “I” and “mine”, you can then be said to be one who has unlimited disinterest. 

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