Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

Murli of Sep 27, 2012

[27-09-2012]

मीठे बच्चे - बाप सामान पतितो को पावन बनाने का पुरुषार्थ करोयह समय बहुत वलुँब्ले है, इसलिए व्यर्थ बातो में अपना समय बरबाद मत करो.

प्रश्न : बाप बच्चो की किस एक बात पैर बहुत तरस खाते है ?

उत्तर : कई बच्चे आपस में जर्मुई जगमुही का अपना समय बहुत गवाते है | घुमने फिरने जाते है तो बो को याद करने के बजाए व्यर्थ चिंतन करते हैं। बाप को उन बच्चों पर बहुत तरस पड़ता है। बाबा कहते मीठे बच्चे - अब अपनी जीवन सुधार लो। व्यर्थ समय नहीं गँवाओ। तमोप्रधान से सतोप्रधान बनने के लिए सच्ची दिल से बाप को युक्तियुक्त याद करो, लाचारी याद नहीं करो।
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बाप जो सुनाते हैं उसे बहुत प्यार से आत्म-अभिमानी होकर सुनना है। सामने बैठकर बाप को देखते रहना है। झुटका नहीं खाना है। पढ़ाई में बहुत रूचि रखनी है। भोजन त्यागकर भी पढ़ाई जरूर करनी है।
2) एक बाप को सच्चा दोस्त बनाना है, आपस में दुश्मनी समाप्त करने के लिए मैं आत्मा भाई-भाई हूँ, यह अभ्यास करना है। शरीर को देखते हुए भी नहीं देखना है।
वरदान: मन और बुद्धि को सदा सेवा में बिज़ी रखने वाले निर्विघ्न सेवाधारी भव
जो जितना सेवा का उमंग-उत्साह रखते हैं उतना निर्विघ्न रहते हैं क्योंकि सेवा में बुद्धि बिजी रहती है। खाली रहने से किसी और को आने का चांस है और बिजी रहने से सहज निर्विघ्न बन जाते हैं। मन और बुद्धि को बिजी रखने के लिए उसका टाइम-टेबल बनाओ। सेवा वा स्वयं के प्रति जो लक्ष्य रखते हो उस लक्ष्य को प्रैक्टिकल में लाने के लिए बीच-बीच में अटेन्शन जरूर चाहिए। अटेन्शन कभी टेन्शन में बदली न हो, जहाँ टेन्शन होता है वहाँ मुश्किल हो जाता है।
स्लोगन: सेवा से जो दुआयें मिलती हैं-वही तन्दरूस्त रहने का साधन हैं। 
[27-09-2012]

Essence: Sweet children, make effort to make impure ones pure, like the Father. This time is very valuable. So don’t waste your time in useless matters.
Question: Due to which one aspect does the Father feel a lot of mercy for you children?
Answer: Some children gossip among themselves and waste a lot of their time. When they go sightseeing somewhere, instead of remembering the Father, they have wasteful thoughts. The Father feels a lot of mercy for such children. Baba says: Sweet children, now reform your lives. Don’t waste time unnecessarily. In order to become satopradhan from tamopradhan, remember the Father accurately with an honest heart. Don’t remember the Father just in desperate circumstances.

Essence for dharna: 
1. Listen with a lot of love and in the stage of soul consciousness to what the Father tells you. Sit in front of the Father and continue to look at Him. Don’t nod off! Have a lot of interest in studying. Definitely study, even if you have to renounce your food.
2. Make the one Father your true Friend. In order to end animosity among yourselves, practise: We souls are brothers. Even while seeing the body, do not see it.

Blessing: May you be a server who is free from obstacles by keeping your mind and intellect constantly busy in service.
To the extent that you have zeal and enthusiasm for service, to that extent you remain free from obstacles because your intellect remains busy in service. When it is empty, there is a chance for something else to enter your intellect whereas by remaining busy, you easily become free from obstacles. In order to keep your mind and intellect busy, make a timetable for them. In order to put the aim you have for yourself and service into a practical form, you definitely need to pay attention every now and again. Attention should never change into tension. Where there is tension, there is difficulty.
Slogan: The blessings that you receive in service are the way to remain healthy. 

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