Om Shanti
Om Shanti
कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो            सोच के बोलो, समझ के बोलो, सत्य बोलो            स्वमान में रहो, सम्मान दो             निमित्त बनो, निर्मान बनो, निर्मल बोलो             निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी बनो      शुभ सोचो, शुभ बोलो, शुभ करो, शुभ संकल्प रखो          न दुःख दो , न दुःख लो          शुक्रिया बाबा शुक्रिया, आपका लाख लाख पद्मगुना शुक्रिया !!! 

27-04-15 प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन


27-04-15 प्रातः मुरली ओम् शान्ति बापदादामधुबन

 

मीठे बच्चे - बाप आया है तुम्हें करेन्ट देनेतुम देही-अभिमानी होंगेबुद्धियोग एक बाप से होगा तो करेन्ट मिलती रहेगी |” 

प्रश्न:- सबसे बड़ा आसुरी स्वभाव कौन-सा हैजो तुम बच्चों में नहीं होना चाहिए?

उत्तर:- अशान्ति फैलानायह है सबसे बड़ा आसुरी स्वभाव। अशान्ति फैलाने वाले से मनुष्य तंग हो जाते हैं। वह जहाँ जायेंगे वहाँ अशान्ति फैला देंगे इसलिए भगवान से सभी शान्ति का वर मांगते हैं।

गीतः यह कहानी है दीवे और तूफान की ............ 

ओम् शान्ति।

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों ने गीत की लाइन सुनी। गीत तो यह भक्ति मार्ग का है फिर उनको ज्ञान में ट्रांसफर किया जाता है और कोई ट्रांसफर कर न सके। तुम्हारे में भी नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार जान सकते हैंदीवा क्या हैतूफान क्या है! बच्चे जानते हैं आत्मा की ज्योत उझाई हुई है। अब बाप आये हैं ज्योत जगाने लिए। कोई मरते हैं तो भी दीवा जलाते हैं। उसकी बड़ी खबरदारी रखते हैं। समझते हैं दीवा अगर बुझ गया तो आत्मा को अन्धियारे से जाना पड़ेगा इसलिए दीवा जलाते हैं। अब सतयुग में तो यह बातें होती नहीं। वहाँ तो सोझरे में होंगे। भूख आदि की बात ही नहींवहाँ तो बड़े माल मिलते हैं। यहाँ है घोर अन्धियारा। छी-छी दुनिया है ना। सब आत्माओं की ज्योत उझाई हुई है। सबसे जास्ती ज्योत तुम्हारी उझाई हुई है। खास तुम्हारे लिए ही बाप आते हैं। तुम्हारी ज्योत उझा गई हैंअब करेन्ट कहाँ से मिलेबच्चे जानते हैं करेन्ट तो बाप से ही मिलेगी। करेन्ट जोर होती है तो बल्ब में रोशनी ते॰ज हो जाती है। तो अभी तुम करेन्ट ले रहे होबड़ी मशीन से। देखोबाम्बे जैसे शहर में कितने ढेर आदमी रहते हैंकितनी जास्ती करेन्ट चाहिए। जरूर इतनी बड़ी मशीन होगी। यह है बेहद की बात। सारे दुनिया की आत्माओं की ज्योत बुझी हुई है। उनको करेन्ट देना है। मूल बात बाप समझाते हैं,बुद्धियोग बाप से लगाओ। देही-अभिमानी बनो। कितना बड़ा बाप हैसारी दुनिया के पतित मनुष्यों को पावन करने वाला सुप्रीम बाप आया है सबकी ज्योत जगाने। सारी दुनिया के मनुष्य-मात्र की ज्योत जगाते हैं। बाप कौन हैकैसे ज्योत जगाते हैंयह तो कोई नहीं जानते। उनको ज्योति स्वरूप भी कहते हैं फिर सर्वव्यापी भी कह देते हैं। ज्योति स्वरूप को बुलाते हैं क्योंकि ज्योति बुझ गई है। साक्षात्कार भी होता हैअखण्ड ज्योति का। दिखलाते हैं अर्जुन ने कहा मैं तेज सहन नहीं कर सकता हूँ। बहुत करेन्ट है। तो अब इन बातों को तुम बच्चे अभी समझते हो। सबको समझाना भी यह है कि तुम आत्मा हो। आत्मायें ऊपर से यहाँ आती हैं। पहले आत्मा पवित्र हैउनमें करेन्ट है। सतोप्रधान है। गोल्डन एज में पवित्र आत्मायें हैं फिर उनको अपवित्र भी बनना है। जब अपवित्र बनते हैं तब गॉड फादर को बुलाते हैं कि आकर लिबरेट करो अर्थात् दु:ख से मुक्त करो। लिबरेट करना और पावन बनाना दोनों का अर्थ अलग-अलग है। जरूर कोई से पतित बने हैं तब कहते हैं बाबा आओआकर लिबरेट भी करोपावन भी बनाओ। यहाँ से शान्तिधाम ले चलो। शान्ति का वर दो। अब बाप ने समझाया है-यहाँ शान्त में तो रह नहीं सकते। शान्ति तो है ही शान्तिधाम में। सतयुग में एक धर्मएक राज्य है तो शान्ति रहती है। कोई हंगामा नहीं। यहाँ मनुष्य तंग होते हैं अशान्ति से। एक ही घर में कितना झगड़ा हो पड़ता है। समझो स्त्री-पुरूष का झगड़ा है तो माँबापबच्चेभाई-बहन आदि सब तंग हो पड़ते हैं। अशान्ति वाला मनुष्य जहाँ जायेगा अशान्ति ही फैलायेगा क्योंकि आसुरी स्वभाव है ना। अभी तुम जानते हो सतयुग है सुखधाम। वहाँ सुख और शान्ति दोनों हैं। और वहाँ (परमधाम में) तो सिर्फ शान्ति हैउनको कहा जाता है स्वीट साइलेन्स होम। मुक्तिधाम वालों को सिर्फ इतना ही समझाना होता है तुमको मुक्ति चाहिए ना तो बाप को याद करो।

मुक्ति के बाद जीवनमुक्ति जरूर है। पहले जीवनमुक्त होते हैं फिर जीवनबंध में आते हैं। आधा-आधा है ना। सतोप्रधान से फिर सतोरजोतमो में जरूर आना है। पिछाड़ी में जो एक आधा जन्म लिए आते होंगेवह क्या सुख-दु:ख का अनुभव करते होंगे। तुम तो सारा अनुभव करते हो। तुम जानते हो इतने जन्म हम सुख में रहते हैं फिर इतने जन्म दु:ख में होते हैं। फलाने-फलाने धर्म नई दुनिया में आ नहीं सकते। उनका पार्ट ही बाद में हैभल नया खण्ड हैउनके लिए जैसे कि वह नई दुनिया है। जैसे बौद्धी खण्डक्रिश्चियन खण्ड नया हुआ ना। उनको भी सतोरजोतमो से पास करना है। झाड़ में भी ऐसे होता है ना। आहिस्ते-आहिस्ते वृद्धि होती जाती है। पहले जो निकले वह नीचे ही रहते हैं। देखा है ना-नये-नये पत्ते कैसे निकलते हैं। छोटे-छोटे हरे पत्ते निकलते रहते हैं फिर बौर (फूल) निकलता हैनया झाड़ बहुत छोटा है। नया बीज डाला जाता हैउनकी पूरी परवरिश नहीं होती तो सड़ जाता है। तुम भी पूरी परवरिश नहीं करते हो तो सड़ जाते हैं। बाप आकर मनुष्य से देवता बनाते हैं फिर उसमें नम्बरवार बनते हैं। राजधानी स्थापन होती है ना। बहुत फेल हो पड़ते हैं। बच्चों की जैसी अवस्था हैऐसा प्यार बाप से मिलता है। कई बच्चों को बाहर से भी प्यार करना होता है। कोई-कोई लिखते हैं बाबा हम फेल हो गये। पतित बन गये। अब उनको कौन हाथ लगायेगा! वह बाप की दिल पर चढ़ नहीं सकते। पवित्र को ही बाबा वर्सा दे सकते हैं। पहले एक-एक से पूरा समाचार पूछ पोतामेल लेते हैं। जैसी अवस्था वैसा प्यार। बाहर से भल प्यार करेंगेअन्दर जानते हैं यह बिल्कुल ही बुद्धू हैसार्विस कर नहीं सकते। ख्याल तो रहता है ना। अज्ञान काल में बच्चा अच्छा कमाने वाला होता है तो बाप भी बहुत प्रेम से मिलेगा। कोई इतना कमाने वाला नहीं होगा तो बाप का भी इतना प्यार नहीं रहता। तो यहाँ भी ऐसे है। बच्चे बाहर में भी सार्विस करते हैं ना। भल कोई भी धर्म वाला होउनको समझाना चाहिए। बाप को लिबरेटर कहा जाता है ना। लिबरेटर और गाइड कौन हैउनका परिचय देना है। सुप्रीम गॉड फादर आते हैंसबको लिबरेट करते हैं। बाप कहते हैं तुम कितने पतित बन गये हो। प्योरिटी है नहीं। अब मुझे याद करो। बाप तो एवर प्योर है। बाकी सब पवित्र से अपवित्र जरूर बनते हैं। पुनर्जन्म लेते-लेते उतरते आते हैं। इस समय सब पतित हैं इसलिए बाप राय देते हैं-बच्चेतुम मुझे याद करो तो पावन बन जायेंगे। अब मौत तो सामने खड़ा है। पुरानी दुनिया का अब अन्त है। माया का पॉम्प कितना है इसलिए मनुष्य समझते हैं यह तो स्वर्ग है। एरोप्लेनबिजलियाँ आदि क्या-क्या हैंयह है सब माया का पॉम्प। यह अब खत्म होना है। फिर स्वर्ग की स्थापना हो जायेगी। यह बिजलियाँ आदि सब स्वर्ग में तो होते हैं। अब यह सब स्वर्ग में कैसे आयेंगे। जरूर जानकारी वाला चाहिए ना। तुम्हारे पास बहुत अच्छे-अच्छे कारीगर लोग भी आयेंगे। वह राजाई में तो आयेंगे नहीं फिर भी तुम्हारी प्रजा में आ जायेंगे। इन्जीनियर आदि सीखे हुए अच्छे-अच्छे कारीगर आयेंगे। यह फैशन सारा बाहर विलायत से आता जाता है। तो बाहर वालों को भी तुम्हें शिवबाबा का परिचय देना है। बाप को याद करो। तुमको भी योग में रहने का ही पुरूषार्थ बहुत करना हैइसमें ही माया के तूफान बहुत आते हैं। बाप सिर्फ कहते हैं मामेकम् याद करो। यह तो अच्छी बात है ना। क्राइस्ट भी उनकी रचना हैरचयिता सुप्रीम सोल तो एक है। बाकी सब है रचना। वर्सा रचता से ही मिलता है। ऐसे-ऐसे अच्छी प्वाइंट जो हैं वह नोट करनी चाहिए।

बाप का मुख्य कर्तव्य है सबको दु:ख से लिबरेट करना। वह सुखधाम और शान्तिधाम का गेट खोलते हैं। उन्हें कहते हैं-हे लिबरेटर दु:ख से लिबरेट कर हमें शान्तिधाम-सुखधाम ले चलो। जब यहाँ सुखधाम है तो बाकी आत्मायें शान्तिधाम में रहती हैं। हेविन का गेट बाप ही खोलते हैं। एक गेट खुलता है नई दुनिया कादूसरा शान्तिधाम का। अब जो आत्मायें अपवित्र हो गई हैं उनको बाप श्रीमत देते हैं अपने को आत्मा समझोमुझे याद करो तो तुम्हारे पाप कट जाएं। अब जो-जो पुरूषार्थ करेंगे तो फिर अपने धर्म में ऊंच पद पायेंगे। पुरूषार्थ नहीं करेंगे तो कम पद पायेंगे। अच्छी-अच्छी प्वाइंट्स नोट करो तो समय पर काम आ सकती हैं। बोलोशिवबाबा का आक्यूपेशन हम बतायेंगे तो मनुष्य कहेंगे यह फिर कौन हैं जो गॉड फादर शिव का आक्यूपेशन बताते हैं। बोलोतुम आत्मा के रूप में तो सब ब्रदर्स हो। फिर प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा रचना रचते हैं तो भाई-बहन होते हैं। गॉड फादर जिसको लिबरेटरगाइड कहते हैंउनका आक्यूपेशन हम आपको बतलाते हैं। जरूर हमको गॉड फादर ने बताया है तब आपको बताते हैं। सन शो॰ज फादर। यह भी समझाना चाहिए। आत्मा बिल्कुल छोटा स्टॉर हैइन आंखों से उनको देखा नहीं जाता है। दिव्य दृष्टि से साक्षात्कार हो सकता है। बिन्दी हैदेखने से फायदा थोड़ेही हो सकता है। बाप भी ऐसी ही बिन्दी हैउनको सुप्रीम सोल कहते हैं। सोल एक जैसा ही है परन्तु वह सुप्रीम हैनॉलेजफुल हैब्लिसफुल हैलिबरेटर और गाइड है। उनकी बहुत महिमा करनी पड़े। जरूर बाप आयेंगे तब तो साथ ले जायेंगे ना। आकर नॉलेज देंगे। बाप ही बतलाते हैं आत्मा इतनी छोटी है,मैं भी इतना हूँ। नॉलेज भी जरूर कोई शरीर में प्रवेश कर देंगे। आत्मा के बाजू में आकर बैठूँगा। मेरे में पॉवर हैआरगन्स मिल गये तो मैं धनी हो गया। इन आरगन्स द्वारा बैठ समझाता हूँइनको एडम भी कहा जाता है। एडम है पहला-पहला आदमी। मनुष्यों का सिजरा है ना। यह माता-पिता भी बनते हैं,इनसे फिर रचना होती हैहै पुराना परन्तु एडाप्ट किया हैनहीं तो ब्रह्मा कहाँ से आया। ब्रह्मा के बाप का नाम कोई बताये। ब्रह्माविष्णुशंकर यह किसकी रचना तो होगी ना! रचयिता तो एक ही हैबाप ने तो इनको एडाप्ट किया हैयह इतने छोटे बच्चे बैठ सुनायें तो कहेंगे यह तो बहुत बड़ी नॉलेज है। जिन बच्चों को अच्छी धारणा होती है उन्हें बहुत खुशी रहेगीकभी उबासी नहीं आयेगी। कोई समझने वाला नहीं होगा तो उबासी देता रहेगा। यहाँ तो तुमको कभी उबासी नहीं आनी चाहिए। कमाई के समय कभी उबासी नहीं आती है। ग्राहक नहीं होंगेधंधा ठण्डा होगा तो उबासी आती रहेगी। यहाँ भी धारणा नहीं होती है। कोई तो बिल्कुल समझते नहीं हैं क्योंकि देह-अभिमान है। देही-अभिमानी हो बैठ नहीं सकेंगे। कोई न कोई बाहर की बातें याद आ जायेंगी। प्वाइंट्स आदि भी नोट नहीं कर सकेंगे। शुरूड बुद्धि झट नोट करेंगे-यह प्वाइंट्स बहुत अच्छी हैं। स्टूडेन्ट्स की चलन भी टीचर को देखने में आती है ना। सेन्सीबुल टीचर की न॰जर सब तरफ फिरती रहती है तब तो सर्टाफिकेट देते हैं पढ़ाई का। मैनर्स का सर्टाफिकेट निकालते हैं। कितना अबसेन्ट रहावह भी निकालते हैं। यहाँ तो भल प्रेजन्ट होते हैं परन्तु समझते कुछ नहींधारणा होती नहीं। कोई कहते हैं बुद्धि डल हैधारणा नहीं होतीबाबा क्या करेंगे! यह तुम्हारे कर्मों का हिसाब-किताब है। बाप तो तदबीर एक ही कराते हैं। तुम्हारी तकदीर में नहीं है तो क्या करेंगे। स्कूल में भी कोई पासकोई फेल होते हैं। यह है बेहद की पढ़ाईजो बेहद का बाप पढ़ाते हैं। और धर्म वाले गीता की बात नहीं समझेंगे। नेशन देख समझाना पड़ता है। पहले-पहले ऊंच ते ऊंच बाप का परिचय देना पड़ता है। वह कैसे लिबरेटरगाइड है! हेविन में यह विकार होते नहीं। इस समय इनको कहा जाता है शैतानी राज्य। पुरानी दुनिया है नाइनको गोल्डन एजड नहीं कहेंगे। नई दुनिया थीअब पुरानी हुई है। बच्चों मेंजिनको सार्विस का शौक है तो प्वाइंट्स नोट करना चाहिए। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार :-

1) पढ़ाई में बहुत-बहुत कमाई है इसलिए कमाई खुशी-खुशी से करनी है। पढ़ते समय कभी उबासी आदि न आयेबुद्धियोग इधर-उधर न भटके। प्वाइंट्स नोट कर धारणा करते रहो।

2) पवित्र बन बाप के दिल का प्यार पाने का अधिकारी बनना है। सार्विस में होशियार बनना हैअच्छी कमाई करनी और करानी है।

वरदान:- सदा सुखों के सागर में लवलीन रहने वाले अन्तर्मुखी भव

कहा जाता अन्तर्मुखी सदा सुखी। जो बच्चे सदा अन्तर्मुखी भव का वरदान प्राप्त कर लेते हैं वह बाप समान सदा सुख के सागर में लवलीन रहते हैं। सुखदाता के बच्चे स्वयं भी सुख दाता बन जाते हैं। सर्व आत्माओं को सुख का ही खजाना बांटते हैं। तो अब अन्तर्मुखी बन ऐसी सम्पन्न मूर्ति बन जाओ जो आपके पास कोई भी किसी भी भावना से आयेअपनी भावना सम्पन्न करके जाये। जैसे बाप के खजाने में अप्राप्त कोई वस्तु नहींवैसे आप भी बाप समान भरपूर बनो।

स्लोगन:- रूहानी शान में रहो तो कभी भी अभिमान की फीलिंग नहीं आयेगी।

 

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